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भारतीय अर्थव्यवस्था

चाय उद्योग में सुधार की आवश्यकता

  • 19 Sep 2024
  • 16 min read

प्रिलिम्स:

चाय उद्योग, चरम मौसमी घटनाएँ, कीटनाशक, तराई, नीलगिरी, भारतीय चाय बोर्ड, भूस्खलन, वाणिज्य प्रौद्योगिकियाँ, पाम ऑयल, फार्मर फील्ड स्कूल (FFS)।

मेन्स:

चाय उद्योग से संबंधित चुनौतियाँ, चाय उत्पादन पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

स्रोत: इकोनाॅमिक टाइम्स

चर्चा में क्यों? 

वर्ष 2024 में चाय उत्पादन में गिरावट के कारण असम और पश्चिम बंगाल की चाय की कीमतों में लगभग 13% की वृद्धि देखी गई।

भारत में चाय उद्योग की वर्तमान स्थिति क्या है?

  • हाल की प्रवृत्ति:
    • चाय उत्पादन में गिरावट: पश्चिम बंगाल और असम में वर्ष 2024 में चाय उत्पादन में क्रमशः लगभग 21% तथा 11% की गिरावट आई है, जिसके कारण घरेलू कीमतों में 13% की वृद्धि हुई है
    • प्रीमियम उत्पादों की हानि: नष्ट हुई फसल मुख्य रूप से मानसून की पहली एवं दूसरी वर्षा से संबंधित है, जिसे वर्ष की सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली चाय माना जाता है , जिससे उद्योग की लाभप्रदता तथा नकदी प्रवाह पर और अधिक प्रभाव पड़ा।
    • निर्यात बाज़ार में गिरावट: इस वर्ष निर्यात कीमतों में 4% की गिरावट आई है , जो एक निराशाजनक प्रवृत्ति है।
    • चाय बोर्ड से लंबित सब्सिडी: यह उद्योग हाल के वर्षों में किये गए विकास कार्यों के लिये चाय बोर्ड से उचित सब्सिडी प्राप्त नहीं कर पाया है। सब्सिडी न मिलने से वित्तीय बोझ (खासकर कम उत्पादन वाले वर्ष के दौरान) बढ़ गया है।
  • चाय उद्योग से संबंधित अन्य तथ्य: 
    • वैश्विक स्थिति: भारत चीन के बाद विश्व भर में चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत वैश्विक स्तर पर शीर्ष 5 चाय निर्यातकों में से एक (जो कुल वैश्विक चाय निर्यात में लगभग 10% का योगदान देता है) है।
      • अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 तक भारत से चाय निर्यात का कुल मूल्य 752.85 मिलियन अमेरिकी डॉलर रहा।
    • भारत में चाय की खपत: वैश्विक चाय खपत में  भारत का योगदान 19% है।
      • भारत अपने कुल चाय उत्पादन का लगभग 81% घरेलू स्तर पर खपत करता है, जबकि केन्या और श्रीलंका जैसे देश अपने उत्पादन का अधिकांश हिस्सा निर्यात करते हैं।
    • उत्पादक राज्य: प्रमुख चाय उत्पादक राज्य असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल हैं, जो भारत के कुल चाय उत्पादन का 97% उत्पादन करते हैं।
    • प्रमुख निर्यात: भारत से निर्यात की जाने वाली चाय का अधिकांश हिस्सा काली चाय है जो कुल निर्यात का लगभग 96% है। असम, दार्जिलिंग और नीलगिरि चाय को विश्व में सबसे बेहतरीन चाय में से एक माना जाता है।

