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भारतीय राजनीति

संसदीय सत्र

  • 20 Jul 2021
  • 5 min read

प्रिलिम्स के लिये: 

संसदीय सत्र, मंत्रिपरिषद, कैबिनेट समितियाँ, कोरम, लोकसभा, राज्यसभा 

मेन्स के लिये: 

संसदीय सत्रों का महत्त्व और आयोजन संबंधी मुद्दे

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मंत्रिपरिषद और कैबिनेट समितियों में फेरबदल के बाद संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है।

प्रमुख बिंदु

संसदीय सत्र

  • संसद के सत्र के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 85 में प्रावधान किया गया है।
  • संसद के किसी सत्र को बुलाने की शक्ति सरकार के पास है। 
    • यह निर्णय संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा लिया जाता है जिसे राष्ट्रपति द्वारा औपचारिक रूप दिया जाता है। राष्ट्रपति के नाम पर ही संसद सदस्यों को संसदीय सत्र की बैठक के लिये बुलाया जाता है।
  • भारत में कोई निश्चित संसदीय कैलेंडर नहीं है। परंपरा (अर्थात् संविधान द्वारा प्रदान नहीं किया गया) के मुताबिक संसद के एक वर्ष में तीन सत्र होते हैं।
    • सबसे लंबा, बजट सत्र (पहला सत्र) जनवरी के अंत में शुरू होता है और अप्रैल के अंत या मई के पहले सप्ताह तक समाप्त हो जाता है।
    • दूसरा सत्र तीन सप्ताह का मानसून सत्र है, जो आमतौर पर जुलाई माह में शुरू होता है और अगस्त में खत्म होता है।
    • शीतकालीन सत्र यानी तीसरे सत्र का आयोजन नवंबर से दिसंबर तक किया जाता है।

संसद सत्र आहूत करना:

  • सम्मन (Summoning) संसद के सभी सदस्यों को बैठक के लिये बुलाने की प्रक्रिया है। सत्र को आहूत करने के लिये राष्ट्रपति संसद के प्रत्येक सदन को समय-समय पर सम्मन जारी करता है, परंतु संसद के दोनों सत्रों के मध्य अधिकतम अंतराल 6 माह से ज़्यादा का नहीं होना चाहिये। अर्थात् संसद सत्र का आयोजन वर्ष में कम-से-कम दो बार किया जाना चाहिये।

स्थगन:

  • स्थगन की स्थिति में सभा की बैठक समाप्त हो जाती है और सभा अगली बैठक के लिये नियत समय पर पुन: समवेत होती है। स्थगन एक निर्दिष्ट समय के लिये हो सकता है जैसे घंटे, दिन या सप्ताह।
  •  यदि सभा को अगली बैठक के लिये निर्धारित किसी निश्चित समय/तिथि के बिना समाप्त कर दिया जाता है, तो इसे अनिश्चित काल के लिये स्थगन कहा जाता है।
  • स्थगन और अनिश्चित काल के लिये स्थगन की शक्ति सदन के पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष या सभापति) के पास होती है।

सत्रावसान:

  •  सत्रावसान का आशय सत्र का समाप्त होना है, न कि विघटन (लोकसभा के मामले में क्योंकि राज्यसभा भंग नहीं होती है)।
  • सत्रावसान भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।

कोरम:

  • कोरम अथवा गणपूर्ति का तात्पर्य सदन की बैठक आयोजित करने हेतु उपस्थित आवश्यक सदस्यों की न्यूनतम संख्या से है।
  • संविधान द्वारा लोकसभा और राज्यसभा दोनों के लिये कोरम हेतु सदस्यों की संख्या कुल सदस्य संख्या का 1/10 निर्धारित की गई है।
  • इस प्रकार लोकसभा की बैठक के संचालन हेतु कम-से-कम 55 सदस्य, जबकि राज्यसभा की बैठक के संचालन के लिये कम-से-कम 25 सदस्य उपस्थित होने चाहिये।

संसद का संयुक्त सत्र (अनुच्छेद 108):

  • किसी विधेयक पर संसद के दोनों सदनों (लोकसभा तथा राज्यसभा) के मध्य गतिरोध की स्थिति में संविधान द्वारा संयुक्त बैठक की व्यवस्था की गई है।
  • संयुक्त बैठक राष्ट्रपति द्वारा बुलाई जाती है। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा का अध्यक्ष करता है तथा उसकी अनुपस्थिति में लोकसभा का उपाध्यक्ष यह दायित्व निभाता है यदि वह भी अनुपस्थित हो तो इस स्थिति में राज्यसभा का उपसभापति इस दायित्व को निभाता है।
    • यदि उपरोक्त में से कोई भी उपस्थित न हो तो दोनों सदनों की सहमति से संसद का कोई अन्य सदस्य इसकी अध्यक्षता कर सकता है।  

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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