शासन व्यवस्था
जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में पहाड़ी जनजाति
- 04 Nov 2022
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प्रिलिम्स के लिये:अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जनजाति के लिये राष्ट्रीय आयोग, TRIFED, जनजातीय विद्यालयों का डिजिटल रूपांतरण मेन्स के लिये:अनुसूचित जाति और जनजाति से संबंधित मुद्दे |
चर्च में क्यों?
"पहाड़ी जातीय समूह" को अब राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) द्वारा केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की अनुसूचित जनजाति (ST) सूची में शामिल करने के लिये मंज़ूरी दे दी गई है।
- आयोग ने "पद्दारी जनजाति", "कोली" और "गड्डा ब्राह्मण" समुदायों को जम्मू-कश्मीर की एसटी सूची में शामिल करने का भी आह्वान किया।
- वर्तमान में जम्मू और कश्मीर में 12 ऐसे समुदाय हैं जिन्हें अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया है।
किसी समुदाय को अनुसूचित जनजातियों की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया:
- जनजातियों को ST की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया संबंधित राज्य सरकारों की सिफारिश से शुरू होती है, जिसे बाद में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है, जो समीक्षा करता है और अनुमोदन के लिये भारत के महापंजीयक को इसे प्रेषित करता है।
- इसके बाद अंतिम निर्णय के लिये कैबिनेट को सूची भेजे जाने से पहले राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अनुमोदन आवश्यक है।
- इसका अंतिम निर्णय अनुच्छेद 342 में निहित शक्तियों के तहत राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
- किसी भी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करना तभी प्रभावी होता है जब राष्ट्रपति संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने वाले विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों द्वारा पारित किये जाने के बाद, अपनी सहमति देता है।
ST सूची में शामिल होने के फायदे:
- यह कदम अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदायों के सदस्यों को सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत लाभ प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
- कुछ प्रमुख लाभों में पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, विदेशी छात्रवृत्ति और राष्ट्रीय फेलोशिप, शिक्षा के अलावा राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम से रियायती ऋण तथा छात्रों के लिये छात्रावास शामिल हैं।
- इसके अलावा वे सरकारी नीति के अनुसार सेवाओं में आरक्षण और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पाने के भी हकदार होंगे।
भारत में जनजातियों से संबंधित संवैधानिक प्रावधान और पहल:
- संवैधानिक प्रावधान:
- वर्ष 1931 की जनगणना के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों को "बहिष्कृत" और "आंशिक रूप से बहिष्कृत" क्षेत्रों में रहने वाली "पिछड़ी जनजाति" कहा जाता है। वर्ष 1935 के भारत सरकार अधिनियम ने पहली बार प्रांतीय विधानसभाओं में "पिछड़ी जनजातियों" के प्रतिनिधियों को शामिल करने हेतु प्रावधान किया।
- संविधान अनुसूचित जनजातियों की मान्यता के मानदंडों को परिभाषित नहीं करता है, इसलिये वर्ष 1931 की जनगणना में निहित परिभाषा का उपयोग स्वतंत्रता के बाद के प्रारंभिक वर्षों में किया गया था।
- हालाँकि संविधान का अनुच्छेद 366 (25) केवल अनुसूचित जनजातियों को परिभाषित करने के लिये प्रक्रिया प्रदान करता है: "अनुसूचित जनजातियों का अर्थ ऐसी जनजातियों या जनजातीय समुदायों या जनजातियों या जनजातीय समुदायों के कुछ हिस्सों या समूहों से है जिन्हें संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत अनुसूचित जनजाति माना जाता है।
- 342 (1): राष्ट्रपति किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के संबंध में, जबकि राज्य के संदर्भ में राज्यपाल के परामर्श के बाद सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा उस राज्य या संघ राज्य क्षेत्र के संबंध में जनजातियों या जनजातीय समुदायों के हिस्से या जनजातियों या जनजातीय समुदायों के भीतर के समूहों को अनुसूचित जनजाति के रूप में निर्दिष्ट कर सकता है।
- संविधान की पाँचवीं अनुसूची में असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम को छोड़कर अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों तथा अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण से संबंधित प्रावधान है।
- छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।
- कानूनी प्रावधान:
- अस्पृश्यता के खिलाफ नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989
- पंचायतों के प्रावधान (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996
- अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006
अनुसूचित जनजातियों के लिये सरकार की पहल:
- ट्राइफेड
- जनजातीय स्कूलों का डिजिटल परिवर्तन
- विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों का विकास
- प्रधानमंत्री वन धन योजना
- संबंधित समितियाँ:
- शाशा समिति (2013)
- भूरिया आयोग (2002-2004)
- लोकुर समिति (1965)
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. यदि किसी विशेष क्षेत्र को भारत के संविधान की पाँचवीं अनुसूची के अधीन लाया जाता है, तो निम्नलिखित कथनों में से कौन सा इसके परिणाम को सर्वोत्तम तरीके से प्रतिबिंबित करता है? (2022)) (a) इससे जनजातियों की भूमि गैर-जनजातीय लोगों को हस्तांतरित होने से रोका जा सकेगा। उत्तर: (a) प्रश्न. भारत के संविधान की किस अनुसूची के अधीन जनजातीय भूमि के खनन के लिये निजी पक्षकारों के अंतरण को शून्य घोषित किया जा सकता है? (a) तीसरी अनुसूची उत्तर: (b) प्रश्न. स्वतंत्रता के बाद से अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के प्रति भेदभाव को दूर करने के लिये राज्य द्वारा की गई दो मुख्य विधिक पहलें क्या हैं? (मेन्स-2017) |