Major_Tea_Producing_States

भारत में चाय उद्योग से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

  • मौसम से प्रेरित गिरावट: भारत का चाय उत्पादन चरम मौसमी घटनाओं (विशेष रूप से मई 2024 में हीट वेव और उसके बाद असम में बाढ़) से काफी प्रभावित हुआ है ।
    • मई 2024 में भारतीय चाय उत्पादन मई 2023 के 130.56 मिलियन किलोग्राम से घटकर 90.92 मिलियन किलोग्राम रह गया, जो 10 वर्षों से अधिक समय में मई का सबसे कम उत्पादन रहा
  • चाय की कीमतों में अपेक्षित वृद्धि: उत्पादन में व्यवधान के परिणामस्वरूप चाय की औसत कीमत में 20% तक की वृद्धि देखी गई।
    • जुलाई 2024 में चाय की कीमत में वर्ष 2024 की शुरुआत से 47% की वृद्धि देखी गई।
  • कीटनाशकों पर प्रतिबंध: भारत सरकार ने 20 कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिनके महँगे होने के कारण चाय की कीमतें बढ़ गईं। 
    • हालाँकि कीटनाशक प्रतिबंध के बाद भारतीय चाय की मांग फिर से बढ़ (विशेष रूप से रूस, यूक्रेन, बेलारूस, अजरबैजान और कजाकिस्तान में जो भारतीय चाय के प्रमुख खरीदार हैं) गई है
    • हालाँकि कीटनाशकों पर प्रतिबंध से मांग में वृद्धि हुई है लेकिन इससे उत्पादन संबंधी चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुई हैं, क्योंकि चाय उत्पादकों को वैकल्पिक कीट प्रबंधन समाधान खोजने में कठिनाई हो रही है
  • देश के अंदर खपत में स्थिरता: देश के अंदर खपत लगभग स्थिर होने के साथ निर्यात परिदृश्य में गिरावट के कारण, बाज़ार में अतिरिक्त चाय आने से मूल्य प्राप्ति पर और अधिक दबाव पड़ रहा है।
  • छोटे चाय उत्पादकों (STG) पर प्रभाव: STG (जो एक हेक्टेयर से कम भूमि पर उत्पादन करते हैं) की भारत के कुल चाय उत्पादन में 55% से अधिक और पश्चिम बंगाल के चाय उत्पादन में 65% का योगदान है।
    • उत्पादन की हानि और निर्यात मूल्य में गिरावट का इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • नकारात्मक प्रभाव: इसका पत्ती कारखानों (BLFs) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि STG इन कारखानों के लिये कच्चा माल उपलब्ध कराते हैं।
    • BLF ऐसे चाय कारखाने हैं जो अन्य उत्पादकों से चाय की पत्तियाँ खरीदते हैं और उन्हें तैयार चाय में संसाधित करते हैं। 
  • उत्तर बंगाल में चाय बागान बंद: डुआर्स, तराई और दार्जिलिंग क्षेत्रों में लगभग 13 से 14 चाय बागान बंद हो गए हैं, जिससे 11,000 से अधिक श्रमिक प्रभावित हुए हैं
    • उत्तरी बंगाल में लगभग 300 बागानों से प्रतिवर्ष लगभग 400 मिलियन किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है

वैश्विक चाय सांख्यिकी

  • वैश्विक उत्पादन और खपत: वर्ष 2022 में कुल वैश्विक चाय उत्पादन 6,478 मिलियन किलोग्राम था जबकि वैश्विक चाय की खपत 6,209 मिलियन किलोग्राम थी।
  • निर्यात: वर्ष 2022 में उत्पादक देशों से कुल चाय निर्यात 1,831 मिलियन किलोग्राम रहा। 
  • प्रमुख उत्पादक: चीन, भारत, केन्या और श्रीलंका प्रमुख चाय उत्पादक और निर्यातक हैं। ये देश वैश्विक चाय उत्पादन का 82% और वैश्विक चाय निर्यात का 73% हिस्सा रखते हैं।

Production_and_Export_Share_of_Countries

भारतीय चाय बोर्ड

  • स्थापना: इसकी स्थापना वर्ष 1953 में हुई थी और इसका मुख्यालय कोलकाता में है। पूरे भारत में इसके 17 कार्यालय हैं।
  • वैधानिक निकाय: इसकी स्थापना चाय अधिनियम, 1953 की धारा 4 के तहत की गई थी
  • नियामक प्राधिकरण: यह चाय उत्पादकों, निर्माताओं, निर्यातकों, चाय दलालों, नीलामी आयोजकों और गोदाम रखवालों सहित विभिन्न संस्थाओं को नियंत्रित करता है।
  • कार्य: यह बाज़ार सर्वेक्षण करता है, विश्लेषण करता है, उपभोक्ता व्यवहार पर नज़र रखता है तथा आयातकों और निर्यातकों को प्रासंगिक एवं सटीक जानकारी प्रदान करता है।

जलवायु परिवर्तन वैश्विक स्तर पर चाय उद्योग को किस प्रकार प्रभावित करता है?

  • अत्यधिक वर्षा: यद्यपि चाय के पौधे वर्षा के पानी पर निर्भर रहते हैं लेकिन अत्यधिक वर्षा से जलभराव, मृदा अपरदन और ढलान क्षेत्र को नुकसान हो सकता है , जिससे उपलब्ध बागान क्षेत्र कम हो सकता है।
  • सूखे का प्रभाव: सूखे के कारण चाय के पौधों पर धूल जम जाती है और सूर्य का प्रकाश अवरुद्ध हो जाता है, जिससे भारत एवं चीन जैसे देशों में उत्पादन प्रभावित होता है।
  • पाला से होने वाली क्षति: पाला विशेष रूप से रवांडा और चीन जैसे स्थानों पर हानिकारक है, जहाँ पत्तियाँ जल्दी गिर जाती हैं
  • ग्लेशियरों का पिघलना : पर्माफ्रॉस्ट क्षेत्रों में जमीन की अस्थिरता से चट्टान के हिमस्खलन और भूस्खलन का खतरा बढ़ सकता है ।
    • चट्टानी हिमस्खलन और भूस्खलन से चाय बागानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि चाय के विकास के लिये पहाड़ी ढलानों की आवश्यकता होती है।
  • चाय उत्पादन और गुणवत्ता पर प्रभाव: ग्लोबल वार्मिंग के कारण गुणवत्ता वाली चाय का उत्पादन कठिन और महँगा हो जाता है। 
    • चाय की गुणवत्ता और मात्रा दोनों में गिरावट आने से उपभोक्ताओं के लिये कीमतें बढ़ जाएंगी।

