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सामाजिक न्याय

सुगम्यता मानकों के लिये नए मसौदा दिशा-निर्देश

  • 11 Nov 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

दिव्यांगों के लिये संवैधानिक और कानूनी ढाँचा

मेन्स के लिये: 

दिव्यांगों हेतु सुगम्यता मानक सुनिश्चित करने हेतु किये गए प्रयास

चर्चा में क्यों?

हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नए ‘सुगम्यता मानकों’ हेतु मसौदा दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • मसौदा दिशा-निर्देशों के विषय में: 
    • उद्देश्य: इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य ‘श्रवण बाधित लोगों के लिये टेलीविज़न कार्यक्रमों हेतु सुगम्यता मानक’ प्रदान करना है।
      • इन मानकों को दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत अधिसूचित किया जाएगा, ताकि सुनने में अक्षम व्यक्तियों के लिये टेलीविज़न सामग्री को अधिक समावेशी बनाया जा सके।
    • स्कोप: सभी प्रोग्रामिंग या सामग्री जैसे- संगीत शो, वाद-विवाद, स्क्रिप्टेड/अनस्क्रिप्टेड रियलिटी शो, आदि और विज्ञापनों एवं टेलीशॉपिंग सामग्री के लिये इन मानकों का पालन करना होगा।
    • अपवाद:
      • लाइव कार्यक्रम जैसे- खेल, लाइव समाचार, लाइव संगीत शो, पुरस्कार शो, लाइव रियलिटी शो आदि।
      • वे चैनल जिनके पास एक वर्ष में 1% से कम औसत दर्शक हैं।
    • सेवा का प्रकार: सेवा प्रदाताओं या प्रसारकों को ‘क्लोज़्ड कैप्शनिंग, सबटाइटल्स, ओपन कैप्शनिंग और/या साइन लैंग्वेज (न केवल हाथ बल्कि चेहरे की अभिव्यक्ति भी) में से कोई एक या अधिक विकल्प चुनने का अधिकार होगा।
      • ओपन कैप्शन बंद नहीं किये जा सकते, जबकि क्लोज़्ड कैप्शन को दर्शक द्वारा चालू और बंद किया जा सकता है।
    • उत्तरदायित्व: कंटेंट के निर्माता इन सेवाओं के लिये सामग्री निर्माण और इसे संबंधित चैनलों एवं प्रसारकों को वितरित करने के लिये उत्तरदायी होंगे।
  • श्रवण बाधितों की सहायता संबंधी उदाहरण:
    • दूरदर्शन पर स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत के राष्ट्रपति के अभिभाषण और प्रत्येक वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के अभिभाषण की सांकेतिक भाषा में व्याख्या की जाती है।
    • हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने निजी सैटेलाइट समाचार टीवी चैनलों को भी 15 अगस्त की दोपहर/शाम में स्वतंत्रता दिवस समारोह के संबोधन को सांकेतिक भाषा में एक लघु कार्यक्रम के माध्यम से प्रसारित करने को कहा है।

दिव्यांगों के लिये संवैधानिक और कानूनी ढाँचा

  • अनुच्छेद 14: राज्य, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर किसी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
    • इस संदर्भ में दिव्यांग व्यक्तियों को संविधान की नज़र में समान और समान अधिकार होने चाहिये।
  • दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन: भारत, दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन का एक हस्ताक्षरकर्त्ता है, जो वर्ष 2007 में लागू हुआ था।
    • यह कन्वेंशन ‘सुगम्यता’ को एक मानवाधिकार के रूप में मान्यता देता है और हस्ताक्षरकर्त्ताओं के लिये दिव्यांग व्यक्तियों हेतु आवश्यक पहुँच अनिवार्य बनाता है।
  • सुगम्य भारत अभियान: सुगम्य भारत अभियान दिव्यांग व्यक्तियों को सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करने और विकास के समान अवसर प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
    • यह अभियान बुनियादी अवसंरचना, सूचना और संचार प्रणालियों में महत्त्वपूर्ण बदलाव करके पहुँच को बढ़ाने का प्रयास करता है।
  • दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016: भारत सरकार ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम, 2016 को अधिनियमित किया, जो दिव्यांग व्यक्तियों से संबंधित प्रमुख और व्यापक कानून है।
    • यह अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के लिये सेवाओं के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों के दायित्त्वों को परिभाषित करता है।
    • अधिनियम दिव्यांग व्यक्तियों के खिलाफ सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करके एक बाधा मुक्त वातावरण बनाने की भी सिफारिश करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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