NGT ने पंजाब सरकार पर ज़ुर्माना लगाया | 02 Sep 2024
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI), प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन (संशोधन) नियम, 2022, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)। मेन्स के लिये:भारत में अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़े मुद्दे। |
स्रोत: डाउन टू अर्थ
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने पंजाब सरकार पर कई चेतावनियों के बावजूद राज्य में ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में विफल रहने के लिये 1,000 करोड़ रुपए का ज़ुर्माना लगाया है। यह राशि एक महीने के भीतर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCP) के पास जमा करनी है।
NGT ने पंजाब सरकार पर ज़ुर्माना क्यों लगाया?
- पिछले छह महीनों में लगाए गए ज़ुर्माने: NGT ने ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन में विफलता के कारण यह ज़ुर्माना लगाया हैज़ुर्माने की गणना 5.387 मिलियन टन पुरानेहीने की अवधि में ल अपशिष्ट तथा सीवेज उपचार क्षमता में अंतर के कारण अनुपचारित सीवेज के लिये छह मगाए गए पर्यावरणीय ज़ुर्माने के आधार पर की गई थी।
- बार-बार उल्लंघन: न्यायाधिकरण ने पाया कि पंजाब सरकार वर्ष 2022 में अपने पिछले आदेशों का पालन करने में भी विफल रही है, जिसमें NGT अधिनियम, 2010 की धारा 26 के तहत 2,080 करोड़ रुपए के लिये रिंग-फेंस्ड खाता बनाना भी शामिल है।
- NGT ने पंजाब के मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (शहरी विकास) को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016:
- इन नियमों ने नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (प्रबंधन और हैंडलिंग) नियम, 2000 को प्रतिस्थापित किया है और स्रोत पर अपशिष्ट को पृथक करने, सैनिटरी एवं पैकेजिंग अपशिष्ट के निपटान के लिये निर्माता की ज़िम्मेदारी, बड़े पैमाने पर अपशिष्ट उत्पादकों से अपशिष्ट का संग्रह, निपटान तथा प्रसंस्करण हेतु उपयोगकर्त्ता शुल्क पर ध्यान केंद्रित किया।
- प्रमुख विशेषताएँ:
- उत्पादकों की ज़िम्मेदारी यह निर्धारित की गई है कि वे अपशिष्ट को तीन श्रेणियों में विभाजित करें- गीला (जैवनिम्नीकरणीय), सूखा (प्लास्टिक, कागज, धातु, लकड़ी, आदि) और घरेलू खतरनाक अपशिष्ट (डायपर, मच्छर भगाने वाली दवाइयाँ, आदि) तथा अलग किये गए अपशिष्ट को अधिकृत कूड़ा बीनने वालों या अपशिष्ट संग्रहकर्त्ताओं या स्थानीय निकायों को सौंप दें।
- अपशिष्ट उत्पादकों को यह भुगतान करना होगा:
- अपशिष्ट संग्रहकर्ताओं को ‘उपयोगकर्ता शुल्क’।
- अपशिष्ट फेंकने और अलग न करने पर ‘स्पॉट फाइन’।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण क्या है?
- परिचय
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत 18 अक्तूबर, 2010 को NGT की स्थापना की गई थी।
- इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों का त्वरित और कुशल समाधान करना है।
- इस अधिकरण का नेतृत्व केंद्र सरकार द्वारा CJI के परामर्श से नियुक्त, अध्यक्ष करते हैं, जो मुख्य पीठ पर बैठते हैं और इसमें कम से कम 10-20 न्यायिक सदस्य तथा विशेषज्ञ होते हैं।
- क्षेत्राधिकार
- अधिकरण का क्षेत्राधिकार पर्यावरण अधिकारों को लागू करने, व्यक्तियों और संपत्ति को हुए नुकसान के लिये राहत तथा मुआवज़ा देने एवं पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों को हल करने तक फैला हुआ है
- आवेदन दाखिल करने के मूल क्षेत्राधिकार के अलावा NGT के पास न्यायालय (न्यायाधिकरण) के रूप में अपील सुनने का अपीलीय क्षेत्राधिकार भी है।
- NGT निम्नलिखित कानूनों के तहत दीवानी मामलों का समाधान करता है:
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम,
- जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) उपकर अधिनियम,
- वन (संरक्षण) अधिनियम,
- वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम,
- पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम,
- सार्वजनिक दायित्व बीमा अधिनियम,
- जैविक विविधता अधिनियम, 2002
- अधिकरण का क्षेत्राधिकार पर्यावरण अधिकारों को लागू करने, व्यक्तियों और संपत्ति को हुए नुकसान के लिये राहत तथा मुआवज़ा देने एवं पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मामलों को हल करने तक फैला हुआ है
- शक्तियाँ:
- न्यायाधिकरण CPC,1908 के तहत निर्धारित प्रक्रिया से बाध्य नहीं है, लेकिन 'प्राकृतिक न्याय' के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होगा
- NGT अपने आदेश द्वारा निम्नलिखित प्रावधान कर सकता है
- प्रदूषण और अन्य पर्यावरणीय क्षति (किसी खतरनाक पदार्थ को संभालते समय होने वाली दुर्घटनाओं सहित) से पीड़ित व्यक्तियों को राहत तथा मुआवजा प्रदान करना;
- क्षतिग्रस्त संपत्ति को बहाल करना;
- न्यायाधिकरण ऐसे क्षेत्र या क्षेत्रों में पर्यावरण की बहाली के लिये प्रावधान कर सकता है, जिसे वह उचित समझे।
- न्यायाधिकरण का आदेश अथवा निर्णय सिविल न्यायालय के आदेश के रूप में निष्पादन योग्य है।
- NGT अधिनियम गैर-अनुपालन के लिये दंड की एक प्रक्रिया का भी प्रावधान करता है:
- तीन वर्ष तक की अवधि के लिये कारावास,
- दस करोड़ रुपए तक का ज़ुर्माना
- ज़ुर्माना एवं कारावास दोनों।
- NGT द्वारा दिये गए आदेश/निर्णय/अधिनिर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में संप्रेषण की तिथि से 90 दिनों के भीतर अपील की जा सकती है।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन में प्रमुख प्रशासनिक चुनौतियाँ क्या हैं?
