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शासन व्यवस्था

OTT सेवा प्रदाता बनाम दूरसंचार सेवा प्रदाता

  • 20 Feb 2021
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Cellular Operators Association of India- COAI) ने सरकार से आग्रह किया है कि वह व्हाट्सएप जैसे ओवर-द-टॉप (Over-The-Top) सर्विस प्रोवाइडर्स को लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत लाए तथा जब तक ‘समान सेवा’ और ‘समान नियम’ लागू नहीं होते तब तक टेलीकॉम ऑपरेटर्स पर नेट न्यूट्रैलिटी (Net Neutrality) के नियम लागू न किया जाए।

  • सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया का गठन वर्ष 1995 में एक पंजीकृत गैर-सरकारी सोसाइटी के रूप में किया गया था। इस सोसाइटी के प्रमुख सदस्य जैसे- भारती एयरटेल लिमिटेड, वोडाफोन इंडिया लिमिटेड, रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड आदि पूरे देश में कार्यरत हैं।

प्रमुख बिंदु

ओवर-द-टॉप सेवा प्रदाता:

  • ओटीटी द्वारा एक आईपी नेटवर्क जैसे- इंटरनेट, पारंपरिक दूरसंचार ऑपरेटरों (केबल कंपनियों) को दरकिनार कर ऑडियो, वीडियो आदि सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
  • उदाहरण: स्काइप, वाइबर, व्हाट्सएप, हाइक आदि लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली ओटीटी संचार सेवाएँ हैं।

टीएसपी पर ओटीटी सेवाओं का प्रभाव:

  • ओटीटी एप्लीकेशन सक्रिय रूप से अपनी सेवाएँ प्रदान करने के लिये टीएसपी के बुनियादी ढाँचे का उपयोग करते हैं।
  • कई टेलीकॉम ऑपरेटर्स अपनी सेवाएँ ओटीटी द्वारा दिये जाने के खतरे से परेशान हैं। अनगिनत एप्लीकेशनों को मौजूदा संचार जैसे- एसएमएस आदि के वैकल्पिक स्वरूपों में डिज़ाइन किया गया है।

विनियमन का मुद्दा:

  • लाइसेंसिंग नियम:
    • दूरसंचार ऑपरेटरों को सेवा मानदंडों की गुणवत्ता, खातों की ऑडिट, सेवाओं के लिये स्पेक्ट्रम की खरीद, वस्तु और सेवा कर, लाइसेंस शुल्क तथा स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, कानूनी अवरोधन एवं निगरानी प्रणाली की सुविधा आदि की आवश्यकता होती है, लेकिन ओटीटी पर ऐसी कोई बाध्यता नहीं होती है।
  • UCC विनियमन:
    • दूसरा महत्त्वपूर्ण पक्ष TSPs के लिये वर्ष 2007 से लागू अनपेक्षित वाणिज्यिक संचार (Unsolicited Commercial Communications- UCC) विनियमन है।
    • हाल ही में सरकार ने UCC की शिकायतों और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिये एक नोडल एजेंसी के रूप में डिजिटल इंटेलिजेंस यूनिट (Digital Intelligence Unit) की स्थापना का भी निर्णय लिया है।
    • भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) द्वारा OTT सेवा पर UCC से समझौता करने के लिये एक परामर्श पत्र लाया गया। इसने स्पष्ट किया कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालयों में जब तक इस पर कोई फैसला नहीं आ जाता तब तक ओटीटी कॉलिंग और मैसेजिंग एप पर कोई नियम नहीं लगाए जाएंगे।
  • नेट तटस्थता नियम:
    • नेट न्यूट्रैलिटी सिद्धांत सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट सामग्री और सेवाओं के खिलाफ भेदभाव करने से रोकता है।
    • TRAI ने वर्ष 2016 में डेटा सेवाओं के लिये भेदभावपूर्ण शुल्कों का निषेध नियम (Prohibition of Discriminatory Tariffs For Data Services Regulations), 2016 को जारी किया।
      • इन विनियमों के अनुसार, सामग्री के आधार पर कोई भी सेवा प्रदाता डेटा सेवाओं के लिये भेदभावपूर्ण शुल्क नहीं ले सकता है।
    • TSP नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करते हैं और OTT सेवा प्रदाताओं के राजस्व में हिस्सेदारी प्राप्त किये बिना स्पेक्ट्रम का अधिग्रहण करते हैं।
      • यदि टीएसपी को अंतर मूल्य निर्धारण में भाग लेने की अनुमति नहीं मिलती है तो इनके द्वारा इंटरनेट अवसंरचना में किये जाने वाला निवेश कम हो सकता है।
    • टीएसपी के अनुसार, कुछ वेबसाइटों या एप्लीकेशन को दूसरों की तुलना में उच्च बैंडविड्थ की आवश्यकता होती है।
      • उदाहरण के लिये वीडियो वाली वेबसाइटें छोटे मैसेजिंग एप्लीकेशन की तुलना में अधिक बैंडविड्थ का उपयोग करती हैं, जिसके लिये TSPs को नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने तथा अपग्रेड करने की आवश्यकता होती है।

COAI की मांगें:

  • ट्राई द्वारा जब तक ओटीटी संचार प्रदाताओं के लाइसेंस के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तब तक टीएसपी और ओटीटी के बीच असमानता को आगे नहीं बढ़ाया जाना चाहिये।
  • टीएसपी पर कोई भी नई लाइसेंसिंग शर्तें ऐसे समय तक, जिसमें नेट न्यूट्रैलिटी आदि के लिये ट्रैफिक मैनेजमेंट प्रैक्टिस शामिल है, नहीं लगाई जानी चाहिये।

आगे की राह

  • चूँकि टीएसपी और ओटीटी के बीच अंतर्निहित प्रौद्योगिकी, अभिग्रहण, बाज़ार, मूल्य निर्धारण मॉडल, दुर्लभ संसाधन उपयोग और सेवाओं की गुणवत्ता आदि बहुत अलग हैं, जिससे इनके बीच समानता लाने में समय लगेगा। हालाँकि ओटीटी को सेवा की गुणवत्ता के लिये जिम्मेदारी लेनी चाहिये।

स्रोत: द हिंदू

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