नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


शासन व्यवस्था

गैर-लाभकारी अस्पताल मॉडल अध्ययन: नीति आयोग

  • 30 Jun 2021
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

गैर-लाभकारी अस्पताल

मेन्स के लिये:

गैर-लाभकारी अस्पताल मॉडल

चर्चा में क्यों:

हाल ही में नीति आयोग ने देश में गैर-लाभकारी अस्पताल मॉडल (Not-for-Profit Hospital Model) पर एक व्यापक अध्ययन जारी किया।

  • यह इस तरह के संस्थानों से जुड़ी सही सूचना की कमी को दूर करने और इस क्षेत्र में मज़बूत नीति निर्माण में मदद करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।

नीति आयोग

  • यह भारत सरकार का एक सार्वजनिक नीति थिंक टैंक है, जिसे बॉटम-अप दृष्टिकोण (Bottom-Up Approach) का उपयोग करके आर्थिक नीति-निर्माण प्रक्रिया में भारत की राज्य सरकारों की भागीदारी को बढ़ावा देकर सहकारी संघवाद के साथ सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है।
  • इसे योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है।

प्रमुख बिंदु:

मुख्य विश्लेषण:

  • कम शुल्क (Low Charge)
    • अधिकांश गैर-लाभकारी अस्पताल लाभकारी अस्पतालों की तुलना में कम शुल्क लेते हैं।
    • ग्रामीण समुदाय आधारित अस्पतालों में शुल्क कम होता है, जबकि ग्रामीण सहकारी अस्पतालों में शुल्क की दरें सरकारी अस्पतालों के समान हैं।
  • मनोनयन:
    • अधिकांश गैर-लाभकारी अस्पताल राज्य या केंद्र सरकार की स्वास्थ्य देखभाल योजनाओं के साथ सूचीबद्ध हैं।
  • व्यय: 
    • गैर-लाभकारी अस्पताल नैदानिक देखभाल की कम लागत और परिचालन व्यय को कम करने के लिये विभिन्न साधनों (Levers) का उपयोग करते हैं।
      • अग्रलिखित साधनों का उपयोग किया जाता है- कार्यबल की मल्टीटास्किंग, आंतरिक स्तर पर बेड, डेंटल चेयर, आदि जैसे उपकरणों का निर्माण।
    • गैर-लाभकारी अस्पतालों की परिचालन लागत लाभकारी अस्पतालों की तुलना में कम होती है।
  • गुणवत्ता: 
    • गैर-लाभकारी अस्पतालों की सभी श्रेणियों में गुणवत्तापूर्ण देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जाता है, क्योंकि उनमें से अधिकांश के पास अपनी सेवाओं के लिये किसी-न-किसी प्रकार की मान्यता है।

चुनौतियाँ:

  • भर्ती: 
    • अधिकांश अस्पतालों में डॉक्टरों और कर्मचारियों को भर्ती करना और उन्हें सेवा में बनाए रखना मुश्किल होता है।
  • प्रतिपूर्ति:
    • विलंबित प्रतिपूर्ति और काफी समय से लंबित राशि के कारण उनके नकदी प्रवाह में बाधा पैदा हो रही है और इसका असर उनके संचालन पर पड़ रहा है।
  • वित्तपोषण: 
    • इनमें से कई अस्पताल परोपकार और पूंजीगत व्यय घटकों के लिये अनुदान के रूप में बाहरी वित्तपोषण पर निर्भर हैं, जैसे कि ढाँचागत विस्तार, नई तकनीक की खरीद तथा उन्नत उपकरण।
  • अनुपालन बोझ:
    • कुछ अस्पतालों (विशेष रूप से दूरदराज़ के क्षेत्रों में स्थित) में ब्लड बैंक, क्लिनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट (Clinical Establishments Act) 2010, प्री-कॉन्सेप्शन एंड प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक्स (Pre-Conception and Pre-natal Diagnostic Techniques) 1994 के संचालन और गुणवत्ता मानकों के उच्च अनुपालन हेतु स्टाफ की आवश्यकता दर्ज की गई।

सुझाव:

  • नीतिगत हस्तक्षेप:
    • इन अस्पतालों की पहचान करने के लिये लघु और दीर्घकालिक नीतिगत हस्तक्षेप जैसे मानदंड विकसित करना, इन्हें एक प्रदर्शन सूचकांक के माध्यम से रैंकिंग करना आदि।
  • कर राहत:
    • इन अस्पतालों को बढ़ावा देने के लिये सरकार को चाहिये कि इन अस्पतालों के डोनेशन और सदस्यता शुल्क पर टैक्स छूट बढ़ा दी जाए.
  • इनकी विशेषज्ञता का उपयोग करना:
    • यह लोक कल्याण की भावना के लिये शीर्ष अस्पतालों को बढ़ावा देना और दूरस्थ क्षेत्रों में सीमित वित्त के साथ मानव संसाधनों के प्रबंधन में इन अस्पतालों की विशेषज्ञता का उपयोग करने की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है।

गैर-लाभकारी अस्पताल

परिचय

  • निजी अस्पतालों को बड़े पैमाने पर लाभकारी अस्पतालों और गैर-लाभकारी अस्पतालों में बाँटा गया है।
    • गैर-लाभकारी अस्पतालों में देखभाल की समग्र लागत लाभकारी अस्पतालों की तुलना में लगभग एक-चौथाई कम है।
    • लाभ के लिये कार्यरत अस्पताल में रोगियों का 55.3 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि देश में गैर-लाभकारी अस्पतालों में केवल 2.7% रोगी हैं।
  • रोगियों की सेवा से एकत्र धन से गैर-लाभकारी अस्पताल अपने मालिकों को लाभान्वित नहीं करते हैं। इन अस्पतालों के मालिक अक्सर धर्मार्थ संगठन या गैर-लाभकारी निगम होते हैं।
  • इन अस्पतालों में सेवा के लिये शुल्क आमतौर पर लाभकारी अस्पतालों की तुलना में कम होता है और शुल्क से होने वाली आय को अस्पताल में पुनर्निवेश किया जाता है।
  • ये अस्पताल भारत में स्वास्थ्य सेवा की अनुपलब्धता और दुर्गमता की चुनौतियों का एक संभावित उपाय हैं।

महत्त्व

  • इन अस्पतालों की बुनियादी अवसंरचना, सेवाओं और शुल्कों से देश की वंचित आबादी को ज़रूरतों को पूरा किया जाता है।
  • गैर-लाभकारी अस्पताल न केवल उपचारात्मक बल्कि निवारक स्वास्थ्य सेवा भी प्रदान करते हैं।
  • यह स्वास्थ्य सेवा को सामाजिक सुधार, सामुदायिक जुड़ाव और शिक्षा से जोड़ता है। यह लाभ की चिंता किये बिना लोगों को लागत प्रभावी स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने हेतु सरकारी संसाधनों और अनुदानों का उपयोग करता है।
    • हालाँकि पिछले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है।

स्रोत: पी.आई.बी.

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow