‘एकीकृत थियेटर कमांड’ की आवश्यकता | 22 Oct 2020
प्रिलिम्स के लिये:एकीकृत थियेटर कमांड, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, शेकेतकर समिति मेन्स के लिये:एकीकृत थियेटर कमांड |
चर्चा में क्यों?
‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (Chief of Defence Staff- CDS) के चीफ की नियुक्ति के बाद रक्षा सुधारों में अगला महत्त्वपूर्ण कदम ‘एकीकृत थिएटर कमांड्स’ (Integrated Theatre Commands- ITC) का गठन करना होगा।
प्रमुख बिंदु:
- 'विभिन्न एकीकृत कमांड्स' के गठन पर सिफारिशें करने के लिये तीनों सेवाओं के उपाध्यक्षों के नेतृत्त्व में अनेक टीमों का गठन किया गया है।
- 'वायु सेना के लिये एकीकृत रक्षा कमान’ पर गठित टीम का अध्ययन पूरा होने वाला है तथा जल्द ही वायु सेना के लिये 'एकीकृत रक्षा कमान' के गठन की उम्मीद है।
थिएटर कमांड क्या है?
- 'थिएटर कमांड' एक संगठनात्मक संरचना है जिसका उद्देश्य युद्ध में 'सैन्य प्रभावशीलता' बढ़ाने के लिये सभी सैन्य परिसंपत्तियों को एकल थिएटर के माध्यम से नियंत्रित करने के लिये डिज़ाइन किया जाता है।
- सैन्य बोल-चाल में सैन्य सेवाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) की 'संयुक्त कमान' को एक 'थिएटर कमांड' कहा जाता है।
- वर्तमान में एकमात्र 'संयुक्त कमान' का गठन अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लिये किया गया है।
विभिन्न समितियों द्वारा सिफारिश:
- कारगिल समीक्षा समिति, शेकेतकर समिति (Shekatkar Committee) द्वारा भी आंतरिक और बाह्य खतरों से निपटने के लिये उच्च स्तर पर ‘संयुक्त इकाई’ बनाने के संदर्भ में सिफारिश की गई थी।
- इन समितियों के अनुसार, सैन्य सेवाओं में निचले स्तरों पर असंबद्धता के कारण परिचालन में तालमेल की कमी पाई जाती है।
एकीकृत थिएटर कमांड का महत्त्व:
- यह कमांडर अपने कार्यों के लिये सेना के किसी अंग के प्रति जवाबदेह नहीं होगा एवं अपने कमांड को निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम एक ‘संयुक्त युद्धक बल’ (Cohesive Fighting Force) के रूप में विकसित करने के लिये प्रशिक्षित करने हेतु स्वतंत्र होगा।
- अपने कार्यों को पूरा करने के लिये आवश्यक संसाधनों को थियेटर कमांडर के नियंत्रण में रखा जाएगा ताकि ऑपरेशन के दौरान उसे किसी पर निर्भर न रहना पड़े।
- यह भारत की वर्तमान ‘सेवा-विशिष्ट कमांड प्रणाली’ (Service-specific Commands): जिसमें पूरे देश में तीनों सैन्य सेवाओं (थल सेना, वायु सेना और नौसेना) की अपनी-अपनी कमांड होती है, के विपरीत है।
विपक्ष में तर्क:
- भारत के सामने अब तक उत्पन्न युद्ध की चुनौतियों के दौरान तीनों सेवाओं ने सराहनीय सहयोग से काम किया है। ऐसा कोई अवसर नहीं देखा गया है जब तीनों सेवाओं के मध्य सहयोग का अभाव पाया गया हो।
- बढ़ते संचार नेटवर्क ने तीनों सैन्य सेवाओं के बीच संचार को आसान बनाया है। स्थानिक दूरी पर विचार किये बिना योजना बनाई जा सकती है, इसलिये नवीन संगठन की कोई आवश्यकता नहीं है।
- 'एकीकृत थियेटर कमांडर' विशिष्ट सेवा में डोमेन का ज्ञान रखने वाला होगा, अत: अन्य दो सेवा घटकों के संबंध में उसका ज्ञान सीमित रहने की संभावना है। इससे उसके आदेश के तहत अन्य सेवा घटकों को उपयुक्त तरीके से और उचित समय पर नियोजित करने की उसकी क्षमता सीमित हो जाती है।
निष्कर्ष:
- राष्ट्रीय सुरक्षा की बदलती गतिशीलता के कारण अब साइबर, स्वचालन और ऐसी ही कई नवीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में वर्तमान डिसजॉइंटेड जनरल (Disjointed General) और रक्षा मंत्री द्वारा इन चुनौतियों को हल करना आसान नहीं है, बल्कि इन उभरती स्थितियों का जवाब देने के लिये एक स्पष्ट और मज़बूत संगठनात्मक अवसंरचना की आवश्यकता है।