जैव विविधता और पर्यावरण
प्लांट डिस्कवरी, 2020: बीएसआई
- 25 Sep 2021
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन, भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण, प्लांट डिस्कवरी, 2020 मेन्स के लिये:जैव विविधता संरक्षण और चुनौतियाँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India-BSI) ने अपने नए प्रकाशन प्लांट डिस्कवरी (Plant Discoveries), 2020 में देश की वनस्पतियों में 267 नई प्रजातियाँ जोड़ी हैं।
- इससे पहले जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Convention on Biological Diversity) ने वर्ष 2030 तक प्रकृति का प्रबंधन करने के लिये विभिन्न स्रोतों से विकासशील देशों को अतिरिक्त 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर देने की मांग की थी।
प्रमुख बिंदु
- प्लांट डिस्कवरी, 2020 के विषय में:
- भारत के वनस्पतियों की नई खोज में बीजीय पौधों की 119, कवक की 57, लाइकेन की 44, शैवाल की 21, सूक्ष्मजीवों की 18, ब्रायोफाइट्स की पाँच और फर्न एवं फर्न सहयोगी की तीन प्रजातियाँ शामिल हैं।
- भारत में पौधों की लगभग 45,000 प्रजातियाँ (विश्व की कुल पौधों की प्रजातियों का लगभग 7%) हैं, जिन्हें पहले ही पहचाना और वर्गीकृत किया जा चुका है।
- देश के लगभग 28% पौधे स्थानिक हैं।
- नई खोजों में से कुछ उदाहरण हैं:
- दार्जिलिंग से बालसम (Balsams) की नौ नई प्रजातियाँ और जंगली केले (मूसा प्रधानी) की एक प्रजाति।
- कोयंबटूर से जंगली जामुन की एक-एक प्रजाति।
- ओडिशा की फर्न प्रजाति कंधमाल (Kandhamal)।
- भारत के वनस्पतियों की नई खोज में बीजीय पौधों की 119, कवक की 57, लाइकेन की 44, शैवाल की 21, सूक्ष्मजीवों की 18, ब्रायोफाइट्स की पाँच और फर्न एवं फर्न सहयोगी की तीन प्रजातियाँ शामिल हैं।
- प्रजातियों का भौगोलिक वितरण:
- इन प्रजातियों में से पश्चिमी घाट से 22%, पश्चिमी हिमालय से 15%, पूर्वी हिमालय से 14% और पूर्वोत्तर पर्वतमाला से 12% की खोज की गई है।
- नई प्रजातियों में से 10% की खोज पश्चिमी तट से, 9% की खोज पूर्वी तट से, 4% की खोज पूर्वी घाट और दक्षिण दक्कन एवं 3% की खोज मध्य उच्च भूमि तथा उत्तरी दक्कन से की गई है।
- खोज का महत्त्व:
- भारत 'जैविक विविधता पर कन्वेंशन' का हस्ताक्षरकर्त्ता है और पौधों के संरक्षण की वैश्विक रणनीति की दिशा में काम करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- प्रत्येक वर्ष की जाने वाली नई पौधों की खोज को बीएसआई द्वारा संकलित और प्रलेखित किया जाता है, जो भारत की व्यापक प्रलेखन तथा पौधों की विविधता की पहचान की वैश्विक प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिये केंद्रीय भूमिका निभाता है।
- सीबीडी (जैव विविधता के संरक्षण के लिये कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि) वर्ष 1993 से लागू है।
- भारत 'जैविक विविधता पर कन्वेंशन' का हस्ताक्षरकर्त्ता है और पौधों के संरक्षण की वैश्विक रणनीति की दिशा में काम करने के लिये प्रतिबद्ध है।
भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के विषय में:
- यह देश के जंगली पौधों के संसाधनों पर टैक्सोनॉमिक और फ्लोरिस्टिक अध्ययन करने के लिये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (MoEFCC) के तहत एक शीर्ष अनुसंधान संगठन है। इसकी स्थापना वर्ष 1890 में की गई थी।
- इसके नौ क्षेत्रीय वृत्त देश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं। हालाँकि इसका मुख्यालय कोलकाता, पश्चिम बंगाल में स्थित है।
- कार्य:
- सामान्य और संरक्षित क्षेत्रों विशेष रूप से हॉटस्पॉट तथा नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र में पादप विविधता की खोज, सूची व प्रलेखन।
- राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला फ्लोरा का प्रकाशन।
- संकटग्रस्त एवं संरक्षण की आवश्यकता वाले समृद्ध क्षेत्रों की प्रजातियों और लाल सूची वाली प्रजातियों की पहचान करना।
- वनस्पति उद्यानों में गंभीर रूप से संकटग्रस्त प्रजातियों का एक्स-सीटू संरक्षण।
- पौधों से जुड़े पारंपरिक ज्ञान (एथनो-बॉटनी) का सर्वेक्षण और प्रलेखन।
- भारतीय पौधों का राष्ट्रीय डेटाबेस विकसित करना, जिसमें हर्बेरियम और जीवित नमूने, वनस्पति चित्र आदि शामिल हैं।