विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन
- 14 Apr 2021
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चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (National Supercomputing Mission) का दूसरा चरण सितंबर 2021 तक पूरा हो जाएगा, जिसमें भारत की कुल संगणन (Computational) क्षमता 16 पेटाफ्लॉप्स होगी।
प्रमुख बिंदु
राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के विषय में:
- लॉन्च: मार्च 2015 में सात वर्षों की अवधि (वर्ष 2015-2022) के लिये 4,500 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से ‘राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन’ की घोषणा की गई थी। इस मिशन के अंतर्गत 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटरों के माध्यम से एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित कर देश भर के राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों और R&D संस्थाओं को सशक्त बनाने की परिकल्पना की गई है।
- यह मिशन सरकार के 'डिजिटल इंडिया' और 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण का समर्थन करता है।
- कार्यान्वयन: इस मिशन को 'विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग' (विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय) तथा 'इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय' (MeitY) द्वारा 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग' (C-DAC) और 'भारतीय विज्ञान संस्थान' (IISc) बंगलूरू के माध्यम से कार्यान्वित किया जा रहा है।
- विशेषताएँ:
- यह भारत के स्वामित्व वाले सुपर कंप्यूटरों की संख्या में सुधार करने का भी एक प्रयास है।
- इन सुपरकंप्यूटरों को 'राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क' (National Knowledge Network- NKN) के विस्तार के माध्यम से 'राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटर ग्रिड’ के साथ जोड़ा जाएगा। NKN एक उच्च गति के नेटवर्क के माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों और आर एंड डी प्रयोगशालाओं को जोड़ता है।
- NSM के अंतर्गत अगले पाँच वर्षों में 20,000 व्यक्तियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जो सुपरकंप्यूटरों की जटिलताओं के समाधान तथा उन्हें प्रबंधित करने में सक्षम होंगे।
NSM की प्रगति:
- NSM के प्रथम चरण में ‘परम शिवाय’ (Param Shivay) को IIT-BHU, ‘परम शक्ति’ (Param Shakti) को आईआईटी-खड़गपुर, ‘परम ब्रह्म’ (Param Brahma) को ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च’ (IISER)- पुणे में और ‘परम संगणक’ को जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च में स्थापित किया गया।
- हाल ही में ‘परम सिद्धि’ (Param Siddhi) को विश्व के सबसे शक्तिशाली सुपर कंप्यूटरों की शीर्ष 500 सूची में 63वाँ स्थान दिया गया। इसे NSM के अंतर्गत विकसित किया गया था।
हालिया विकास:
- अक्तूबर 2020 में C-DAC ने IIT के साथ-साथ IISc, राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान और NIT, तिरुचिरापल्ली के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये, जिसके अंतर्गत इन संस्थानों में उच्च शक्ति कंप्यूटिंग (High Power Computing- HPC) प्रणाली स्थापित की जा रही है।
- अब तक 4,500 से अधिक लोगों को HPC में प्रशिक्षित किया गया है और आगे का प्रशिक्षण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में चार IITs (खड़गपुर, मद्रास, गोवा और पलक्कड़) में स्थापित NSM के विशेष केंद्रों में आयोजित किया जाएगा।
चुनौतियाँ:
- NSM ने देश में 70 से अधिक उच्च प्रदर्शन वाले सुपरकंप्यूटरों के माध्यम से एक विशाल सुपरकंप्यूटिंग ग्रिड स्थापित करने की परिकल्पना की है, लेकिन मिशन के शुरुआती वर्षों के दौरान वित्तपोषण की विषमता ने सुपर कंप्यूटर के निर्माण की गति को धीमा कर दिया।
इस मिशन के लिये आवंटित 4,500 करोड़ रुपए में से केवल 16.67% का ही शुरू के चार वर्षों के दौरान खर्च किया गया था।
वैश्विक परिदृश्य:
- विश्व स्तर पर अधिकतम सुपरकंप्यूटरों के साथ चीन दुनिया में शीर्ष स्थान रखता है। इसके बाद अमेरिका, जापान, फ्रांँस, जर्मनी, नीदरलैंड, आयरलैंड और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों का स्थान है।