प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना | 20 Feb 2020
प्रीलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, आर्थिक सर्वेक्षण में इससे संबद्ध पक्ष मेन्स के लिये:फसल सुरक्षा संबंधी मुद्दे, किसानों की आय को दोगुना करने के संदर्भ में इसका प्रयोग आदि |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फसल बीमा योजनाओं को नवीन सुधारों के साथ पुन: प्रारंभ करने की मंज़ूरी दी है।
मुख्य बिंदु:
- ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana-PMFBY) और ‘पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना’ (Restructured Weather Based Crop Insurance Scheme-RWBCIS) दोनों में सुधार किये गए हैं।
- इन सुधारों का उद्देश्य फसल बीमा योजनाओं के कार्यान्वयन में आने वाली मौजूदा चुनौतियों का समाधान करना है।
- केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर और सभी हितधारकों के इनपुट के आधार पर इन योजनाओं में बदलाव किये हैं।
निम्नलिखित मापदंडों/प्रावधानों को संशोधित करने का प्रस्ताव:
- फसल बीमा योजनाओं की मौजूदा सब्सिडी की प्रीमियम दर को (वर्ष 2020 के खरीफ फसल से) 50% से घटाकर सिंचित क्षेत्रों में 25% और असिंचित क्षेत्रों के लिये 30% तक कर दिया जाएगा।
- मौजूदा फसल ऋण वाले किसानों सहित सभी किसानों के लिये इन उपर्युक्त योजनाओं में नामांकन को स्वैच्छिक कर दिया है, जबकि 2016 में जब PMFBY योजना प्रारंभ की गई थी तब सभी फसल ऋण धारकों के लिये इस योजना के तहत बीमा कवर हेतु नामांकन करवाना अनिवार्य था।
योजनाओं में अन्य बदलाव:
- बीमा कंपनियों इन योजनाओं में केवल तीन वर्ष तक व्यवसाय कर सकेगी।
- राज्यों/संघशासित राज्यों को अतिरिक्त जोखिम कवर/सुविधाओं के चयन का विकल्प प्रदान करने के साथ ही योजना को लागू करने में लचीलापन प्रदान किया जाएगा।
- उत्तर-पूर्वी राज्यों के लिये प्रीमियम सब्सिडी दर को 90% तक बढ़ाया जाएगा।
- योजना के लिये आवंटित कुल राशि का कम-से-कम 3% खर्च प्रशासनिक कार्यों पर किया जाएगा।
बदलाव का उद्देश्य:
- किसान बेहतर तरीके से कृषि उत्पादन जोखिम का प्रबंधन करने और कृषि आय को स्थिर करने में सफल होंगे।
- इन बदलाओं के बाद उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में बीमा कवरेज बढे़गा, जिससे इन राज्यों के किसान बेहतर तरीके से कृषि जोखिम का प्रबंधन कर सकेंगे।
- इन परिवर्तनों के बाद त्वरित और सटीक उपज अनुमान प्राप्त करना संभव हो पाएगा जो बीमा दावों के निपटान में मदद करेगा।
- उपर्युक्त दोनों योजनाओं में नामांकित 58% किसान ऐसे हैं जिन्हें अब बीमा कवर नामांकन के लिये बाध्य नहीं होना पड़ेगा।
सुधारों का संभावित प्रभाव:
- सरकारी आँकड़ों के अनुसार PMFBY योजना के तहत फसल बीमा कवरेज केवल 30% है तथा इसके तहत नामांकित किसानों की इस संख्या में नवीन सुधारों के बाद और भी कमी आ सकती है।
- वर्तमान में केंद्र और राज्य के प्रीमियम योगदान का अनुपात 50:50 है, अत: इन सुधारों के बाद राज्यों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
योजनाओं के साथ जुड़ी समस्याएँ:
- विभिन्न हितधारकों का आरोप है कि योजना का अधिकांश लाभ निजी बीमा कंपनियों को प्राप्त हुआ है, किसानों को इसका बहुत कम लाभ मिला है।
- कुछ बीमा कंपनियाँ यथा- आईसीआईसीआई लोम्बार्ड (ICICI Lombard), टाटा एआईजी (Tata AIG) सहित कई प्रमुख बीमा कंपनियाँ वर्ष 2019-20 में योजना से बाहर हो गई थीं। इन कंपनियों का कहना था कि उच्च फसल बीमा दावों के अनुपात की वजह से उनको काफी नुकसान हो रहा था।
- पंजाब और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों ने पहले ही इस योजना में भाग लेने से इनकार कर दिया है।
केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि फसल बीमा योजनाओं का अंतिम उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करना होना चाहिये।