हीरा क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता | 23 Sep 2024

प्रिलिम्स के लिये:

हीरा (डायमंड),  अपरिष्कृत हीरे (रफ डायमंड), सकल घरेलू उत्पाद (GDP), रोज़गार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI), भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), मुद्रास्फीति, लैब-ग्रो या प्रयोगशाला में निर्मित हीरे, ब्याज दर, निगम कर (कॉर्पोरेट टैक्स), विशेष अधिसूचित क्षेत्र (SNZ), भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (CEPA)

मेन्स के लिये:

भारत के लिये रत्न और आभूषण उद्योग का महत्त्व, संबंधित चुनौतियाँ और आगे की राह।

स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड 

चर्चा में क्यों?

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, भारत का हीरा क्षेत्र  भारी मंदी का सामना कर रहा है, जो पिछले तीन वर्षों में आयात और निर्यात में उल्लेखनीय गिरावट के कारण चिह्नित है।

  • हीरा उद्योग में सुधार आवश्यक है क्योंकि इसके परिणामस्वरूप भुगतान में चूक, संयंत्रों के बंद होने तथा बड़े पैमाने पर रोज़गार समाप्त होने जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।

भारत के हीरा उद्योग में संकट का वर्तमान परिदृश्य क्या है?

  • हीरे के आयात और निर्यात में तीव्र गिरावट: अपरिष्कृत हीरे का आयात 24.5% घटकर वित्त वर्ष 2021-22 में 18.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर से वित्त वर्ष 2023-24 में 14 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया।
    • कटे और पॉलिश किये गए हीरों का निर्यात 34.6% घटकर वित्त वर्ष 2022 में 24.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर से वित्त वर्ष 2024 में 13.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गया है।
  • अप्रसंस्कृत और अपरिष्कृत हीरों का उच्च भंडार: अपरिष्कृत हीरों के शुद्ध आयात और कटे तथा पॉलिश किये गए हीरों के शुद्ध निर्यात के बीच का अंतर काफी बढ़ गया है, जो वित्त वर्ष 2022 में 1.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 4.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
    • अपरिष्कृत हीरे से तात्पर्य उन हीरों से है जो धरती से निकाले जाने के बाद तथा आकार देने एवं पॉलिश करने से पहले अपनी प्राकृतिक अवस्था में होते हैं। 
  • बिना बिके हीरों के रिटर्न में वृद्धि: वित्त वर्ष 2022 से वित्त वर्ष 2024 की अवधि के दौरान भारत में हीरों का प्रतिशत 35% से बढ़कर 45.6% हो गया।
  • रोज़गार और कारखानों के बंद होने पर प्रभाव: यह उद्योग, जो 1.3 मिलियन श्रमिकों को प्रत्यक्ष रूप से रोज़गार प्रदान करता है, बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे बेरोज़गारी और आत्महत्याएँ में वृद्धि हुई हैं।

भारत में रत्न एवं आभूषण उद्योग का क्या महत्त्व है?

  • भारत की अर्थव्यवस्था में योगदान: जनवरी 2022 तक, सोने और हीरे के व्यापार का भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 7% हिस्सा था, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • रोज़गार: रत्न एवं आभूषण क्षेत्र लगभग 5 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते है, जिससे यह भारत में रोज़गार सृजन के लिये एक महत्त्वपूर्ण उद्योग बन गया है।
    • भारतीय हीरा उद्योग में 7,000 से अधिक कंपनियाँ शामिल हैं, जिनमें मुख्य रूप से लघु और मध्यम उद्यम (SME) शामिल हैं, जो गुजरात के सूरत और महाराष्ट्र के मुंबई में केंद्रित हैं।
    • सूरत, मुंबई, जयपुर, त्रिचूर, नेल्लोर, दिल्ली, हैदराबाद और कोलकाता भारत में रत्न और आभूषण के प्रमुख केंद्र हैं।
    • अकेले सूरत में हीरे की कटाई और पॉलिशिंग के कार्य में लगभग 800,000 श्रमिक कार्यरत हैं।
  • FDI नीति: सरकार ने स्वचालित मार्ग के अंतर्गत रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति प्रदान की  है ।
    • अप्रैल 2000 और मार्च 2024 के बीच, भारत के हीरा और सोने के आभूषण क्षेत्र में संचयी FDI प्रवाह 1,276.52 मिलियन अमेरिकी डॉलर था
  • विकास और निर्यात प्रदर्शन: वित्त वर्ष 2021 में भारत के रत्न और आभूषण बाज़ार का आकार 78.50 बिलियन अमरीकी डॉलर था
    • वित्त वर्ष 24 में भारत का रत्न और आभूषण निर्यात 22.27 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद इस क्षेत्र के लचीलेपन को दर्शाता है।

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भारत के हीरा उद्योग में संकट के क्या कारण हैं?

