जैव विविधता और पर्यावरण
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति
- 19 May 2022
- 9 min read
प्रिलिम्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण, जैव ईंधन, कच्चा तेल, जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 मेन्स के लिये:इथेनॉल सम्मिश्रण और इसका महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 में संशोधन को मंज़ूरी दी।
प्रमुख संशोधन:
- अधिक फीडस्टॉक्स:
- संशोधनों में से एक यह है कि सरकार जैव ईंधन के उत्पादन हेतु अधिक फीडस्टॉक की अनुमति देगी।
- इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य:
- केंद्र 2025-26 तक 2030 के बज़ाय इथेनॉल युक्त 20% पेट्रोल के इथेनॉल सम्मिश्रण लक्ष्य के साथ आगे बढ़ने की योजना बना रहा है।
- यह मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड)/निर्यात उन्मुख इकाइयों (ईओयू) में स्थित इकाइयों द्वारा देश में जैव ईंधन के उत्पादन को बढ़ावा देगा।
- NBCC के नए सदस्य:
- सरकार ने राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) में नए सदस्यों को जोड़ने की अनुमति दी है।
- NBCC का गठन पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री (पी एंड एनजी) की अध्यक्षता में समग्र समन्वय, प्रभावी एंड-टू-एंड कार्यान्वयन और जैव ईंधन कार्यक्रम की निगरानी करने हेतु किया गया था।
- NBCC में 14 अन्य मंत्रालयों के सदस्य शामिल हैं।
- सरकार ने राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति (NBCC) में नए सदस्यों को जोड़ने की अनुमति दी है।
- जैव ईंधन का निर्यात:
- विशिष्ट मामलों में जैव ईंधन के निर्यात की अनुमति दी जाएगी।
संशोधनों का महत्त्व:
- मेक इन इंडिया अभियान को बढ़ावा:
- प्रस्तावित संशोधनों से मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है जिससे अधिक-से-अधिक जैव ईंधन के उत्पादन से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में कमी आएगी।
- आत्मनिर्भर भारत पहल को बढ़ावा:
- चूँकि जैव ईंधन के उत्पादन के लिये कच्चे माल के रूप में कई अन्य स्रोतों के उपयोग की अनुमति प्रदान की जा रही है, यह आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगा और वर्ष 2047 तक भारत के 'ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भर' बनने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को गति प्रदान करेगा।
- रोज़गार सृजन:
- साथ ही प्रस्तावित संशोधनों से स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास को आकर्षित करने और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जो मेक इन इंडिया अभियान का मार्ग प्रशस्त करेंगे और अधिक रोज़गार सृजित करेंगे।
जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018:
- परिचय:
- “जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति, 2018 पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय द्वारा अधिसूचित की गई थी।
- नीति को 2009 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से प्रख्यापित जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति के अधिक्रमण में अधिसूचित किया गया था।
- वर्गीकरण:
- यह नीति जैव ईंधन को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करती है:
- "मूल जैव ईंधन" अर्थात् पहली पीढ़ी (1G) के बायोएथेनॉल, बायोडीज़ल एवं "उन्नत जैव ईंधन"।
- "उन्नत बायोफ्यूल" अर्थात् दूसरी पीढ़ी (2G) के इथेनॉल, म्युनिसिपल सॉलिड वेस्ट (MSW) से बने ड्रॉप-इन फ्यूल।
- तीसरी पीढ़ी (3 जी) के जैव ईंधन, जैव-CNG आदि प्रत्येक श्रेणी के अंतर्गत उपयुक्त वित्तीय प्रोत्साहन के विस्तार को सक्षम करने के लिये।
- यह नीति जैव ईंधन को निम्नलिखित प्रकार से वर्गीकृत करती है:
- विशेषताएँ:
- इस नीति में गन्ने का रस, शुगर वाली वस्तुओं जैसे- चुकंदर, स्वीट सोरगम, स्टार्च वाली वस्तुएँ जैसे– कॉर्न, कसावा, मनुष्य के उपभोग के लिये अनुपयुक्त बेकार अनाज जैसे गेहूँ , टूटा चावल, सड़े हुए आलू के इस्तेमाल की अनुमति देकर इथेनॉल उत्पादन के लिये कच्चे माल के दायरे को विस्तृत करने का प्रयास किया गया है।
- यह नीति राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति के अनुमोदन से पेट्रोल के साथ सम्मिश्रण के लिये इथेनॉल के उत्पादन हेतु अधिशेष खाद्यान्न के उपयोग की अनुमति देती है।
- उन्नत जैव ईंधन पर ज़ोर देने के साथ यह नीति 2जी इथेनॉल बायो रिफाइनरियों के लिये 6 वर्षों में 5000 करोड़ रुपए अतिरिक्त कर प्रोत्साहन के अलावा 1G जैव ईंधन की तुलना में उच्च खरीद मूल्य प्रदान करती है।
जैव ईंधन को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहल:
- इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम:
- यह प्रदूषण को कम करने, विदेशी मुद्रा के संरक्षण और चीनी उद्योग में मूल्यवर्द्धन के उद्देश्य से इथेनॉल के सम्मिश्रण को प्राप्त करने का प्रयास करता है ताकि किसानों के गन्ना मूल्य बकाए का भुगतान किया जा सकें।
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना, 2019 :
- इस योजना का उद्देश्य दूसरी पीढ़ी (2G) के इथेनॉल उत्पादन हेतु वाणिज्यिक परियोजनाओं की स्थापना के लिये एक पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना और इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा विकास को बढ़ावा देना है।
- गोबर-धन (Galvanizing Organic Bio-Agro Resources Dhan - GOBAR-DHAN) योजना:
- यह खेतों में मवेशियों के गोबर और ठोस कचरे को उपयोगी खाद, बायोगैस व बायो-सीएनजी में बदलने तथा इस प्रकार गाँवों को साफ रखने व ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने पर केंद्रित है।
- रिपर्पज़ यूज़्ड कुकिंग ऑयल (Repurpose Used Cooking Oil):
- इसे भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा लॉन्च किया गया था तथा इसका उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिक तंत्र विकसित करना है जो प्रयुक्त कुकिंग आयल को बायो-डीज़ल में संग्रह व रूपांतरण करने में सक्षम हो।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न. जैव ईंधन पर भारत की राष्ट्रीय नीति के अनुसार, जैव ईंधन के उत्पादन के लिये निम्नलिखित में से किसका उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जा सकता है? (2020)
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 5 और 6 उत्तर: (a)
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