विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
पर्सिवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर ली गईं ग्रहण की तस्वीरें
- 27 Apr 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:पर्सिवरेंस रोवर, मंगल ग्रह, राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन मेन्स के लिये:पर्सिवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह पर ली गईं ग्रहण की तस्वीरों का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) के पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल ग्रह पर सूर्यग्रहण की तस्वीरें लीं।
- पर्सिवरेंस रोवर ने मंगल के दो चंद्रमाओं में से एक फोबोस पर ग्रहण के कारण पड़ने वाले प्रभावों से युक्त विशेषताओं वाली तस्वीरें लीं। फोबोस बहुत धीरे-धीरे मंगल की ओर बढ़ रहा है और अब से लाखों वर्षों बाद वे टकराएंगे।
- ये अवलोकन वैज्ञानिकों को चंद्रमा की कक्षा को बेहतर ढंग से समझने और इसका गुरुत्वाकर्षण कैसे मंगल की सतह पर आकर्षित करता है तथा अंततः लाल ग्रह के क्रस्ट व मेंटल को आकार देता है, को जानने में मदद कर सकते हैं।
सूर्यग्रहण :
- जब पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य चंद्रमा आ जाता है तब सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुँच पाता और पृथ्वी की सतह के कुछ हिस्से पर दिन में अँधेरा छा जाता है। इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं।
- चंद्रमा की छाया के दो भाग होते हैं: एक मध्य क्षेत्र छाया (Umbra) और एक बाहरी क्षेत्र उपच्छाया (Penumbra)। छाया का कौन सा भाग पृथ्वी के ऊपर से गुज़रता है, इसके आधार पर तीन प्रकार के सूर्यग्रहण देखे जा सकते हैं:
- पूर्ण सूर्यग्रहण- सूर्य का पूरा मध्य भाग चंद्रमा द्वारा अवरुद्ध/ढक लिया जाता है।
- आंशिक सूर्यग्रहण- सूर्य की सतह का केवल एक हिस्सा की अवरुद्ध होता है।
- वलयाकार सूर्यग्रहण- सूर्य को इस प्रकार ढका जाता है कि सूर्य की डिस्क से केवल एक छोटा वलय जैसा प्रकाश का गोलाकर छल्ला दिखाई देता है। इस रिंग को रिंग ऑफ फायर के नाम से जाना जाता है।
- वलयाकार सूर्यग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी से सबसे दूर होता है। चूंँकि चंद्रमा पृथ्वी से दूर होता है, इस कारण यह छोटा लगता है और सूर्य के पूरे दृश्य को अवरुद्ध करने या ढकने में असमर्थ होता है, जिसके कारण अंँगूठी जैसी संरचना देखी जा सकती है।
पर्सिवरेंस रोवर:
- पर्सिवरेंस रोवर के बारे में:
- पर्सिवरेंस अत्यधिक उन्नत, महँगी और परिष्कृत चलायमान प्रयोगशाला है जिसे मंगल ग्रह पर भेजा गया है।
- यह मिशन पिछले मिशनों से भिन्न है क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण चट्टानों और मिट्टी के नमूनों की खुदाई करने एवं उन्हें एकत्रित करने में सक्षम है तथा इन्हें मंगल की सतह पर एक गुप्त स्थान पर सुरक्षित किया जा सकता है।
- यह नासा के मार्स 2020 मिशन का केंद्रबिंदु है जिसमें छोटा रोबोट और समाक्षीय (Coaxial) हेलीकॉप्टर इनजेनिटी भी शामिल है।
- लॉन्च: 30 जुलाई 2020
- लैंडिंग: 18 फरवरी 2021
- शक्ति का स्रोत:
- इसमें एक बहु-मिशन रेडियोआइसोटोप थर्मोइलेक्ट्रिक जेनरेटर है जो प्लूटोनियम (प्लूटोनियम डाइऑक्साइड) के प्राकृतिक रेडियोधर्मी क्षय से गर्मी को बिजली में परिवर्तित कर देता है।