  • आर्थिक अनिश्चितता: आर्थिक अनिश्चितता, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक तनाव के कारण अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे प्रमुख बाज़ारों में पॉलिश किये गए हीरे की मांग में तेजी से गिरावट आई है, जिसके कारण हीरे सहित विलासिता की वस्तुओं पर उपभोक्ता व्यय में कमी आई है।
  • रूस-यूक्रेन संघर्ष: रूस -यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक हीरा आपूर्ति शृंखला को भी बाधित कर दिया है, तथा प्रमुख अपरिष्कृत हीरा उत्पादक रूस पर भी प्रतिबंध लगा दिये गए हैं।
    • इससे व्यापार संबंधी गतिविधियाँ बाधित हुई हैं, जिससे वैश्विक हीरा व्यापार धीमा पड़ गया। 
  • कीमतों में उतार-चढ़ाव: वैश्विक हीरे की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है, खरीदार कीमतों में और गिरावट की आशंका के कारण अपरिष्कृत हीरे खरीदने से कतरा रहे हैं
  • प्रयोगशाला में निर्मित हीरों को प्राथमिकता: उपभोक्ताओं की प्राथमिकताएँ प्रयोगशाला में निर्मित हीरों की ओर बढ़ रही हैं, जो अधिक किफायती, नीतिपरक और सतत् हैं। यह प्राकृतिक हीरों की मांग को भी प्रभावित कर रहा है ।
    • प्रयोगशाला में निर्मित हीरे मानव निर्मित हीरे होते हैं, जो रासायनिक और प्राकृतिक रूप से खनन किये गए हीरों के समान होते हैं। 
  • परिचालन लागत में वृद्धि: वैश्विक हीरा व्यापार में बढ़ती परिचालन लागत (उच्च श्रम, ऊर्जा और सामग्री लागत) और कम लाभ मार्जिन ने कई पॉलिशिंग इकाइयों के लिये बाधा उत्पन्न कर कर दी  है।
    • इसके कारण विशेष रूप से सूरत में कई दुकानें बंद कर दी गई।
  • सख्त ऋण संबंधी शर्तें: हीरा उद्योग वित्तपोषण पर बहुत अधिक निर्भर है, लेकिन उच्च ब्याज दरों और बैंकों से कम ऋण जैसी सख्त ऋण शर्तों ने कंपनियों के लिये अपरिष्कृत हीरे खरीदना मुश्किल बना दिया है, जिससे उत्पादन और भी बाधित हो गया है।
  • विनियामक मुद्दे: अपरिष्कृत हीरों के विदेशी आपूर्तिकर्त्ताओं पर भारत की उच्च निगम कर व्यवस्था के कारण भारत के बजाय संयुक्त अरब अमीरात से अधिक अपरिष्कृत हीरों का पुनः निर्यात किया जा रहा है, जिससे मुंबई और सूरत में भारत के विशेष अधिसूचित क्षेत्र (SNZ) प्रभावित हो रहे हैं।
    • संयुक्त अरब अमीरात बोत्सवाना, अंगोला, दक्षिण अफ्रीका, रूस से अपरिष्कृत हीरे आयात करता है और इन्हें भारत में पुनः निर्यात करता है।
    • परिणामस्वरूप, भारत के अपरिष्कृत हीरे के आयात में UAE की हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2020 में 36.3% से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 64.5% हो गई है, जबकि इसी अवधि के दौरान बेल्जियम की हिस्सेदारी 37.9% से घटकर 17.6% हो गई है।
      • भारत-यूएई व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) के तहत भारत को निर्यात किये जाने वाले कटे और पॉलिश किये गए हीरों पर UAE को कोई टैरिफ नहीं देना पड़ता है
  • जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाएँ: भारत से निर्यात किये गए कटे और पॉलिश किये गए हीरों का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा गुणवत्ता संबंधी मुद्दों, खरीदारों द्वारा अधिक स्टॉक रखने आदि के कारण वापस किया जा रहा है।
    • जटिल सीमा शुल्क प्रक्रियाओं के कारण इन रिटर्नों को नियंत्रित करना महँगा और अधिक समय वाला , जिससे निर्यातकों पर और अधिक दबाव पड़ता है।

भारत के हीरा उद्योग में संकट को दूर करने के लिये क्या किया जा सकता है?

  • निर्यात ऋण की शर्तें में वृद्धि: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) कटे और पॉलिश किये गए हीरे के निर्यातकों के लिये निर्यात ऋण की अवधि 6 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर सकता है, क्योंकि खरीदार लंबी ऋण अवधि की मांग कर रहे हैं।
    • निर्यात ऋण अवधि से तात्पर्य उस अवधि से है जिसके लिये निर्यातकों को उनके निर्यात कार्यों के वित्तपोषण के लिये ऋण प्रदान किया जाता है।
  • विदेशी हीरा विक्रेताओं को निगम कर से छूट: GTRI ने भारत में अपरिष्कृत हीरों के विदेशी विक्रेताओं को निगम कर से छूट देने का सुझाव दिया है, क्योंकि वर्तमान कर संरचना के कारण विक्रेताओं को अपना आयात संयुक्त अरब अमीरात के माध्यम से करना पड़ता है।
  • प्रयोगशाला में विकसित हीरा उद्योग को विनियमित करना: प्रयोगशाला में विकसित हीरों की बढ़ती मांग को देखते हुए प्राकृतिक हीरों के लिये उचित और सतत् बाज़ार सुनिश्चित करने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।
  • दुबई से ‘ज़ीरो-टैरिफ’ आयात पर पुनर्विचार: भारत-UAE व्यापार समझौते के तहत UAE से आयातित कटे और पॉलिश किये गए हीरों पर ज़ीरो-टैरिफ पर घरेलू हीरा उद्योग के संरक्षण हेतु पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।
  • संगठित अभिनेताओं की ओर झुकाव: बड़े खुदरा विक्रेता और संगठित अभिनेताओं डिज़ाइनों और उत्पादों की व्यापक विविधता की पेशकश कर सकते हैं और घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के रत्न बाज़ार का विस्तार करने में मदद कर सकते हैं।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये रत्न एवं आभूषण उद्योग के महत्त्व का परीक्षण कीजिये। साथ ही हाल ही के समय में इसके समक्ष आने वाली प्रमुख चुनौतियों का विश्लेषण कीजिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस विदेशी यात्री ने भारत के हीरों और हीरे की खदानों के बारे में विस्तार से चर्चा की? (2018) 

(a) फ्रैंकोइस बर्नियर
(b) जीन बैपटिस्ट टेवर्नियर
(c) जीन डी थेवेनॉट
(d) अब्बे बार्थेलेमी कैरे

उत्तर: (b)