शासन व्यवस्था
प्रधानमंत्री आवास योजना
- 06 Jun 2022
- 8 min read
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण, प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी। मेन्स के लिये:कल्याणकारी योजनाएँ, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप। |
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (PMAY- G) की पूर्णता दर 67.72% है, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) जिसकी शुरुआत एक वर्ष पूर्व हुई थी, 50% पूर्णता दर के साथ पिछड़ रही है।
दोनों योजनाओं में देरी का प्रमुख कारण:
- महामारी:
- सरकारी अधिकारी PMAY-U में देरी के लिये कोविड-19 महामारी को ज़िम्मेदार ठहराते हैं
- कोविड-19 महामारी से पहले स्वीकृत घरों की पूर्णता दर लगभग 80% थी।
- राज्यों द्वारा खराब कार्यान्वयन:
- लक्षित इकाइयों का 70% हिस्सा छह राज्यों में है- जिसमें पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ शामिल हैं।
- इनमें से केवल दो राज्यों- उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की पूर्णता दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है।
- बिहार में सबसे कम पूर्णता दर है।
- स्पष्ट शीर्षकों और दस्तावेज़ों का अभाव:
- शहरी क्षेत्रों में स्पष्ट शीर्षक और अन्य भूमि दस्तावेज़ों की कमी जैसे मुद्दे सामने आते हैं, परिणामस्वरूप इसकी गति और धीमी हो गई।
- यही हाल ग्रामीण क्षेत्रों में भी है।
- दो राज्यों में केंद्र द्वारा निधि आवंटन को रोकना:
- पश्चिम बंगाल में यह आरोप लगाया गया था कि वर्तमान राज्य सरकार इस योजना को बांग्ला आवास योजना के रूप में फिर से तैयार कर रही है।
- छत्तीसगढ़ के लिये निधि रोक दी गई क्योंकि राज्य, योजना के लिये योगदान का अपना हिस्सा देने में विफल रहा।
- केंद्र 60% राशि का भुगतान करता है और राज्यों को लागत का 40% वहन करना पड़ता है।
PMAY-G योजना :
- लॉन्च: इसे ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2022 तक ‘सभी के लिये आवास’ के उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु शुरू किया गया था। ज्ञात हो कि पूर्ववर्ती ‘इंदिरा आवास योजना’ (IAY) को 01 अप्रैल, 2016 को ‘प्रधानमंत्री आवास योजना- ग्रामीण’ के रूप में पुनर्गठित किया गया था।
- शामिल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय।
- उद्देश्य: मार्च 2022 के अंत तक सभी ग्रामीण परिवार, जो बेघर हैं या कच्चे या जीर्ण-शीर्ण घरों में रह रहे हैं, को बुनियादी सुविधाओं के साथ पक्का घर उपलब्ध कराना।
- जीवन व्यतीत कर रहे ग्रामीण परिवारों को आवासीय इकाइयों के निर्माण और मौजूदा अनुपयोगी कच्चे मकानों के उन्नयन में पूर्ण अनुदान के रूप में सहायता प्रदान करना।
- लाभार्थी: अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति से संबंधित लोग, मुक्त बंधुआ मज़दूर और गैर-एससी/एसटी वर्ग, विधवा महिलाएँ, रक्षाकर्मियों के परिजन, पूर्व सैनिक तथा अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त सदस्य, विकलांग व्यक्ति तथा अल्पसंख्यक।
- लाभार्थियों का चयन: तीन चरणों के सत्यापन के माध्यम से- सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना 2011, ग्राम सभा, और जियो-टैगिंग।
- कॉस्ट शेयरिंग: यूनिट सहायता की लागत को केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मैदानी क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में और उत्तर-पूर्वी एवं पहाड़ी राज्यों के लिये 90:10 के अनुपात में साझा किया जाता है।
- उपलब्धियांँ:
- इसे 2.7 करोड़ घरों का निर्माण कार्य पूरा करने के लक्ष्य के साथ शुरू किया गया था।
- केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बनाए गए डेटाबेस के अनुसार, अब तक 1.8 करोड़ घरों का निर्माण किया जा चुका है।
- यह लक्ष्य का 67.72 प्रतिशत है।
प्रधानमंत्री आवास योजना- शहरी (PMAY-U):
- लॉन्च:
- 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी (PMAY-U) का शुभारंभ किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्रों के लोगों को वर्ष 2022 तक आवास उपलब्ध कराना है।
- कार्यान्वयन:
- आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय।
- विशेषताएँ:
- यह शहरी गरीबों (झुग्गीवासी सहित) के बीच शहरी आवास की कमी को संबोधित करते हुए पात्र शहरी गरीबों के लिये पक्के घर सुनिश्चित करता है।
- इस मिशन में संपूर्ण नगरीय क्षेत्र शामिल है (जिसमें वैधानिक नगर, अधिसूचित नियोजन क्षेत्र, विकास प्राधिकरण, विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण, औद्योगिक विकास प्राधिकरण या राज्य विधान के अंतर्गत कोई भी प्राधिकरण जिसे नगरीय नियोजन का कार्य सौंपा गया है)
- PMAY(U) के अंतर्गत सभी घरों में शौचालय, पानी की आपूर्ति, बिजली और रसोईघर जैसी बुनियादी सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं।
- यह योजना महिला सदस्य के नाम पर या संयुक्त नाम से घरों का स्वामित्व प्रदान कर महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देती है।
- विकलांग व्यक्तियों, वरिष्ठ नागरिकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, एकल महिलाओं, ट्रांसजेंडर और समाज के कमज़ोर वर्गों को इसमें प्राथमिकता दी जाती है।
- उपलब्धियाँ:
- इसकी शुरुआत 1.2 करोड़ घरों के निर्माण के लक्ष्य के साथ की गई थी।
- केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के ताज़ा आँकड़ों के मुताबिक, अब तक सिर्फ 60 लाख यूनिट का निर्माण ही पूर्ण हो पाया है।