आगे की राह

  • न्यूनतम बेंचमार्क मूल्य निर्धारण: विनियमित चाय बागानों (RTG) और छोटे चाय उत्पादकों (STG) को चाय के विभिन्न ग्रेडों के लिये  न्यूनतम बेंचमार्क मूल्य निर्धारित करने हेतु सरकार के साथ सहयोग करना चाहिये।
    • बेंचमार्क कीमतें लागत-प्लस मॉडल पर आधारित होनी चाहिये, ताकि उत्पादन लागत को कवर तथा क्षेत्र के विकास एवं निर्यात क्षमता में वृद्धि को सुनिश्चित किया जा सके।
  • ई-कॉमर्स एकीकरण: लाभ मार्जिन बढ़ाने के लिये प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता बिक्री की सुविधा हेतु ई-कॉमर्स प्रौद्योगिकियों और मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करना। 
  • प्रीमियम चाय पर ज़ोर: केवल उत्पादन बढ़ाने के बजाय, व्यवसाय को गुणवत्ता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये, क्योंकि इससे उत्पादकों की आय में वृद्धि होगी।
    • उपभोक्ताओं की आय बढ़ने के साथ ही प्रीमियम चाय की मांग बढ़ने की संभावना है।
  • पूरक फसल के रूप में पाम तेल: DGT और RTG को पाम-ऑयल उत्पादन में विविधता लाने पर विचार करना चाहिये, क्योंकि पूर्वोत्तर भारत के चाय बागान इस फसल के लिये उपयुक्त हैं।
    • पाम-ऑयल की खेती में कम श्रम , न्यूनतम पानी की आवश्यकता के साथ उच्च आय प्राप्त होती है। 
  • अन्य देशों से सीखना: उच्च गुणवत्ता वाली चाय का स्थायी उत्पादन हेतु किसानों को प्रशिक्षण प्रदान करना महत्त्वपूर्ण है। 
    • केन्या चाय विकास एजेंसी (KTDA) ने किसान फील्ड स्कूल (FFS) मॉडल की शुरुआत की है , जो रोपण (Planting), फाइन-प्लकिंग (Fine-Plucking), प्रमाणीकरण की तैयारी आदि के माध्यम से उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने हेतु व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करता है।
  • नीलामी प्रणाली: यह सुनिश्चित करने के लिये कि खरीदी गई 100% चाय पत्ती सार्वजनिक नीलामी प्रणाली के माध्यम से बेची जाए,  तार्किक नीलामी प्रणाली शुरू की जानी चाहिये।
    • वर्तमान में केवल 40% चाय पत्तियों की नीलामी होती है, जिससे मूल्य प्राप्ति प्रभावित होती है।
  • निर्यात गंतव्यों का विस्तार: एशिया प्रशांत क्षेत्र में रेडी-टू-ड्रिंक (RTD) चाय बाज़ार का वर्ष 2028 तक 6.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है , जो 5.73 % की वार्षिक दर से बढ़ रहा है ।
    • भारत इस बाज़ार से लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है।
  • अनुसंधान एवं विकास (R$D) की आवश्यकता: चाय की गुणवत्ता बढ़ाने, जलवायु-अनुकूल किस्मों को विकसित करने और जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिये जैविक कीटनाशकों जैसे पर्यावरण अनुकूल समाधान खोजने के क्रम में अनुसंधान एवं विकास महत्त्वपूर्ण है।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारत में चाय उद्योग के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। नीतिगत हस्तक्षेप और तकनीकी प्रगति इन चुनौतियों से निपटने में किस प्रकार मदद कर सकती है? 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स

प्रश्न: भारत में ‘‘चाय बोर्ड’’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. चाय बोर्ड सांविधिक निकाय है। 
  2. यह कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से संलग्न नियामक निकाय है। 
  3. चाय बोर्ड का प्रधान कार्यालय बंगलूरु में स्थित है। 
  4. बोर्ड के दुबई और मॉस्को में विदेश स्थित कार्यालय हैं।

उपर्युक्त कथनों में कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 3 और 4         
(d) केवल 1 और 4

उत्तर: (d)


मेन्स

प्रश्न. ब्रिटिश बागान मालिकों ने असम से हिमाचल प्रदेश तक शिवालिक और लघु हिमालय के चारों ओर चाय बागान विकसित किये थे, जबकि वास्तव में वे दार्जिलिंग क्षेत्र से आगे सफल नहीं हुए। चर्चा कीजिये। (2014)

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