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प्रधानमंत्री-इलेक्ट्रिक बस सेवा

  • 18 Aug 2023
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रधानमंत्री-इलेक्ट्रिक बस सेवा, इलेक्ट्रिक बसें, सार्वजनिक-निजी भागीदारी, ई-मोबिलिटी, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड, ग्रीनहाउस गैस

मेन्स के लिये:

प्रधानमंत्री-इलेक्ट्रिक बस सेवा, धारणीय गतिशीलता और ग्रीनहाउस गैस कटौती में इसका महत्त्व

चर्चा में क्यों?

भारतीय मंत्रिमंडल ने "पी.एम.ई-बस सेवा अथवा प्रधानमंत्री-इलेक्ट्रिक बस सेवा" योजना को मंज़ूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से 10,000 इलेक्ट्रिक बसें शुरू करके शहरों में बसों के संचालन को बढ़ावा देना है।

प्रधानमंत्री-इलेक्ट्रिक बस सेवा:

  • परिचय:
    • इसका उद्देश्य शहरी परिवहन दक्षता में वृद्धि करना और पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देना है।
  • खंड A: सिटी बस सेवाओं में वृद्धि करना (169 cities):
    • यह खंड सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के तहत 10,000 ई-बसों द्वारा शहरी परिवहन को सुदृढ़ करने हेतु समर्पित है।
    • यह योजना इलेक्ट्रिक बसों के प्रभावी संचालन के लिये इलेक्ट्रिक बसों हेतु सबस्टेशन जैसे महत्वपूर्ण विद्युत बुनियादी ढाँचे के निर्माण के अतिरिक्त बस डिपो के बुनियादी ढाँचे के निर्माण अथवा उन्नयन की आवश्यकता को चिह्नित करती है।
  • खंड B: हरित शहरी गतिशीलता पहल [Green Urban Mobility Initiatives (181 शहर)]:
    • इस खंड में बसों की  प्राथमिकता बढ़ाना, बुनियादी ढाँचे में सुधार, मल्टीमॉडल इंटरचेंज सुविधाएँ उपलब्ध करना, नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (National Common Mobility Card- NCMC)-बेस्ड ऑटोमेटेड फेयर कलेक्शन सिस्टम लागू करना और आवश्यक चार्जिंग बुनियादी ढाँचे का निर्माण शामिल है।
    • इस योजना का लक्ष्य इन टिकाऊ प्रथाओं को एकीकृत करके शहरी गतिशीलता परिदृश्य को बदलना है।
  • लक्षित जनसंख्या और पहुँच से वंचित क्षेत्र:
    • यह योजना 2011 की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर तीन लाख और उससे अधिक की आबादी वाले शहरों को शामिल करेगी।
    • इस व्यापक दृष्टिकोण में केंद्रशासित प्रदेशों की सभी राजधानियाँ, देश के उत्तर पूर्वी हिस्से के क्षेत्र और पहाड़ी राज्य शामिल हैं।
    • इस योजना का एक महत्त्वपूर्ण आकर्षण संगठित बस सेवाओं की कमी वाले शहरों पर इसका ध्यान केंद्रित करना है तथा शहरी गतिशीलता अंतर को कम करना है।
  • संचालन एवं सुविधा:
    • इस योजना का परिचालन पहलू, नियुक्त बस ऑपरेटरों को भुगतान करते समय बस सेवाओं को प्रबंधित करने तथा बनाए रखने की ज़िम्मेदारी राज्यों और शहरों पर डालता है।
    • केंद्र सरकार की भूमिका योजना में उल्लिखित सब्सिडी प्रदान करके इन कार्यों को सुविधाजनक बनाना और इनका समर्थन करना है।

योजना का महत्त्व: 

  • रोज़गार के अवसर:
    • इस योजना से 45,000 से 55,000 लोगों के रोज़गार की अनुमानित सीमा के साथ प्रत्यक्ष रोज़गार अवसर बढ़ने का अनुमान है।
    • यह बढ़ावा सिटी बस संचालन में इलेक्ट्रिक बसों की तैनाती से होगा, जो शहरी गतिशीलता की जरूरतों को पूरा करते हुए आर्थिक विकास में योगदान देगा।
  • ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देना:
    • यह ई-मोबिलिटी को अपनाने के लिये प्रेरित करती है, जो अपेक्षित मीटर के पीछे विद्युत के बुनियादी ढाँचे के लिये व्यापक समर्थन पर आधारित है।
    • इसके अलावा शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के हिस्से के रूप में महत्त्वपूर्ण चार्जिंग के बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये समर्थन प्राप्त होगा।
    • यह समग्र दृष्टिकोण न केवल ऊर्जा-कुशल इलेक्ट्रिक बसों को अपनाने में तेज़ी लाता है बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार को भी बढ़ावा देता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव और GHG में कमी:
    • विद्युत गतिशीलता की ओर बदलाव से बड़े पर्यावरणीय लाभ होने का अनुमान है।
    • ध्वनि और वायु प्रदूषण को कम करने के साथ कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगाकर, यह योजना व्यापक स्थिरता लक्ष्यों को हासिल करेगी
    • बस-आधारित सार्वजनिक परिवहन के बढ़ते उपयोग से भी एक बदलाव आएगा, जिससे ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में कमी आएगी।

ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिये सरकारी पहल:

आगे की राह

  • "पी.एम.-ईबस सेवा" योजना टिकाऊ शहरी गतिशीलता और इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने को बढ़ावा देने में एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
  • प्रत्यक्ष रोज़गार सृजन, बुनियादी ढाँचे के विकास और पर्यावरण संरक्षण तक विस्तृत अपने बहुआयामी दृष्टिकोण के साथ, यह योजना लचीली एवं पर्यावरण-अनुकूल शहरी परिवहन प्रणाली बनाने के लिये भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण प्रस्तुत करती है।
  • इस दूरगामी सोच वाली रणनीति का शहरी विकास और पर्यावरण प्रबंधन दोनों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।

स्रोत: द हिंदू

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