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जैव विविधता और पर्यावरण

वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण

  • 26 Aug 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council of Scientific and Industrial Research- CSIR) तथा राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory- NPL) को वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरणों को प्रमाणित करने हेतु सत्यापन एजेंसी के रूप में नामित किया है।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान की पृष्ठभूमि के तहत कम लागत वाले वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरण, नाइट्रस ऑक्साइड, ओज़ोन और पार्टिकुलेट मैटर के स्तर की निगरानी करेंगे।
  • CSIR और NPL वायु गुणवत्ता निगरानी उपकरणों हेतु अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप, परीक्षण और प्रमाणन सुविधाओं के लिये आवश्यक बुनियादी ढाँचा तथा प्रबंधन प्रणाली विकसित करेंगे।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद

(Council of Scientific and Industrial Research-CSIR)

  • CSIR विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विविध क्षेत्रों में अग्रणी समसामयिक अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
  • CSIR विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
  • CSIR अंतरिक्ष भौतिकी, महासागर विज्ञान, भू-भौतिकी, रसायन, औषध, जीनोमिकी, जैव प्रौद्योगिकी और नैनो प्रौद्योगिकी, पर्यावरणीय इंजीनियरिंग तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में कार्य कर रहा है।
  • CSIR का अध्यक्ष प्रधानमंत्री होता है।
  • CSIR का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला

(National Physical Laboratory- NPL)

  • राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला की स्थापना वर्ष 1943 में वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् के शासी निकाय के रूप की गई थी।
  • NPL का उद्देश्य औद्योगिक वृद्धि तथा विकास में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का समावेश करना है।
  • इन उद्देश्यों को साकार करने के लिये प्रयोगशाला के अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम को वर्तमान में तीन मुख्य अनुसंधान केंद्रों में बांँटा गया है।

(i) पदार्थ केंद्र (Material Center)

(ii) रेडियो और वायुमंडलीय विज्ञान केंद्र (Center for Radio and Atmospheric Sciences)

(iii) मापिकी केंद्र (Metrology Center)

  • केंद्र सरकार ने कम से कम 102 शहरों में 2024 तक 20% -30% प्रदूषण को कम करने के लिये जनवरी में एक कार्यक्रम शुरू किया था। इसमें पहले सेंसर का एक विशाल निगरानी नेटवर्क तैयार किया जाएगा जिसके माध्यम से प्रदूषकों द्वारा स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की जाँच की जा सके।
  • राज्य और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा वर्तमान में प्रयुक्त उपकरणों का आयात किया जाता है जिनकी लागत ज़्यादा होती है।
  • प्रयुक्त उपकरणों की कार्य दक्षता भी सीमित होती थी इसलिये केंद्र सरकार ने नए उपकरणों और उनके मानकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का बनाने का उत्तरदायित्व CSIR और NPL को सौंपा है।

स्रोत: द हिंदू

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