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नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम

  • 25 Sep 2020
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये

आर्टेमिस कार्यक्रम, अपोलो मिशन, चंद्रयान -3

मेन्स के लिये

अंतरिक्ष अन्वेषण और मानव, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम, अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में प्रगति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में नासा (National Aeronautics and Space Administration- NASA) ने अपने आर्टेमिस कार्यक्रम (Artemis Program) की रूपरेखा प्रकाशित की है, जिसमें वर्ष 2024 तक मनुष्य (एक महिला और एक पुरुष) को चंद्रमा पर भेजने की योजना बनाई गई है। 

  • गौरतलब है कि अंतिम बार नासा (NASA) ने चंद्रमा पर इंसानों को वर्ष 1972 में अपोलो मिशन (Apollo Mission) के दौरान भेजा था।

प्रमुख बिंदु

नासा का आर्टेमिस कार्यक्रम

  • आर्टेमिस कार्यक्रम (Artemis Program) के माध्यम से NASA वर्ष 2024 तक मनुष्य (एक महिला और एक पुरुष) को चंद्रमा पर भेजना चाहता है। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव सहित चंद्रमा की सतह पर अन्य जगहों पर अंतरिक्ष यात्रियों को उतारना है।
  • आर्टेमिस कार्यक्रम के माध्यम से नासा (NASA) अपनी नई प्रौद्योगिकियों, क्षमताओं और व्यापार दृष्टिकोण का प्रदर्शन करना चाहता है, जो अंततः भविष्य में मंगल ग्रह के अन्वेषण के लिये आवश्यक होंगे।
  • नासा ने अपने इस पूरे कार्यक्रम को तीन भागों में विभाजित किया गया है, जिसमें 
    • पहला भाग आर्टेमिस I (Artemis I) है जो कि पूरी तरह से मानवरहित होगा और इसमें नासा द्वारा प्रयोग किये जाने वाले स्पेस लॉन्च सिस्टम (Space Launch System- SLS) और ओरियन अंतरिक्ष यान (Orion Spacecraft) का परीक्षण किया जाएगा। इसे अगले वर्ष 2021 तक लॉन्च किया जाएगा।
    • दूसरा भाग आर्टेमिस II (Artemis II) है जिसमें मानव दल को शामिल किया जाएगा और इसे वर्ष 2023 तक लॉन्च किया जाएगा, हालाँकि मिशन के इस हिस्से में चंद्रमा की सतह पर लैंड नहीं किया जाएगा।
    • मिशन का तीसरा और अंतिम भाग आर्टेमिस II (Artemis III) है, जिसे वर्ष 2024 में लॉन्च किया जाएगा और मिशन के इस हिस्से के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा जाएगा।

कार्यक्रम को लेकर नासा की तैयारी

  • आर्टेमिस कार्यक्रम के लिये नासा के नए रॉकेट जिसे स्पेस लॉन्च सिस्टम (Space Launch System- SLS) कहा जाता है, को चुना गया है। ध्यातव्य है कि यह रॉकेट ओरियन अंतरिक्ष यान (Orion Spacecraft) में सवार अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से चंद्रमा की कक्षा में ले जाएगा।
  • इसके अलावा नासा ने अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च करने के लिये अपने कैनेडी स्पेस सेंटर में एक्सप्लोरेशन ग्राउंड सिस्टम (Exploration Ground Systems) भी स्थापित किया है, ताकि आर्टेमिस कार्यक्रम और नासा के अन्य भावी कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में लॉन्च किया जा सके।
  • आर्टेमिस मिशन के लिये जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के लिये नासा ने नए स्पेस-सूट डिज़ाइन किये हैं, जिन्हें एक्सप्लोरेशन एक्स्ट्रावेहिकुलर मोबिलिटी यूनिट (Exploration Extravehicular Mobility Unit) या xEMU कहा जा रहा है। इस स्पेस-सूट में उन्नत गतिशीलता और संचार तथा विनिमेय भागों (Interchangeable Parts) की सुविधा है, जिसे माइक्रोग्रैविटी में या ग्रहीय सतह पर स्पेसवॉक (Spacewalk) के लिये उपयुक्त आकार दिया जा सकता है।

नासा (NASA) और चंद्रमा से संबंधित मिशन 

  • अमेरिका ने वर्ष 1961 के बाद से ही लोगों को अंतरिक्ष में लाने की कोशिश शुरू कर दी थी। इसके आठ वर्ष बाद 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग (Neil Armstrong) अपोलो 11 मिशन के तहत चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले मानव बने थे। 
    • उल्लेखनीय है कि अंतरिक्ष की सतह की ओर बढ़ते हुए नील आर्मस्ट्रांग ने कहा था कि ‘यह मनुष्य के लिये एक छोटा कदम है, मानव जाति के लिये एक विशाल छलांग है।’ अपोलो 11 मिशन के अंतरिक्ष यात्रियों ने एक संकेत के साथ चंद्रमा पर एक अमेरिकी ध्वज छोड़ा था।
  • अंतरिक्ष अन्वेषण के अलावा NASA के इन प्रयासों का उद्देश्य अंतरिक्ष के क्षेत्र में अमेरिकी नेतृत्व को प्रदर्शित करना और चंद्रमा पर अमेरिका की एक रणनीतिक उपस्थिति स्थापित करना है।

चंद्रमा पर अन्वेषण से संबंधित अन्य कार्यक्रम

  • वर्ष 1959 में सोवियत संघ का लूना (Luna) 1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला मानवरहित रोवर बन गया। तब से लेकर अब तक इस कार्य में कुल 7 देश सफल हुए हैं।
  • अमेरिका ने अपोलो 11 मिशन को भेजने से पूर्व वर्ष 1961 से वर्ष 1968 के बीच रोबोटिक मिशनों के तीन वर्ग भी भेजे थे। इसके बाद जुलाई 1969 से वर्ष 1972 तक कुल 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चाँद की सतह तक पहुँचे। 
  • उल्लेखनीय है कि नासा के अपोलो मिशनों में शामिल अंतरिक्ष यात्री अध्ययन के लिये पृथ्वी पर 382 किलोग्राम चंद्रमा की चट्टान और मिट्टी लेकर आए हैं। 
  • 1990 के दशक में अमेरिका ने रोबोट मिशन क्लेमेंटाइन (Robotic Missions Clementine) और लूनर प्रॉस्पेक्टर (Lunar Prospector) के साथ चंद्रमा पर अन्वेषण कार्यक्रम फिर से शुरू किया।
  • वर्ष 2009 में नासा (NASA) ने लूनर रिकॉनाइसेंस ऑर्बिटर (Lunar Reconnaissance Orbiter- LRO) और लूनर क्रेटर ऑब्ज़र्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (Lunar Crater Observation and Sensing Satellite- LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ चंद्रमा से संबंधित मिशनों की एक नई श्रृंखला शुरू की।
  • अमेरिका के अलावा यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों ने चंद्रमा के अन्वेषण के लिये मिशन भेजे हैं।
  • वर्ष 2019 में चीन ने दो रोवर्स को चंद्रमा की सतह पर उतारा है जिससे चीन चंद्रमा के दूरस्थ भाग पर ऐसा करने वाला पहला देश बन गया।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 की घोषणा की है जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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