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भारतीय अर्थव्यवस्था

नवीन राष्ट्रीय नंबरिंग योजना

  • 30 May 2020
  • 7 min read

प्रीलिम्स के लिये:

राष्ट्रीय नंबरिंग योजना, टेली-घनत्व

मेन्स के लिये:

नवीन राष्ट्रीय नंबरिंग योजना की आवश्यकता 

चर्चा में क्यों?

'भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण' (Telecom Regulatory Authority of India- TRAI) ने देश में नवीन 'राष्ट्रीय नंबरिंग योजना' (National Numbering Plan- NNP) शीघ्र लागू करने की सिफारिश की है ताकि प्रत्येक ग्राहक को ‘विशिष्ट पहचान संख्या’ (Uniquely Identifiable Number- UID) प्रदान की जा सके।

प्रमुख बिंदु:

  • दूरसंचार विभाग, ‘अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ’ (International Telecommunication Union- ITU) के ‘दूरसंचार मानकीकरण क्षेत्र’ (Telecommunication Standardization Sector- ITU-T) अनुशंसाओं के आधार पर फिक्स्ड (लैंडलाइन) तथा मोबाइल नेटवर्क नंबरों का प्रबंधन करता है। 
  • नंबरिंग संसाधनों का प्रबंधन 'राष्ट्रीय नंबरिंग योजना' (National Numbering Plan) के तहत किया जाता है।

नवीन नंबरिंग योजना की आवश्यकता:

  • TRAI का मानना है की हाल ही में टेलीकॉम सेवाओं में व्यापक विस्तार देखने को मिला है तथा टेलीकॉम कनेक्शनों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि देखने को मिली है। इससे ‘उपलब्ध नंबरिंग संसाधनों’ (Availability of Numbering Resources); विशेषकर मोबाइल सेगमेंट में, इनकी पर्याप्त उपलब्धता नहीं है।
  • वर्तमान में उपलब्ध नंबरिंग योजना को वर्ष 2003 में अपनाया गया था तथा ऐसा अनुमान था कि यह नंबरिंग प्रणाली वर्ष 2033 तक उपयुक्त रहेगी परंतु भारत में टेलीफोन ग्राहकों की कुल संख्या जनवरी, 2020 के अंत में 1,177.02 मिलियन थी।

टेली-घनत्व (Tele-Density): 

  • टेलीफोन घनत्व या टेलीडेंसिटी एक क्षेत्र के भीतर रहने वाले प्रत्येक सौ व्यक्तियों पर टेलीफोन कनेक्शनों की संख्या है।
  • जनवरी 2020 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में टेली-घनत्व 87.45% है। 

TRAI द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशें:

  • यह सुनिश्चित करने के लिये कि दूरसंचार सेवाओं के सतत् विकास के लिये पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों, TRAI ने सरकार को ‘राष्ट्रीय नंबरिंग योजना’ की समीक्षा करने तथा आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने को कहा है। 
  • सरकार को नंबरिंग संसाधनों में किसी भी प्रकार के बदलाव से पूर्व निम्नलिखित तीन विकल्पों पर विचार करना चाहिये।
    • वर्तमान 10 अंकीय मोबाइल नंबर प्रणाली के स्थान पर 11-अंकीय मोबाइल नंबर प्रणाली को अपनाना। 
    • ऑपरेटरों द्वारा बंद किये गए मोबाइल नंबरों को टेलिकॉम कंपनियों को पुन:आवंटित करना। 
    • फिक्स्ड लाइन (लैंडलाइन) से कॉल करते समयमोबाइल नंबर के आगे '0' का प्रयोग करना। यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वर्तमान समय में फिक्स्ड लाइन कनेक्शन से ‘इंटर-सर्विस एरिया’ में मोबाइल कॉल के लिये नंबर की शुरुआत में '0' लगाने की ज़रूरत पड़ती है।
  • प्राधिकरण ने यह भी सिफारिश की है कि सभी मशीन-से-मशीन (M2M) कनेक्शन जो 10-अंकीय 'मोबाइल नंबरिंग शृंखला' का उपयोग करते हैं उन्हे दूरसंचार विभाग द्वारा आवंटित 13-अंकीय नंबरिंग शृंखला में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिये। इनमें ऐसे सिम कार्ड्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिये जिनमें केवल डेटा में इस्तेमाल किया जा सके तथा कॉलिंग सुविधा न दी जाए।
  • फिक्स्ड लाइन के साथ-साथ मोबाइल सेवाओं के लिये आवंटित किये जाने वाले नंबरिंग संसाधनों को प्रतिवर्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिये।
  • ‘राष्ट्रीय नंबरिंग आवंटन' को कुशल तथा पारदर्शी तरीके से लागू करने के लिये 'नंबर प्रबंधन प्रणाली सॉफ्टवेयर' का उपयोग किया जाना चाहिये ताकि 'नंबरिंग संसाधनों का आवंटन' स्वचालित तरीके से हो सके। आवश्यकता हो तो आवंटन कार्य दूरसंचार विभाग के समग्र नियंत्रण एवं पर्यवेक्षण में किया जा सकता है।

सुधारों में आने वाली संभावित बाधाएँ:

  • 11 अंकों की प्रणाली को अपनाने से ग्राहकों को अतिरिक्त अंक डायल करने और फोन मेमोरी को अपडेट करने की आवश्यकता होगी।
  • इसके कारण दूरसंचार कंपनियों को नंबर डायलिंग त्रुटियों, राजस्व की हानि आदि का सामना करना पड़ सकता है।
  • टेलीफोन नंबर व्यक्तियों की डिजिटल पहचान से जुड़े होते हैं। वित्तीय बैंकिंग सेवाओं, ई-कॉमर्स, सरकार की कल्याणकारी योजनाओं आदि में व्यक्तिगत पहचान के लिये टेलीफोन नंबर की आवश्यकता होती है। अत: इन सभी सेवाओं के डेटाबेस में परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी।

आगे की राह:

  • वर्तमान में उपलब्ध 10 अंकों आधारित मोबाइल नंबर के स्थान पर 11 अंकों के मोबाइल नंबर प्रणाली को अपनाने में अनेक समस्याओं का सामना पड़ सकता है। अत: 11 अंकों आधारित मोबाइल प्रणाली को तभी अपनाना चाहिये जब 10-अंकों की संख्या के साथ इस प्रणाली को जारी रखने के सभी प्रयास समाप्त हो जाएँ।

स्रोत: द हिंदू

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