भुगतान अवसंरचना विकास कोष (PIDF) | 07 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने भुगतान अवसंरचना विकास कोष (Payment Infrastructure Development Fund- PIDF) योजना के संचालन की घोषणा की है।
प्रमुख बिंदु
उद्देश्य:
- देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने के साथ ही टियर-3 से टियर-6 शहरों (केंद्रों) में भुगतान स्वीकृति अवसंरचना का विकास करना।
समयावधि:
- इस कोष का संचालन 1 जनवरी, 2021 से तीन वर्षों की अवधि के लिये किया जाएगा तथा इसे आगे दो और वर्षों के लिये बढ़ाया जा सकता है।
प्रबंधन:
- PIDF के प्रबंधन के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर बीपी कानूनगो की अध्यक्षता में एक सलाहकार परिषद (AC) का गठन किया गया है।
वित्त का आवंटन:
- वर्तमान में PIDF की कुल निधि 345 करोड़ रुपए है जिसमें RBI का योगदान 250 करोड़ रुपए तथा देश के प्रमुख अधिकृत कार्ड नेटवर्क का योगदान 95 करोड़ रुपए है। अधिकृत कार्ड नेटवर्क द्वारा कुल 100 करोड़ रुपए का योगदान किया जाएगा।
- इस कोष के अलावा PIDF को कार्ड नेटवर्क और कार्ड जारी करने वाले बैंकों से वार्षिक योगदान भी प्राप्त होगा।
- उदाहरण के लिये कार्ड नेटवर्क को प्रति रुपए हस्तांतरण पर 0.01 पैसे का योगदान करना होगा।
- कार्ड नेटवर्क की भूमिका व्यापारियों और कार्ड जारी करने वालों जैसे- मास्टर कार्ड, वीज़ा आदि के मध्य लेन-देन को सुविधाजनक बनाना है।
कार्यान्वयन:
- इसका उद्देश्य ऐसे व्यापारियों को लक्षित करना होगा जिन्हें अभी तक टर्मिनलाइज (ऐसे व्यापारी जिनके पास भुगतान स्वीकृति हेतु कोई डिवाइस उपलब्ध नहीं है) नहीं किया गया है।
- परिवहन और आतिथ्य, सरकारी भुगतान, ईंधन पंप, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) की दुकानों, स्वास्थ्य सेवा और किराना दुकान जैसी सेवाओं में लगे व्यापारियों को इसमें शामिल किया जा सकता है, विशेषकर लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में।
- वित्त का उपयोग भुगतान अवसंरचना को अभिनियोजित करने के लिये बैंकों और गैर-बैंकों को सब्सिडी देने हेतु किया जाएगा, जो विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये प्रासंगिक होगा।
- सलाहकार परिषद विभिन्न क्षेत्रों और स्थानों में बैंकों तथा गैर-बैंकों के अधिग्रहण के लक्ष्य के आधार पर आवंटन के लिये एक पारदर्शी तंत्र तैयार करेगी।
- लक्ष्य के कार्यान्वयन की निगरानी RBI द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक एसोसिएशन (IBA) और पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) की सहायता से की जाएगी।
- अधिग्राही बैंक (अधिग्राहक अथवा व्यापारी बैंक भी) किसी व्यापारी या व्यवसाय की ओर से डेबिट और क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लेन-देन करने वाले वित्तीय संस्थान हैं।
- मल्टीपल पेमेंट एक्सेप्टेंस डिवाइसेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर सपोर्टिंग कार्ड पेमेंट्स जैसे प्वाइंट ऑफ सेल, मोबाइल पॉइंट ऑफ सेल, जनरल पैकेट रेडियो सर्विस (GPRS), पब्लिक स्विच्ड टेलीफोन नेटवर्क (PSTN) तथा क्यूआर कोड- आधारित भुगतान योजना के तहत वित्तपोषित होंगे।
ब्रेकअप ऑफ सब्सिडी:
- भौतिक रूप से स्थापित PoS मशीन की लागत का 30%-50% और डिजिटल PoS के लिये 50%-75% तक की सब्सिडी दी जाएगी।
- सब्सिडी को अर्द्धवार्षिक आधार पर प्रदान किया जाएगा।
जवाबदेहिता:
- सब्सिडी के अधिग्रहणकर्ता लक्ष्यों की प्राप्ति होने पर RBI को त्रैमासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
अन्य संबंधित कदम:
- PIDF की स्थापना ‘भारत में भुगतान एवं निपटान प्रणाली: विज़न 2019-2021’ दस्तावेज़ द्वारा प्रस्तावित उपायों के अनुरूप है।
- भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India-RBI) ने देश में डिजिटल/कैशलेस भुगतान की स्थिति के अध्ययन हेतु एक समग्र डिजिटल भुगतान सूचकांक (Digital Payments Index-DPI) तैयार किया है।