भारतीय इतिहास
पांडुरंग खानखोजे और स्वामी विवेकानंद
- 23 Aug 2022
- 12 min read
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय इतिहास के महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्व, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन, गदर पार्टी मेन्स के लिये:स्वतंत्रता के लिये भारत के संघर्ष में महत्त्वपूर्ण व्यक्तित्वों की भूमिका |
चर्चा में क्यों?
भारत के लोकसभा अध्यक्ष स्वामी विवेकानंद और महाराष्ट्र में जन्मे स्वतंत्रता सेनानी और कृषिविद् पांडुरंग खानखोजे (1883-1967) की प्रतिमाओं का अनावरण करने के लिये मैक्सिको की यात्रा करेंगे।
- अध्यक्ष की यात्रा भारत के बाहर कम चर्चित भारतीय मूल के नेताओं को सम्मानित करने के भारत के प्रयासों का हिस्सा है।
पांडुरंग खानखोजे:
- जन्म:
- पांडुरंग खानखोजे का जन्म 19वीं सदी के अंत में वर्धा, महाराष्ट्र में हुआ था।
- क्रांतिकारी संबंध:
- पांडुरंग खानखोजे जल्द ही क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए।
- हिंदू सुधारक स्वामी दयानंद और उनका आर्य समाज आंदोलन, जिसमें सुधार और सामाजिक परिवर्तन की भावना का आह्वान किया गया, में खानखोजे एक युवा छात्र समूह के नायक बन गए।
- खानखोजे फ्राँसीसी क्रांति और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम के प्रबल प्रशंसक थे।
- विदेश में प्रशिक्षण के लिये भारत छोड़ने से पहले उन्होंने बाल गंगाधर तिलक से मुलाकात की जिनसे वे बहुत प्रेरित हुए ।
- पांडुरंग खानखोजे जल्द ही क्रांतिकारियों के संपर्क में आ गए।
- विदेश में जीवन:
- खानखोजे ने क्रांतिकारी तरीकों और सैन्य रणनीति में आगे के प्रशिक्षण के लिये विदेश जाने का फैसला किया।
- जापान और चीन के राष्ट्रवादियों के साथ समय बिताने के बाद, खानखोजे अंततः अमेरिका चले गए, जहाँ उन्होंने कृषि के छात्र के रूप में कॉलेज में दाखिला लिया।
- एक वर्ष बाद, वह भारत छोड़ने के अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने के लिये कैलिफोर्निया में माउंट तमालपाइस सैन्य अकादमी में शामिल हो गए।
- एक वर्ष बाद, वह भारत छोड़ने के अपने मूल उद्देश्य को पूरा करने के लिये कैलिफोर्निया में माउंट तमालपाइस सैन्य अकादमी में शामिल हो गए।
खानखोजे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल:
- खानखोजे और गदर पार्टी:
- अमेरिका में, खानखोजे ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक भारतीय बौद्धिक शिक्षक लाला हरदयाल से मुलाकात की।
- हरदयाल ने एक प्रचार अभियान शुरू किया था, जिसमें एक समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था जिसमें भारत की स्थानीय भाषाओं में देशभक्ति गीत और लेख शामिल थे।
- इन्हीं प्रारंभिक प्रयासों से वर्ष 1913 में गदर पार्टी उभर कर आई ।
- हरदयाल ने एक प्रचार अभियान शुरू किया था, जिसमें एक समाचार पत्र प्रकाशित किया गया था जिसमें भारत की स्थानीय भाषाओं में देशभक्ति गीत और लेख शामिल थे।
- पांडुरंग खानखोजे वर्ष 1913 में विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा स्थापित गदर पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, सामान्यतः गदर पार्टी के सदस्य पंजाब से संबंधित थे।
- इसका उद्देश्य भारत में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांतिकारी लड़ाई का नेतृत्त्व करना था।
- अमेरिका में, खानखोजे ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक भारतीय बौद्धिक शिक्षक लाला हरदयाल से मुलाकात की।
खानखोजे और मेक्सिको के मध्य संबंध:
- अमेरिका में मेक्सिकोवासियों के साथ संबंध:
- अमेरिका में सैन्य अकादमी में खानखोजे ने मेक्सिको के कई लोगों से मुलाकात की।
- खानखोजे "1910 की मैक्सिकन क्रांति" से प्रेरित थे, जिसने तानाशाही शासन को उखाड़ फेंका था।
- जब वे भारतीय स्वतंत्रता के विचार पर चर्चा करने के उद्देश्य से अमेरिका में भारतीय कृषक-मज़दूरों से मिलने जा रहे थे, तो उन्होंने मैक्सिको के श्रमिकों से भी मुलाकात की थी।
- वह पेरिस में भीकाजी कामा से मिले और अन्य नेताओं के साथ रूस में व्लादिमीर लेनिन से मुलाकात कर भारत की स्वतंत्रता के लिये समर्थन मांगा।
- वह यूरोप में निर्वासन का सामना कर रहे थे और वह भारत नहीं जा सकते थे इस दौरान उन्होंने मेक्सिको में शरण मांगी।
- अमेरिका में सैन्य अकादमी में खानखोजे ने मेक्सिको के कई लोगों से मुलाकात की।
- मेक्सिको में जीवन:
- मेक्सिको में कुछ मित्रों की सहायता से उन्हें मेक्सिको सिटी के पास चैपिंगो में नेशनल स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर में प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
- उन्होंने मकई, गेहूँ, दाल और रबर पर शोध किया, शीत और सूखा प्रतिरोधी किस्मों का विकास किया तथा मैक्सिको में हरित क्रांति लाने के प्रयास में शामिल थे।
- बाद में 20वीं शताब्दी में भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले अमेरिकी कृषि विज्ञानी डॉ. नॉर्मन बोरलॉग ने मैक्सिकन गेहूँ की किस्म का भारत में उपयोग शुरू किया गया।