- उद्देश्य:
- पर्सिवरेंस का प्राथमिक उद्देश्य प्राचीन सूक्ष्मजीवों के जीवन के संकेतों की तलाश करना है।
- पर्सिवरेंस रोवर लाल ग्रह के रेजोलिथ, चट्टान और धूल का अध्ययन व विश्लेषण कर रहा है, यह गुप्त रूप से छुपे हुए नमूने एकत्र करने वाला पहला रोवर है।
मंगल ग्रह:
- आकार और दूरी:
- यह सूर्य से दूरी के क्रम में चौथा ग्रह है और सौरमंडल का दूसरा सबसे छोटा ग्रह है।
- मंगल ग्रह पृथ्वी के आकार का लगभग आधा है।
- पृथ्वी से समानता (कक्षा और घूर्णन):
- मंगल ग्रह सूर्य का परिक्रमण 24.6 घंटे में पूरा करता है, जो पृथ्वी पर लगभग एक दिन (23.9 घंटे) के समान है।
- मंगल ग्रह का घूर्णन अक्ष सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा के तल के सापेक्ष 25 डिग्री झुका हुआ है। यह पृथ्वी के अक्षीय झुकाव 23.4 डिग्री के समान है।
- पृथ्वी की भांँति मंगल ग्रह पर भी अलग-अलग मौसम पाए जाते हैं, लेकिन ये पृथ्वी के मौसम की तुलना में अधिक समय तक अपरिवर्तित रहते हैं क्योंकि मंगल ग्रह की अवस्थिति दूर है जिससे इसे सूर्य की परिक्रमा करने में अधिक समय लगता है।
- मंगल ग्रह के दिनों को सोल कहा जाता है- 'सौर दिवस' का छोटा रूप।
- सतह:
- इसकी सतह भूरी, सुनहरी और हल्के पीले रंग जैसी है। मंगल ग्रह चट्टानों में लोहे का ऑक्सीकरण या जंग लगने तथा धूल के कारण लाल दिखाई देता है। इसलिये इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है।
- मंगल ग्रह परओलंपस मॉन्स सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। यह न्यू मैक्सिको राज्य के आकार के समान आधार वाले पृथ्वी के माउंट एवरेस्ट से तीन गुना लंबा है।
- वातावरण:
- मंगल ग्रह का वातावरण पतला है जो ज़्यादातर कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन और आर्गन गैसों से बना है।
- मैग्नेटोस्फीयर:
- मंगल ग्रह में कोई चुंबकीय क्षेत्र नहीं है, लेकिन दक्षिणी गोलार्द्ध क्षेत्र में मंगल ग्रह की भू-पर्पटी अत्यधिक चुंबकीय है, जो इसके चुंबकीय क्षेत्र होने का संकेत डेता है।
- उपग्रह:
- मंगल के दो छोटे उपग्रह- फोबोस और डीमोस हैं।
अन्य मंगल मिशन:
- एक्सोमार्स रोवर (2021):
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने सितंबर 2022 में मंगल पर एक संयुक्त मिशन भेजने की योजना बनाई है।
- यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद से इसे निलंबित कर दिया गया है।
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने सितंबर 2022 में मंगल पर एक संयुक्त मिशन भेजने की योजना बनाई है।
- तियानवेन-1: चीन का मंगल मिशन:
- चीन का पहला मंगल मिशन सतह के नीचे पानी की तलाश करेगा ताकि जीवन की खोज की जा सके।
- यूएई का होप मार्स मिशन (यूएई का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन) (2021):
- यूएई का होप मार्स मिशन मंगल के जलवायु की पूरी जानकारी प्रदान करेगा।
- भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान (2013):
- इसे नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।
- मार्स 2 और मार्स 3 (1971):
- सोवियत संघ द्वारा मार्स 2 और मार्स 3 अंतरिक्षयान वर्ष 1971 में लॉन्च किये गए।