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शासन व्यवस्था

‘पाक बे’ योजना और समुद्री मत्स्य पालन विधेयक

  • 09 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

‘पाक बे’ योजना, ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम, प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना

मेन्स के लिये: 

मत्स्य पालन से संबंधित चुनौतियाँ और सरकार द्वारा इस संबंध में किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

केंद्र सरकार ‘पाक बे’ योजना (Palk Bay Scheme) के तहत गहरे समुद्र में मछली पकड़ने वाले जहाज़ों की इकाई लागत को 80 लाख रुपए से बढ़ाकर 1.3 करोड़ रुपए करने पर विचार कर रही है, ताकि इसे मछुआरों के लिये और अधिक आकर्षक बनाया जा सके।

  • इससे पहले समुद्री मत्स्य पालन विधेयक 2021 को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • ‘पाक बे’ योजना के विषय में:
    • ‘डायवर्सिफिकेशन ऑफ ट्राउल फिशिंग बोट्स फ्रॉम पाक स्ट्रेट्स इनटू डीप सी फिशिंग बोट्स’ नामक यह योजना वर्ष 2017 में ‘केंद्र प्रायोजित योजना’ के तौर पर लॉन्च की गई थी।  
    • इसे ‘ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम’ के हिस्से के रूप में लॉन्च किया गया था।
      • ‘ब्लू रेवोल्यूशन स्कीम’ किसानों की आय को दोगुना करने हेतु एक संबद्ध गतिविधि के रूप में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों का हिस्सा है।
    • यह तमिलनाडु-विशिष्ट योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के मछुआरों को तीन वर्ष में 2,000 जहाज़ उपलब्ध कराना और उन्हें ‘बॉटम ट्रालिंग’ छोड़ने के लिये प्रेरित करना है।
      • ‘बॉटम ट्रॉलिंग’ पारिस्थितिक रूप से एक विनाशकारी गतिविधि है, जिसमें ट्रॉलर समुद्र तल में जाल बिछाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप जलीय संसाधनों की भारी नुकसान होता है।
    • इस योजना का एक अन्य उद्देश्य ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा’ (IMBL) के आसपास ‘मत्स्य पालन के दबाव को कम करना’ है, ताकि तमिलनाडु के मछुआरे ‘अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा’ को पार करते हुए श्रीलंकाई जल में न चले जाएँ।
    • योजना का फंडिंग पैटर्न: केंद्र सरकार- 50%, राज्य सरकार- 20%, संस्थागत वित्तपोषण- 10% और लाभार्थी- 20% है।
    • अब तक यह योजना केवल 80 लाख रुपए की लागत वाले जहाज़ों तक सीमित थी, किंतु अब इसे बढ़ा दिया गया है।
    • यह योजना ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ का हिस्सा नहीं है।
  • समुद्री मत्स्य पालन विधेयक:
    • इस विधेयक में ‘मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958’ के तहत पंजीकृत जहाज़ों को ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ (EEZ) में मछली पकड़ने के लिये लाइसेंस देने का प्रस्ताव शामिल है।
    • यह विधेयक मछुआरों के लिये बिना लाइसेंस के ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ नियमों का उल्लंघन करने, भारतीय तटरक्षक बल (ICG) के आदेशों का पालन न करने और तटरक्षक बल की गतिविधियों को बाधित करने के लिये दंड का भी प्रावधान करता है।
    • यह विधेयक भारतीय ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ में मछली पकड़ने वाले विदेशी जहाज़ों पर रोक लगाता है, इस प्रकार यह भारतीय ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ का राष्ट्रीयकरण करता है।
    • यह मत्स्य पालन क्षेत्र में संलग्न श्रमिकों के लिये सामाजिक सुरक्षा का प्रावधान करता है और चरम मौसम की घटनाओं के दौरान समुद्र में जीवन की सुरक्षा का आह्वान करता है।

समुद्री क्षेत्र

  • ‘यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी’ (UNCLOS) के तहत समुद्री जल और समुद्र तल में संसाधनों को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है- आंतरिक जल (IW), प्रादेशिक सागर (TS) और अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ)।
  • आंतरिक जल (IW) का आशय बेसलाइन के भू-भाग वाले हिस्से में मौजूद जल निकायों से है, इसमें खाड़ी और छोटे खंड शामिल हैं।
  • प्रादेशिक सागर (TS) बेसलाइन से 12 समुद्री मील तक फैला होता है, जहाँ हवाई क्षेत्र, समुद्र, समुद्र तल और भूमि तथा सभी जीवित एवं निर्जीव संसाधनों पर एक राष्ट्र की संप्रभुता होती है।
  • ‘अनन्य आर्थिक क्षेत्र’ बेसलाइन से 200 नॉटिकल मील तक फैला होता है। वर्तमान में राष्ट्रों के पास इस क्षेत्र में सभी प्राकृतिक संसाधनों की खोज, दोहन, संरक्षण और प्रबंधन के लिये संप्रभु अधिकार हैं।
  • चूँकि मत्स्य पालन राज्य का विषय है, इसलिये आंतरिक जल और प्रादेशिक सागर में मछली पकड़ना संबंधित राज्यों के दायरे में आता है।
  • अन्य गतिविधियाँ जैसे- अनन्य आर्थिक क्षेत्र में मछली पकड़ना आदि संघ सूची में शामिल हैं।

Baseline

स्रोत: द हिंदू

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