न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन | 26 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:विश्व स्वास्थ्य संगठन, कॉन्जुगेट वैक्सीन, निमोनिया, सतत् विकास लक्ष्य मेन्स के लिये:न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन की आवश्यकता, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा राज्य में शिशुओं के लिये न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन (Pneumococcal Conjugate Vaccine- PCV) टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है।
- इससे पहले दिसंबर 2020 में भारत की पहली विकसित स्वदेशी न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन ‘न्यूमोसिल’ को लॉन्च किया गया था।
प्रमुख बिंदु
न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन के बारे में:
- यह न्यूमोकोकल रोग से सुरक्षा प्रदान करती है जो बच्चों और वयस्कों दोनों को न्यूमोकोकल रोग से बचा सकती है।
- यह वैक्सीन न्यूमोकोकी कुल (Pneumococci Family) के कई जीवाणुओं के मिश्रण से तैयार की गई है, जिन्हें निमोनिया का कारण माना जाता है, इसलिये वैक्सीन के नाम में 'कॉन्जुगेट' शामिल है।
- कॉन्जुगेट वैक्सीन को दो अलग-अलग घटकों का उपयोग करके बनाया जाता है।
न्यूमोकोकल रोग:
- न्यूमोकोकल रोग के बारे में:
- स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया या न्यूमोकोकस नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण को न्यूमोकोकल रोग के नाम से जाना जाता है। ज़्यादातर लोगों के नाक और गले में न्यूमोकोकस जीवाणु पाए जाते हैं, जबकि जीवाणु के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते हैं।
- हालाँकि कभी-कभी बैक्टीरिया/जीवाणु बढ़कर शरीर के अन्य हिस्सों में फैल जाते हैं और तब लोग बीमार हो जाते हैं।
- प्रभाव:
- ये बैक्टीरिया कई तरह की बीमारियों का कारण बन सकते हैं, जिनमें निमोनिया भी शामिल है, जो फेफड़ों का संक्रमण है। न्यूमोकोकल बैक्टीरिया निमोनिया के सबसे सामान्य कारणों में से एक है।
- निमोनिया के अलावा न्यूमोकोकल बैक्टीरिया निम्नलिखित संक्रमण का कारण होता है जिनमें शामिल हैं:
- कान के संक्रमण।
- साइनस संक्रमण।
- मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढंकने वाले ऊतक का संक्रमण)।
- बैक्टेरिमिया (रक्त का संक्रमण)।
- डॉक्टर इन संक्रमणों में से कुछ को "आक्रामक" या इनवेसिव (Invasive) मानते हैं। इनवेसिव रोग (Invasive Disease) का अर्थ है कि रोगाणु शरीर के उन हिस्सों पर आक्रमण करते हैं जो सामान्य रूप से कीटाणुओं से मुक्त होते हैं।
- सुभेद्य जनसंख्या:
- न्यूमोकोकल रोग किसी को भी हो सकता है लेकिन 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, कुछ चिकित्सीय स्थितियों वाले लोग, 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वयस्क और सिगरेट पीने वाले लोगों में इसका सबसे अधिक खतरा होता है।
आवश्यकता:
- निमोनिया शिशु और बाल मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की कुल मौतों में से 15% मौतें निमोनिया के कारण होती हैं।
- यह अनुमान लगाया गया था कि इस बीमारी ने लगभग 16 लाख बच्चों को प्रभावित किया और वर्ष 2015 में देश भर में लगभग 68,700 बच्चों की मौत हुई।
- भारत सरकार सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के तहत इसे उपलब्ध कराकर वंचितों के लिये समान पहुँच सुनिश्चित कर रही है।
- सतत् विकास लक्ष्य 3 में नवजात शिशुओं और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की रोकी जा सकने वाली मौतों को समाप्त करने का आह्वान किया गया है। यह निर्दिष्ट करता है कि सभी देशों को वर्ष 2030 तक नवजात मृत्यु दर को कम-से-कम 12 मृत्यु प्रति 1,000 जीवित जन्म और पाँच वर्ष से कम आयु के कम-से-कम 25 मृत्यु प्रति 1,000 जीवित जन्मों तक कम करने का लक्ष्य रखना चाहिये।
- नवजात मृत्यु दर को जीवन के पहले 28 दिनों के भीतर मृत्यु के रूप में परिभाषित किया गया है।
सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम
- इसे वर्ष 1985 में बच्चों और गर्भवती महिलाओं में बारह वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ मृत्यु दर और रुग्णता को रोकने के लिये शुरू किया गया था।
- UIP के तहत हेमोफिलस इन्फ्लुएंज़ा टाइप बी संक्रमण (Haemophilus Influenzae Type B Infections), खसरा, रूबेला, जापानी एनसेफेलाइटिस (Japanese Encephalitis- JE) और रोटावायरस दस्त (Rotavirus Diarrhoea) के कारण होने वाली बारह वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों जैसे- तपेदिक, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, पोलियो, हेपेटाइटिस बी, निमोनिया और मेनिनजाइटिस के खिलाफ नि: शुल्क टीकाकरण प्रदान किया जाता है।
- यह विश्व के सबसे बड़े स्वास्थ्य कार्यक्रमों में से एक है। कई वर्षों से चालू होने के बावजूद UIP 1 वर्ष से कम आयु के केवल 65% बच्चों का पूर्ण टीकाकरण करने में सक्षम है।