- खानखोजे मेक्सिको में एक कृषि वैज्ञानिक के रूप में प्रतिष्ठित थे।
- प्रसिद्ध मैक्सिकन कलाकार डिएगो रिवेरा ने भित्ति चित्रों में खानखोजे को चित्रित किया गया था, जिसमें 'अवर डेली ब्रेड' शीर्षक भी शामिल था, जिसमें प्रमुख रूप से उन्हें एक मेज के चारों ओर बैठे लोगों के साथ भोजन करते हुए दिखाया गया था।
स्वामी विवेकानंद:
- जन्म:
- स्वामी विवेकानंद का मूल नाम नरेंद्रनाथ दत्त था जिनका जन्म 12 जनवरी, 1863 को हुआ था।
- स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।
- वर्ष 1893 में, खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर, उन्होंने 'विवेकानंद' नाम अपनाया।
- योगदान:
- विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
- उन्होंने पश्चिमी लेंस के माध्यम से हिंदू धर्म की व्याख्या, 'नव-वेदांत' का प्रचार किया और आध्यात्मिकता को भौतिक प्रगति के साथ जोड़ने की कोशिशें कीं।
- हमारी मातृभूमि के उत्थान के लिये शिक्षा पर सबसे अधिक ज़ोर दिया। ऐसी शिक्षा जो मानव निर्मित चरित्र-निर्माण करे उसकी वकालत की।
- वर्ष 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में अपने भाषण के लिये सबसे अधिक प्रसिद्धि मिली।
- सांसारिक सुख और मोह से मोक्ष प्राप्त करने के चार मार्गों को अपनी पुस्तकों में वर्णित किया है:
- राज-योग
- कर्म योग
- ज्ञान-योग
- भक्ति योग
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को "आधुनिक भारत का निर्माता" कहा था।
- विश्व को वेदांत और योग के भारतीय दर्शन से परिचित कराया।
- संबद्ध संगठन:
- वह 19वीं सदी के समाज सुधारक रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे और उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- रामकृष्ण मिशन एक ऐसा संगठन है जो मूल्य आधारित शिक्षा, संस्कृति, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण, युवा तथा आदिवासी कल्याण एवं राहत और पुनर्वास के क्षेत्र में काम करता है।
- वर्ष 1899 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की, जो उनका स्थायी निवास बना।
- वह 19वीं सदी के समाज सुधारक रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य थे और उन्होंने वर्ष 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
- मृत्यु:
- वर्ष 1902 में बेलूर मठ में उनका निधन हुआ।
- बेलूर मठ, पश्चिम बंगाल में स्थित, रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय है
गदर पार्टी:
- यह एक भारतीय क्रांतिकारी संगठन था, जिसका उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त कराना था।
- 'गदर' विद्रोह के लिये प्रयुक्त एक उर्दू शब्द है।
- वर्ष 1913 में पार्टी का गठन संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवासी भारतीयों द्वारा किया गया जिसमें ज़्यादातर पंजाबी शामिल थे । हालांँकि पार्टी में भारत के सभी हिस्सों से भारतीय भी शामिल थे।
- गदर पार्टी की स्थापना का उद्देश्य भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी सशस्त्र संघर्ष छेड़ना था।
- पार्टी के अध्यक्ष सोहन सिंह भकना को बनाया गया तथा लाला हरदयाल के नेतृत्व में प्रशांत तट पर सैन फ्रांसिस्को में हिंदी संघ के रूप में इसे स्थापित किया गया था।
- पार्टी के योगदान को भविष्य में भारतीय क्रांतिकारी आंदोलनों की नींव रखने के लिये जाना जाता है जिसने स्वतंत्रता संग्राम में एक और कदम के रूप में कार्य किया।
- गदर पार्टी के अधिकांश सदस्य किसान वर्ग से संबंधित थे, जिन्होंने पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में पंजाब से एशिया के शहरों जैसे- हॉन्गकॉन्ग, मनीला और सिंगापुर में प्रवास करना शुरू किया था।
- बाद में कनाडा और अमेरिका में काष्ठ उद्योग के विकसित होने के साथ कई लोग उत्तरी अमेरिका चले गए जहांँ उन्होंने अपना प्रसार किया लेकिन उन्हें संस्थागत नस्लवाद का भी सामना करना पड़ा।
- गदर आंदोलन ने 'औपनिवेशिक भारत के सामाजिक ढांँचे में अमेरिकी संस्कृति के समतावादी मूल्यों (समतावाद) को स्थानांतरित करने का कार्य किया था।
- समतावाद समानता की धारणा पर आधारित एक सिद्धांत है, अर्थात् सभी लोग समान हैं और उनका सभी संसाधनों पर समान अधिकार है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स: प्रश्न: गदर क्या था: (2014) (a) भारतीयों का क्रांतिकारी संघ जिसका मुख्यालय सैन फ्रांसिस्को में था। उत्तर: (a) प्र. निम्नलिखित उद्धरण का आपके लिये क्या अर्थ है? “प्रत्येक कार्य की सफलता से पहले उसे सैकड़ों कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। जो दृढ़ निश्चयी हैं, वे देर-सबेर प्रकाश को देख पाएँगे।" - स्वामी विवेकानंद (मुख्य परीक्षा, 2021) किसी की निंदा न कीजिये: यदि आप मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ऐसा कीजिये। यदि नहीं, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये और उन्हें अपने रास्ते पर जाने दीजिये" - स्वामी विवेकानंद (मुख्य परीक्षा, 2020) |