ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो | 28 Mar 2024
प्रिलिम्स के लिये:ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण, स्टार लेबलिंग कार्यक्रम, आत्मनिर्भरता। मेन्स के लिये:ऑर्डर ऑफ द ड्रक ग्यालपो, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह तथा भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले समूह और समझौते |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री को भूटान की अपनी दो दिवसीय राजकीय यात्रा के दौरान भूटान का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार 'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' सम्मानित किया गया।
- वह यह सम्मान पाने वाले पहले विदेशी सरकार प्रमुख हैं।
- भारत व भूटान ने ऊर्जा, व्यापार, डिजिटल कनेक्टिविटी, अंतरिक्ष तथा कृषि के क्षेत्र में कई समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया और समझौतों पर हस्ताक्षर किये एवं दोनों देशों के बीच रेल संपर्क की स्थापना पर समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया।
'ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो' पुरस्कार क्या है?
- परिचय:
- ऑर्डर ऑफ द ड्रुक ग्यालपो भूटान का सबसे सम्मानित नागरिक सम्मान है, जो उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने सेवा, अखंडता और नेतृत्व के मूल्यों को अपनाते हुए समाज में असाधारण योगदान का प्रदर्शन किया है।
- इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के प्राप्तकर्त्ताओं का चयन उनकी उत्कृष्ट उपलब्धियों और समाज पर सकारात्मक प्रभाव के आधार पर सावधानीपूर्वक किया जाता है।
- उनके योगदान का मूल्यांकन भूटानी मूल्यों के अनुरूप किया जाता है, जिसमें समग्र विकास, सांस्कृतिक संरक्षण और क्षेत्रीय सद्भाव पर ज़ोर दिया जाता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री का सम्मान:
- यह सम्मान पाने वाले पहले विदेशी शासनाध्यक्ष के रूप में भारतीय प्रधानमंत्री का चयन दोनों देशों के बीच मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों को रेखांकित करता है।
- यह पुरस्कार उनके नेतृत्व को रेखांकित करता है, जो प्रगति के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की विशेषता है, जो आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की भूटान की राष्ट्रीय दृष्टि के साथ निकटता से मेल खाता है।
- भारतीय प्रधानमंत्री भारत की प्राचीन सभ्यता को प्रौद्योगिकी और नवाचार के एक गतिशील केंद्र में परिवर्तित करते हुए, नियति के प्रतीक के रूप में उभरे हैं।
- पर्यावरण की सुरक्षा और नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारत की प्रगति को वास्तव में सर्वांगीण बनाती है।
भारत और भूटान द्वारा हस्ताक्षरित प्रमुख समझौते क्या हैं?
- रेल संपर्क की स्थापना:
- भारत और भूटान के बीच रेल संपर्क की स्थापना पर एक समझौता ज्ञापन को अंतिम रूप दिया गया, जिसमें कोकराझार-गेलेफू रेल लिंक तथा बनारहाट-समत्से रेल लिंक शामिल हैं।
- पेट्रोलियम, ऑयल, ल्यूब्रिकेंट्स (POL):
- भारत से भूटान तक POL और संबंधित उत्पादों की सामान्य आपूर्ति के लिये एक समझौता किया गया जिसका उद्देश्य सहमत प्रवेश/निकास बिंदुओं के माध्यम से संबंधित उत्पादों की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करना है।
- भूटान खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण (BFDA) की मान्यता:
- भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा BFDA द्वारा उपयोग किये जाने वाले आधिकारिक नियंत्रण की मान्यता के लिये एक समझौता किया गया, जिससे व्यवसाय करने में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा तथा अनुपालन लागत में कमी आएगी।
- ऊर्जा दक्षता एवं ऊर्जा संरक्षण में सहयोग:
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य स्टार लेबलिंग कार्यक्रम को बढ़ावा देने और ऊर्जा ऑडिटर्स के प्रशिक्षण को संस्थागत बनाने जैसे विभिन्न उपायों के माध्यम से भूटान को घरेलू क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने में सहायता करना है।
- फार्माकोपिया, सतर्कता और औषधीय उत्पादों का परीक्षण:
- इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य औषधियों के विनियमन के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाना और सूचनाओं का आदान-प्रदान करना है। यह समझौता भूटान द्वारा भारतीय फार्माकोपिया को स्वीकार करने और किफायती मूल्य पर जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति का अवसर देगा।
- अंतरिक्ष सहयोग के संबंध में संयुक्त कार्य योजना (JPOA):
- यह संयुक्त कार्य योजना विनिमय कार्यक्रमों और प्रशिक्षण के माध्यम से अंतरिक्ष सहयोग को और विकसित करने के लिये एक सुदृढ़ रोडमैप प्रदान करती है।
- डिजिटल कनेक्टिविटी:
- यह समझौता ज्ञापन भारत के राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (NKN) और भूटान के ड्रुक रिसर्च एंड एजुकेशन नेटवर्क के बीच समकक्ष व्यवस्था अथवा पियरिंग अरेंजमेंट के नवीनीकरण के लिये है।
- यह समझौता ज्ञापन भारत और भूटान के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ाएगा तथा भूटान के विद्वानों एवं अनुसंधान संस्थानों को लाभान्वित करेगा।
वर्तमान की क्षेत्रीय चुनौतियों के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री की भूटान यात्रा के क्या निहितार्थ हैं?
