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भारतीय अर्थव्यवस्था

ऑनलाइन सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजन फॉर मर्चेंडाईज एक्सपोर्ट

  • 30 Dec 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन (CoO), ट्रेड एग्रीमेंट के प्रकार।

मेन्स के लिये:

निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ और भारत द्वारा हस्ताक्षरित व्यापार समझौतों का महत्त्व।

चर्चा में क्यों?

केंद्र ने 31 जनवरी 2022 तक निर्यातकों पर प्रत्येक आउटबाउंड खेप के लिये सर्टिफिकेट ऑफ ओरिजिन (CoO) प्राप्त करने के लिये अनिवार्य दायित्व को निलंबित कर दिया है। .

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • जिन देशों के साथ भारत का अधिमानी व्यापार समझौता (PTA) हुआ था, उन देशों को निर्यात के लिये 2019 के अंत में ऑनलाइन CoO प्रणाली को नवंबर 2021 से सभी व्यापारिक निर्यात को कवर करने के लिये विस्तारित किया गया था।
    • यह मंच सभी निर्यातकों, सभी मुक्त व्यापार समझौतों (FTA)/अधिमान्य व्यापार समझौतों (PTA) और सभी संबंधित एजेंसियों के लिये एकल पहुँच बिंदु के रूप में कार्य करता है।
  • निर्माण:
    • मंच को विदेश व्यापार महानिदेशक (DGFT) तथा क्षेत्रीय और बहुपक्षीय व्यापार संबंध (RMTR) डिवीजन, वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा डिज़ाइन एवं विकसित किया गया है।
  • महत्त्व:
    • यह ऑनलाइन सुविधा निर्यातक समुदाय को 'व्यापार करने में आसानी' प्रदान करती है और एक क्यूआर कोड के माध्यम से जारी किये गए CoO की वास्तविकता की पुष्टि करने के लिये भागीदार देशों को एक सत्यापन योग्य प्रमाणीकरण तंत्र प्रदान करती है जो जारी किये गए ई-CoO में विश्वसनीयता को जोड़ती है।
  • मर्चेंडाईज़ एक्सपोर्ट की स्थिति:
    • भारत का मासिक व्यापारिक निर्यात लगातार सात महीनों में 30 बिलियन अमेरिकी डॉलर  को पार कर गया है और 2021-22 में सरकार के रिकॉर्ड 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये काफी हद तक प्रतिबद्ध है।
      • मर्चेंडाईज़ एक्सपोर्ट एक विदेशी उपभोक्ता बाज़ार में बिक्री के लिये खुदरा सामान की पेशकश करने की एक विधि है।
  • भारत की निर्यात प्रोत्साहन योजनाएँ:
    • मर्चेंडाइज़ एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम:
      • MEIS को विदेश व्यापार नीति (FTP) 2015-20 में पेश किया गया था, MEIS के तहत, सरकार उत्पाद और देश के आधार पर शुल्क लाभ प्रदान करती है।
    • सर्विस एक्सपोर्ट फ्रॉम इंडिया स्कीम:
      • इसके तहत वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा भारत में स्थित सेवा निर्यातकों को भारत से सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये प्रोत्साहन दिया जाता है।
    • ‘निर्यात उत्पाद पर शुल्क या करों की छूट’ (RoDTEP) योजना:
      • यह भारत में निर्यात बढ़ाने में मदद करने हेतु ‘वस्तु और सेवा कर’ में इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) के लिये पूरी तरह से स्वचालित मार्ग है।
      • इसे जनवरी 2021 में MEIS के प्रतिस्थापन के रूप में शुरू किया गया था, जो विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुरूप नहीं था।
    • राज्य और केंद्रीय करों और लेवी की छूट (RoSCTL):
      • RoSCTL को मार्च 2019 में ऐसे राज्य और केंद्रीय एम्बेडेड शुल्क एवं करों हेतु पेश किया गया था, जो वस्तु और सेवा कर (GST) के माध्यम से वापस नहीं किये जाते हैं।
      • यह केवल कपड़ों और मेड-अप्स के लिये उपलब्ध है। इसे कपड़ा मंत्रालय द्वारा पेश किया गया था।
        • इससे पूर्व इसे ‘रिबेट फॉर स्टेट लेवीज़’ (ROSL) के नाम से जाना जाता था।

व्यापार समझौतों के प्रकार

  • मुक्त व्यापार समझौता (FTA):
    • FTA के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है।
    • ‘मुक्त व्यापार समझौता’ एक ऐसा समझौता है जिसमें दो या दो से अधिक देश एक दूसरे को सरल व्यापार शर्तें, टैरिफ रियायत आदि प्रदान करने हेतु सहमत होते हैं।
    • भारत ने कई देशों, जैसे- श्रीलंका के साथ-साथ विभिन्न व्यापारिक समूहों यथा- आसियान (ASEAN) से FTA पर बातचीत की है।
  • अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA):
    • PTAs या सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) विभिन्न देशों द्वारा व्यापार के संबंध में अपनाई गई एक विशेष स्थिति है। इस प्रकार के समझौते में, दो या दो से अधिक भागीदार एक निश्चित संख्या में टैरिफ लाइनों पर शुल्क को कम करके कुछ उत्पादों को प्रवेश का अधिमान्य अधिकार देते हैं।
    • अधिमान्य व्यापार समझौते में भी कुछ उत्पादों पर शुल्क घटाकर शून्य किया जा सकता है। भारत ने अफगानिस्तान के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (CEPA):
    • ‘व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता’ FTA से अधिक व्यापक होता है।
    • इस समझौते के अंतर्गत सेवाओं, निवेश और आर्थिक साझेदारी के अन्य क्षेत्रों में व्यापार को कवर किया जाता है।
    • भारत ने दक्षिण कोरिया और जापान के साथ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता पर हस्ताक्षर किये हैं।
  • व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (CECA):
    • CECA आमतौर पर व्यापार प्रशुल्क और TRQ (टैरिफ दर कोटा) दरों को कवर करता है। यह व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता की तरह व्यापक नहीं है। भारत ने मलेशिया के साथ व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता पर हस्ताक्षर किये हैं।

स्रोत: द हिंदू

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