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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मंगल के ‘असतत् औरोरा’

  • 06 Jul 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

होप अंतरिक्षयान, मंगल के ‘असतत् औरोरा’

मेन्स के लिये:

औरोरा की उपस्थिति तथा इसका वैज्ञानिक महत्त्व

चर्चा में क्यों

हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के होप अंतरिक्षयान ने मंगल ग्रह पर रात के दौरान आकाश में चमकती वायुमंडलीय रोशनी की छवियों को कैप्चर किया है, जिसे ‘असतत् औरोरा’ (Discrete Aurora) के रूप में जाना जाता है।

  • होप प्रोब, अरब दुनिया का पहला मंगल ग्रह आधारित मिशन है जो जुलाई 2020 में पृथ्वी से रवाना हुआ और फरवरी 2021 से लाल ग्रह (मंगल) की परिक्रमा कर रहा है। इसके द्वारा मंगल ग्रह के वायुमंडल का पहला पूर्ण चित्र बनाए जाने की उम्मीद है।

Auroras-of-Mars

प्रमुख बिंदु:

औरोरा:

  • ऑरोरा आकाश में एक प्रकाशदीप्ति है जिसे मुख्य रूप से उच्च अक्षांश क्षेत्रों (आर्कटिक और अंटार्कटिक) में देखा जाता है। इसे ध्रुवीय प्रकाश के रूप में भी जाना जाता है।
  • ये आमतौर पर उच्च उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों पर घटित होते हैं, यह मध्य अक्षांशों पर कम पाए जाते हैं, और कभी-कभी भूमध्य रेखा के पास देखे जाते हैं।
  • आमतौर पर एक औरोरा दूधिया हरा रंग, लाल, नीला, बैंगनी, गुलाबी और सफेद भी दिख सकता है। ये रंग लगातार बदलते आकार की एक किस्म के रूप में दिखाई देते हैं।
  • औरोरा केवल पृथ्वी पर ही नहीं बल्कि यदि किसी ग्रह में वातावरण और चुंबकीय क्षेत्र मौजूद है, तो संभवतः वहाँ पर भी औरोरा की उपस्थिति होती है।

पृथ्वी पर औरोरा का कारण:

  • औरोरा (Auroras) तब उत्पन्न होता है जब सूर्य की सतह से निकले आवेशित कण (जिन्हें सौर वायु कहा जाता है) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं ।
  •  कुछ औरोरा पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में ऑक्सीजन और नाइट्रोजन के साथ अंतरिक्ष से आवेशित कणों के बीच घर्षण के कारण होता है।
  • इलेक्ट्रॉन - जो पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर  (पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित अंतरिक्ष क्षेत्र) से आते हैं, यह अपनी ऊर्जा को ऑक्सीजन और नाइट्रोजन परमाणुओं तथा अणुओं में स्थानांतरित करते हैं, जिससे वे "उत्सर्जित" हो जाते हैं।
  • जब वायुमंडल पर विस्फोटक के रूप में मैग्नेटोस्फीयर से बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉन आते हैं, तो ऑक्सीजन और नाइट्रोजन कणों का पता लगाने के लिये पर्याप्त प्रकाश उत्सर्जित कर सकते हैं, जिससे हमें सुंदर औरोरा दिखाई देते हैं।
  • हमारे ग्लोब के उत्तरी भाग में ध्रुवीय रोशनी को औरोरा बोरेलिस या उत्तर ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है और इसे यूएस (अलास्का), कनाडा, आइसलैंड, ग्रीनलैंड, नॉर्वे, स्वीडन तथा फिनलैंड से देखा जाता है।
  • दक्षिण में उन्हें औरोरा ऑस्ट्रेलिया या दक्षिण ध्रुवीय ज्योति कहा जाता है तथा अंटार्कटिका, चिली, अर्जेंटीना, न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे उच्च अक्षांशों में  दिखाई देते हैं।

मंगल के असतत् औरोरा:

  • पृथ्वी पर औरोरा के विपरीत जो केवल उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के पास देखा जाता है, मंगल ग्रह पर असतत् औरोरा (Discrete Aurora) को रात के समय ग्रह के चारों ओर देखा जाता है।
  • इन असतत् औरोराओं का पता वहाँ लगाया जाता है जहाँ ऊर्जावान कण मंगल की सतह पर खनिजों से उत्पन्न होने वाले चुंबकीय क्षेत्रों के एक पैची नेटवर्क (Patchy Network) द्वारा वातावरण को उत्तेजित करते हैं।

मंगल ग्रह के औरोरा अलग हैं:

  • पृथ्वी के विपरीत जिसमें एक मज़बूत चुंबकीय क्षेत्र है, मंगल ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र काफी हद तक समाप्त हो गया है। ऐसा इसलिये है क्योंकि ग्रह के आंतरिक भाग में पिघला हुआ लोहा जो चुंबकत्व पैदा करता है, ठंडा हो गया है।
  • हालाँकि मंगल ग्रह की भूपर्टी, जो अरबों वर्ष पहले कठोर हो गई थी, में कुछ चुंबकत्व है।
  • पृथ्वी के विपरीत मंगल ग्रह पर चुंबकत्व असमान रूप से वितरित है।
  • ये असंबद्ध क्षेत्र सौर हवा को मंगल ग्रह के वायुमंडल के विभिन्न हिस्सों में प्रसारित करते हैं, ग्रह की पूरी सतह पर "असतत्” औरोरा बनाते हैं क्योंकि आवेशित कण आकाश में परमाणुओं और अणुओं के साथ मेल करते हैं, जैसा कि वे पृथ्वी पर करते हैं।

महत्त्व:

  • मंगल ग्रह के औरोरा का अध्ययन वैज्ञानिकों के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह इस बात का सुराग दे सकता है कि जीवन को बनाए रखने हेतु आवश्यकताओं के बीच लाल ग्रह ने अपना चुंबकीय क्षेत्र और घने वातावरण को क्यों खो दिया।
  • संयुक्त अरब अमीरात के मंगल मिशन के दौरान एकत्रित जानकारी के साथ वैज्ञानिकों को मंगल के वायुमंडल की विभिन्न परतों की जलवायु गतिशीलता की बेहतर समझ प्राप्त होगी।

अन्य मंगल मिशन

  • नासा का मंगल 2020 मिशन (पर्सिवरेंस रोवर): इस मिशन को मंगल ग्रह के भू-विज्ञान को बेहतर ढंग से समझने तथा जीवन के प्राचीनतम संकेतों की तलाश के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • तियानवेन -1: चीन का मंगल मिशन: इसे वर्ष 2019 में ग्रह की मिट्टी, भूवैज्ञानिक संरचना, पर्यावरण, वायुमंडल और पानी की वैज्ञानिक जाँच करने के उद्देश्य से लॉन्च किया गया था।
  • भारत का मंगल ऑर्बिटर मिशन (MOM) या मंगलयान: इसे नवंबर 2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया था।

स्रोत: इंडियन एक्स्प्रेस

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