- विनियमों का अपर्याप्त कार्यान्वयन:
- भारत के शहरी केंद्रों में अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना प्रायः अपर्याप्त होते हैं, जहाँ अक्सर पुराने, क्षतिग्रस्त या अपर्याप्त अपशिष्ट संग्रहण सुविधाएँ होती हैं।
- स्रोत पर अपशिष्ट पृथक्करण के प्रवर्तन की कमी के कारण लैंडफिल में अप्रसंस्कृत अपशिष्ट को मिलाकर ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 का उल्लंघन एक गंभीर चिंता का विषय है।
- अंतर-विभागीय समन्वय की कमी:
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिये शहरी विकास, पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे विभिन्न विभागों में समन्वित प्रयासों की आवश्यकता होती है। राज्य सरकारें प्रायः अंतर-विभागीय समन्वय की कमी के कारण अपशिष्ट के संग्रह, प्रसंस्करण तथा निपटान में अक्षमताओं का अनुभव करती हैं।
- संसाधन आवंटन और अवसंरचना की कमी:
- राज्य सरकारों द्वारा वित्तीय और तकनीकी संसाधनों का अपर्याप्त आवंटन आवश्यक अपशिष्ट प्रबंधन अवसंरचना के विकास में बाधा डालता है। विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में इन बाधाओं में अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाएँ, खाद बनाने वाली इकाइयाँ तथा अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्र स्थापित करने में विलंब शामिल है।
- अपशिष्ट निपटान स्थलों की चुनौतियाँ:
- महानगरों में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों के लिये भूमि की कमी के कारण अनुपचारित अपशिष्टों का संचय हो रहा है। अवैध डंपिंग पद्धतियों के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ठोस अपशिष्ट का एक बड़ा हिस्सा बिना संसाधित किये ही रह जाता है।
- महानगरों में अपशिष्ट प्रसंस्करण संयंत्रों के लिये भूमि की कमी के कारण अनुपचारित अपशिष्टों का संचय हो रहा है। अवैध डंपिंग पद्धतियों के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है। ठोस अपशिष्ट का एक बड़ा हिस्सा बिना संसाधित किये ही रह जाता है।
आगे की राह
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नगर पालिकाओं को भविष्य में जनसंख्या वृद्धि को देखते हुए अपने अपशिष्ट प्रसंस्करण क्षमताओं को सक्रिय रूप से बढ़ाना चाहिये। इसके लिये बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट के लिये खाद बनाने और बायोगैस उत्पादन पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
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हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों के साथ सहयोग करके दिल्ली जैसे महानगरीय क्षेत्रों में एक विकेंद्रीकृत अपशिष्ट प्रसंस्करण मॉडल लागू किया जा सकता है।
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इस दृष्टिकोण में इन राज्यों में मौजूदा जैविक खाद बाज़ार का लाभ उठाते हुए कई खाद बनाने के संयंत्र स्थापित करना शामिल हैं
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एक एकीकृत अपशिष्ट प्रबंधन उपागम जो विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण विकल्पों को बड़े पैमाने पर अपशिष्ट प्रसंस्करण सुविधाओं के साथ जोड़ता है, सभी अपशिष्ट धाराओं के व्यापक उपचार को सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है
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यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा कि अपशिष्ट को स्थानीय और क्षेत्रीय दोनों स्तरों पर प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जाए, जो शहरी अपशिष्ट प्रबंधन प्रणालियों की समग्र स्थिरता में योगदान देता है
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारत में अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित मुद्दों के समाधान में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की भूमिका का परिक्षण कीजिये? |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुसार निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सही है? (2019) (a) अपशिष्ट उत्पादक को पाँच कोटियों में अपशिष्ट अलग-अलग करने होंगे। उत्तर: (c) प्रश्न. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एन.जी.टी.) किस प्रकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी.पी.सी.बी.) से भिन्न है? (2018)
उपर्युक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. निरंतर उत्पन्न किये जा रहे फेंके गए ठोस कचरे की विशाल मात्राओं का निस्तारण करने में क्या-क्या बाधाएँ हैं? हम अपने रहने योग्य परिवेश में जमा होते जा रहे जहरीले अपशिष्टों को सुरक्षित रूप से किस प्रकार हटा सकते हैं? (2018) |