अनूठी सुरक्षा स्याही | 21 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला, प्रतिदीप्ति, स्फुरदीप्ति
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory- NPL) के शोधकर्त्ताओं के दल ने एक नए प्रकार की सुरक्षा स्याही का संश्लेषण किया है।
प्रमुख विशेषताएँ:
- यह स्याही 254 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य के पराबैंगनी प्रकाश के स्रोत के संपर्क में आने पर तीव्र लाल रंग का जबकि पराबैंगनी प्रकाश स्रोत के बंद होने के तुरंत बाद हरे रंग का उत्सर्जन करती है।
- लाल रंग का उत्सर्जन प्रतिदीप्ति (Fluorescence) के कारण होता है, जबकि हरे रंग का उत्सर्जन स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) की घटना के कारण होता है।
- इस स्याही के लाल और हरे दोनों रंगों को नग्न आँखों से सामान्य परिवेशी परिस्थितियों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- लाल रंग 611 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य पर उत्सर्जित होता है जबकि हरा 532 नैनो मीटर पर उत्सर्जित होता है।
- इस स्याही का प्रयोग मुद्रा यानि नोटों और पासपोर्ट आदि पर सुरक्षा की दृष्टि से किया जा सकता है।
- इस शोध के परिणाम को जर्नल ऑफ मैटीरियल केमिस्ट्री सी (Journal of Materials Chemistry C) में प्रकाशित किया गया है।
- संभवतः यह अभी तक रिपोर्ट की गई पहली स्याही है जिसमें दो ऐसे वर्णक पाए गए हैं जो एक विशेष तरंगदैर्ध्य के पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर अलग-अलग तरंगदैर्ध्य पर विभिन्न रंगों का उत्सर्जन करते हैं।
- अन्य सामग्रियों के विपरीत यह स्याही पराबैंगनी प्रकाश की उपस्थिति में लाल एवं हरे वर्णक द्वारा एक-दूसरे को रोके या दबाए बिना स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) प्रदर्शित करती है क्योंकि दोनों के उत्सर्जन तरंगदैर्ध्य बिल्कुल अलग-अलग हैं (लाल रंग के लिये 611 नैनो मीटर और हरे रंग के लिये 532 नैनो मीटर)। इसके अलावा, 254 नैनो मीटर तरंगदैर्ध्य वाले पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर भी एक वर्णक का उत्तेजना स्पेक्ट्रम (Excitation Spectrum) दूसरे को कवर नहीं करता है।
स्याही का संश्लेषण
- शोधकर्त्ताओं के दल द्वारा पहले लाल और हरे रंगों का उत्सर्जन करने वाले पिगमेंट को संश्लेषित किया गया। लाल वर्णक को संश्लेषित करने के लिये सोडियम येट्रियम फ्लोराइट (Sodium Yttrium Fluorite) को हाइड्रोथर्मल विधि के माध्यम से युरोपियम (Europium) के साथ डोप (Dope) किया गया, जबकि हरे रंग के वर्णक हेतु स्ट्रोंटियम एल्युमीनियम ऑक्साइड (Strontium Aluminium Oxide) को यूरोपियम (Europium) और डिस्प्रोसियम (Dysprosium) के साथ डोप किया गया।
- स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) के लिये फोटॉनों की निरंतर उत्पादन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हरे वर्णक के लिये दो डोपेंट का उपयोग किया जाता है। इस संदर्भ में युरोपियम इलेक्ट्रॉन (Electrons), जबकि डिस्प्रोसियम छिद्र (Holes) प्रदान करते हैं, तत्पश्चात ये इलेक्ट्रॉन और छिद्र आपस में पुनर्संयोजन के माध्यम से फोटॉन का निर्माण करते हैं।
- अलग-अलग संश्लेषित लाल और हरे रंग के वर्णक को वज़न के आधार पर 3:1 के अनुपात में मिश्रित कर उसे तीन घंटे तक 400 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। 400 डिग्री सेल्सियस पर एनिलिंग (Annealing- धातु को गर्म कर धीरे-धीरे ठंढा करने की प्रक्रिया) यह सुनिश्चित करती है सोडियम येट्रियम फ्लोराइट की छड़ (लाल वर्णक) स्ट्रोंटियम एल्युमीनियम ऑक्साइड के गोले (हरा वर्णक) के साथ अवस्थित है।
- यदि दोनों वर्णक को एनिलिंग के बिना मिलाया जाता है तो ये वर्णक स्याही के निर्माण के दौरान अलग हो जाते हैं, परिणामस्वरूप एकल उत्तेजना (Single Excitation) के साथ स्याही के दोनों रंगों के उत्सर्जन संबंधी वांछित गुण की प्राप्ति संभव नहीं हो पाती है।
- यह स्याही उच्च तापमान पर मिश्रित किये गए दोनों वर्णक को पॉलीविनाइल क्लोराइड (Polyvinyl Chloride- PVC) माध्यम (Medium) में डालकर एवं करीब एक घंटे तक उच्च आवृति के साथ हिलाकर तैयार की जाती है।
- छड़ (Rods) एवं गोले (Spheres) के जुड़ाव का फायदा यह है कि छड़ पूरी तरह से गोले को कवर नहीं कर पाते हैं फलतः दोनों वर्णक पराबैंगनी विकिरण के संपर्क में आ जाते हैं।
प्रतिदीप्ति (Fluorescence) |
स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) |
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स्थायी स्फुरदीप्ति
- यह स्याही पराबैंगनी विकिरण के अल्पकालिक संपर्क में आने पर भी हरे रंग की स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) प्रदर्शित करती है। पराबैंगनी विकिरण के साथ 15 मिनट तक संपर्क में लाने पर यह स्याही करीब चार घंटे तक स्फुरदीप्ति (Phosphorescence) प्रदर्शित करती रहती है।
- शोधकर्त्ताओं ने पाया कि स्याही का उपयोग करके साधारण कागज़ पर छपी छवियाँ उत्कृष्ट भौतिक स्थायित्व और रासायनिक स्थिरता प्रदर्शित करती हैं। इनके अनुसार इस स्याही के प्रयोग से बने चित्र करीब 20 वर्षों तक स्थायी रह सकते हैं।
- उच्च और निम्न (अधिकतम 42 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 10 डिग्री सेल्सियस) तापमान तथा उच्च आर्द्रता के संपर्क में आने पर भी छह महीने के अंत तक चित्रों से होने वाले उत्सर्जन में कोई उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं हुआ।
- इस स्याही से बने चित्रों को विभिन्न विरंजकों के संपर्क में लाने के बावजूद उत्सर्जन में कोई बदलाव नहीं देखने को मिला।