- द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करना:
- यह यात्रा, विशेषकर क्षेत्रीय अनिश्चितता और चुनौतियों के दौर में, भूटान के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
- यह यात्रा दोनों देशों के बीच स्थायी मित्रता की पुष्टि करता है और बाह्य दबावों के सामुख परस्पर सहयोग पर ज़ोर देता है।
- भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिये भारत की सहायता, 5,000 करोड़ रुपए में दोगुना वृद्धि कर इसे 10,000 करोड़ रुपए करने की घोषणा इस संबंध में महत्त्वपूर्ण थी।
- चीनी प्रभाव को संतुलित करना:
- भूटान के साथ चीन की बढ़ती भागीदारी के संदर्भ में भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा संबद्ध क्षेत्र में भारत की उपस्थिति और प्रभाव को सशक्त करने का कार्य करती है।
- भूटान के विकास और सुरक्षा हितों के लिये समर्थन प्रदर्शित करके, भारत का लक्ष्य भूटान में अपना प्रभाव बढ़ाने के चीन के किसी भी प्रयास को संतुलित करना है।
- रणनीतिक सहयोग बढ़ाना:
- इस यात्रा में सीमा सुरक्षा और आतंकवाद जैसी आम क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने के लिये रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग सहित रणनीतिक सहयोग पर वार्ता शामिल थी।
- इन क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा में योगदान मिल सकता है।
- आर्थिक भागीदारी को बढ़ावा देना:
- इस यात्रा में भारत और भूटान के बीच आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। इसमें व्यापार, निवेश और बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा देने की पहल शामिल हो सकती है, जो दोनों देशों की आर्थिक वृद्धि एवं विकास के लिये आवश्यक है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर करना:
- दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक अस्थिरता को देखते हुए, भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को दूर किया है, जिसमें सीमा पार आतंकवाद और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखने के लिये पड़ोसी देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता शामिल है।
आगे की राह
- दोनों देशों को अपने संबंधों की अटूट प्रकृति पर बल देना जारी रखना चाहिये और विशेष रूप से बाह्य चुनौतियों के सामने एकजुट होकर प्रदर्शन करना चाहिये। क्षेत्रीय परिवर्तनों और अनिश्चितताओं के बीच उनके संबंधों की स्थायित्व को बनाए रखने के लिये यह एकजुटता महत्त्वपूर्ण है।
- भारत को भूटान के हितों के लिये अपने समर्थन की पुष्टि करनी चाहिये विशेषकर चीन के साथ सीमा वार्ता के संदर्भ में। भारत को भूटान के साथ खड़े होने और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वार्ता के दौरान उसकी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता बरकरार रहे।
- भारत-भूटान के राजनयिक एवं सुरक्षा प्रतिष्ठानों के बीच संचार और समन्वय बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है। इसमें खुफिया जानकारी साझा करना, संयुक्त मूल्यांकन करना और आम चुनौतियों, विशेषकर क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों से निपटने के लिये एकीकृत रणनीति तैयार करना शामिल है।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्स:Q. दुर्गम क्षेत्र एवं कुछ देशों के साथ शत्रुतापूर्ण संबंधों के कारण सीमा प्रबंधन एक कठिन कार्य है। प्रभावशाली सीमा प्रबंधन की चुनौतियों एवं रणनीतियों पर प्रकाश डालिये। (2016) |