नाटो ने CFE संधि निलंबित की | 18 Nov 2023
प्रिलिम्स के लिये:यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बलों पर संधि, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), शीत युद्ध, वारसा संधि, द्वितीय विश्व युद्ध, उत्तरी अटलांटिक संधि। मेन्स के लिये:यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बलों पर संधि, विश्व युद्ध, द्विपक्षीय, भारत को शामिल और/या इसके हितों को प्रभावित करने वाले क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा समझौते। |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने रूस के समझौते से बाहर निकलने के जवाब में यूरोप में पारंपरिक सशस्त्र बलों पर संधि (CFE) के औपचारिक निलंबन की घोषणा की है, जो एक प्रमुख शीत युद्ध-युग सुरक्षा संधि है।
CFE से रूस के हटने की पृष्ठभूमि क्या है?
- CFE संधि के विषय में:
- CFE संधि, वर्ष 1990 में हस्ताक्षरित और वर्ष 1992 में पूरी तरह से अनुसमर्थित, का उद्देश्य शीत युद्ध के दौरान आपसी सीमाओं के पास NATO और वारसा संधि में शामिल देशों द्वारा पारंपरिक सशस्त्र बलों के जमाव को रोकना था।
- इसने यूरोप में पारंपरिक सैन्य बलों की तैनाती पर सीमाएँ लगा दीं और क्षेत्र में तनाव तथा हथियारों के निर्माण को कम करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- यह संधि रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका से जुड़े शीत युद्ध-युग के कई समझौतों में से एक थी।
- संधि से रूस का अलग होना:
- वर्ष 2007 में रूस ने CFE संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित कर दिया था और वर्ष 2015 में औपचारिक रूप से इससे अलग होने के आशय की घोषणा की थी।
- मई 2023 में रूसी राष्ट्रपति द्वारा संधि की निंदा करने वाले एक विधेयक पर हस्ताक्षर करने के बाद वापसी को अंतिम रूप देने का हालिया कदम आया।
- रूस ने संधि पर उनकी "विनाशकारी स्थिति" का हवाला देते हुए, वापसी के लिये अमेरिका और उसके सहयोगियों को दोषी ठहराया है।
- यूक्रेन संघर्ष का प्रभाव:
- फरवरी 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण, जिसके कारण यूक्रेन में महत्त्वपूर्ण सैन्य उपस्थिति देखी गई, ने संधि से हटने के उसके निर्णय को प्रभावित किया।
- इस संघर्ष का सीधा प्रभाव NATO के उन सदस्य देशों पर पड़ता है जिनकी सीमा यूक्रेन के साथ लगती है, जैसे पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया और हंगरी।
रूस की चिंताएँ और NATO की स्थिति क्या है?
- रूस का दावा है कि CFE अब उसके हितों की पूर्ति नहीं करती है क्योंकि इस पर हस्ताक्षर अन्य उन्नत हथियारों के लिये नहीं बल्कि पारंपरिक हथियारों और उपकरणों के उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिये किये गए थे।
- रूस ने यूक्रेन में विकास और NATO के विस्तार का हवाला देते हुए कहा कि CFE संधि को बनाए रखना उसके मौलिक सुरक्षा हितों के दृष्टिकोण से अस्वीकार्य हो गया है।
- NATO सैन्य जोखिम को कम करने, गलत धारणाओं को रोकने और सुरक्षा बनाए रखने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- CFE संधि का निलंबन रूस और NATO के बीच चल रहे तनाव को रेखांकित करता है, जिसका वैश्विक सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता, खासकर पूर्वी यूरोप में महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
शीत युद्ध क्या है?
- शीत युद्ध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ और उस पर आश्रित देशों (पूर्वी यूरोपीय देश) तथा संयुक्त राज्य अमेरिका एवं उसके सहयोगी देशों (पश्चिमी यूरोपीय देश) के बीच भू-राजनीतिक तनाव की अवधि (1945-1991) थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व दो महाशक्तियों- सोवियत संघ और अमेरिका के प्रभुत्व वाले दो शक्ति गुटों में विभाजित हो गया।
- यह पूंजीवादी संयुक्त राज्य अमेरिका और साम्यवादी सोवियत संघ दो महाशक्तियाँ के बीच वैचारिक युद्ध था
- "शीत" शब्द का प्रयोग इसलिये किया जाता है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर कोई लड़ाई नहीं हुई थी।
शीत-युद्ध काल की अन्य NATO और USSR संधियाँ क्या हैं?
- उत्तरी अटलांटिक संधि (1949):
- उत्तरी अटलांटिक संधि, जिसे वाशिंगटन संधि के नाम से भी जाना जाता है, ने 4 अप्रैल, 1949 को NATO की स्थापना की।
- यह अमेरिका, कनाडा और विभिन्न यूरोपीय देशों सहित पश्चिमी देशों द्वारा गठित एक सामूहिक रक्षा गठबंधन था।
- वारसा संधि (1955):
- वारसा संधि को औपचारिक रूप से मित्रता, सहयोग और पारस्परिक सहायता की संधि के रूप में जाना जाता है, इस पर 14 मई, 1955 को हस्ताक्षर किये गए थे।
- यह NATO को जवाब था और सोवियत संघ के नेतृत्व में पूर्वी ब्लॉक के देशों के बीच एक समान पारस्परिक रक्षा गठबंधन स्थापित किया गया था।
- वारसा संधि में सोवियत संघ, पूर्वी जर्मनी, पोलैंड, हंगरी, चेकोस्लोवाकिया, बुल्गारिया और रोमानिया सहित कई अन्य देश शामिल थे।
- बर्लिन पर चार शक्ति समझौते (1971):
- संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, फ्राँस और सोवियत संघ के बीच 3 सितंबर, 1971 को हस्ताक्षरित यह समझौता शीत युद्ध के दौरान बर्लिन की स्थिति को संबोधित करता था।
- इसका उद्देश्य विभाजित शहर में संबंधों को सुधारना और तनाव कम करना था।
- इंटरमीडिएट रेंज परमाणु बल (INF) संधि (1987):
- 8 दिसंबर, 1987 को अमेरिकी राष्ट्रपति और सोवियत महासचिव द्वारा इस पर हस्ताक्षर किये गए, INF संधि ने यूरोप से मध्यवर्ती दूरी की परमाणु मिसाइलों की एक पूरी श्रेणी को समाप्त कर दिया।
- यह संधि शीत युद्ध के तनाव और परमाणु हथियारों को कम करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- सामरिक शस्त्र सीमा वार्ता (SALT) और START संधियाँ:
- SALT संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ के बीच हस्ताक्षरित द्विपक्षीय सम्मेलनों और अंतर्राष्ट्रीय संधियों की एक शृंखला थी।
- इन संधियों का लक्ष्य लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों (रणनीतिक हथियार) जो प्रत्येक पक्ष के पास हो और निर्माण कर सके, की संख्या को कम करना था ।
- पहली संधि, जिसे SALT I के नाम से जाना जाता है, पर वर्ष 1972 में हस्ताक्षर किये गए थे।
- SALT I पर हस्ताक्षर कर अमेरिका और USSR सीमित संख्या में बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ सीमित संख्या में मिसाइल तैनाती स्थलों पर सहमत हुए।
नोट: फरवरी 2023 में, रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अंतिम शेष प्रमुख सैन्य समझौते, नई START संधि में अपनी भागीदारी को निलंबित करने की घोषणा की थी।
- रणनीतिक आक्रामक हथियारों की और कमी तथा सीमा के उपायों पर संयुक्त राज्य अमेरिका एवं रूसी संघ के बीच फरवरी, 2011 में नई START संधि लागू हुई।
- हेलसिंकी समझौता (1975):
- अगस्त 1975 में हेलसिंकी में हस्ताक्षरित अंतिम समझौता एक संधि नहीं थी, बल्कि नाटो सदस्यों और वारसॉ संधि में शामिल देशों सहित 35 देशों द्वारा सहमत सिद्धांतों की घोषणा थी।
- इसका उद्देश्य पूर्व और पश्चिम के बीच संबंधों में सुधार करना था और इसमें मानवाधिकारों तथा क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की प्रतिबद्धताएँ शामिल थीं।
नाटो (NATO) क्या है?
- परिचय:
- नाटो अथवा उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन, एक राजनीतिक तथा सैन्य गठबंधन है जिसमें 31 सदस्य देश शामिल हैं।
- इसका गठन वर्ष 1949 में संबद्ध सदस्यों के बीच आपसी रक्षा एवं सामूहिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिये किया गया था।
- सदस्य देश:
- वर्ष 1949 में इस गठबंधन के 12 संस्थापक सदस्य थे: बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्राँस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम एवं संयुक्त राज्य अमेरिका।
- वर्तमान में 19 और देश गठबंधन में शामिल हो गए हैं: ग्रीस तथा तुर्की (1952); जर्मनी (1955); स्पेन (1982); चेक गणराज्य, हंगरी और पोलैंड (1999); बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया (2004); अल्बानिया तथा क्रोएशिया (2009); मोंटेनेग्रो (2017); उत्तर मैसेडोनिया (2020); फिनलैंड (2023)।
- मुख्यालय: ब्रुसेल्स, बेल्जियम:
- मित्र देशों की कमान संचालन मुख्यालय: मॉन्स, बेल्जियम।
- विशेष प्रावधान:
- अनुच्छेद 5: नाटो संधि का अनुच्छेद 5 एक प्रमुख प्रावधान है जिसके अनुसार एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा।
- यह प्रावधान संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 के आतंकवादी हमलों के बाद केवल एक बार लागू किया गया है।
- हालाँकि नाटो की सुरक्षा दायरे में सदस्य दशों के गृह युद्धों अथवा आंतरिक तख्तापलट को शामिल नहीं किया गया है।
- अनुच्छेद 5: नाटो संधि का अनुच्छेद 5 एक प्रमुख प्रावधान है जिसके अनुसार एक सदस्य देश पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा।
- नाटो के सहयोगी:
- यूरो-अटलांटिक पार्टनरशिप काउंसिल (EAPC)
- भूमध्यसागरीय संवाद
- इस्तांबुल सहयोग पहल (ICI)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्नमेन्स:प्रश्न: शीत युद्ध के बाद के अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य के संदर्भ में भारत की लुक ईस्ट नीति (पूर्व की ओर देखो नीति) के आर्थिक और रणनीतिक आयामों का मूल्यांकन कीजिये। (2016) |