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भारतीय इतिहास

माउंट मणिपुर और एंग्लो-मणिपुर युद्ध

  • 21 Oct 2021
  • 4 min read

प्रिलिम्स के लिये

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, एंग्लो-मणिपुर युद्ध

मेन्स के लिये 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पूर्वोत्तर भारत की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्र सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ‘माउंट हैरियट’ का नाम बदलकर ‘माउंट मणिपुर’ कर दिया है।

Andaman-Island

प्रमुख बिंदु

  • परिचय:
    • ‘माउंट हैरियट’ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है, जहाँ मणिपुर के महाराजा कुलचंद्र सिंह और 22 अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को एंग्लो-मणिपुर युद्ध (1891) के दौरान कैद किया गया था।
    • मणिपुर के उन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में इसका नाम परिवर्तित किया गया है।
      • मणिपुर 23 अप्रैल को एंग्लो-मणिपुर युद्ध के स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में खोंगजोम दिवस मनाता है।
  • एंग्लो-मणिपुर युद्ध:
    • पृष्ठभूमि:
      • वर्ष 1886 में जब सुरचंद्र को अपने पिता चंद्रकीर्ति सिंह से सिंहासन विरासत में मिला, तब मणिपुर का राज्य ब्रिटिश शासन के अधीन नहीं था, लेकिन विभिन्न संधियों के माध्यम से यह ब्रिटिश शासन से जुड़ा हुआ था।
      • हालाँकि सुरचंद्र के सिंहासन पर आते ही राज्य में विवाद उत्पन्न हो गया और उनके छोटे भाइयों- कुलचद्र और टिकेंद्रजीत ने उनके खिलाफ विद्रोह कर दिया।
      • विद्रोही गुट द्वारा वर्ष 1890 के तख्तापलट में सुरचंद्र को हटा दिया गया और कुलचंद्र को राजा घोषित किया गया। सुरचंद्र अंग्रेज़ों की मदद लेने के लिये कलकत्ता भाग गए।
    • ब्रिटिश अधिरोपण:
      • अंग्रेज़ों ने असम के मुख्य आयुक्त जेम्स क्विंटन को सेना के साथ मणिपुर भेजा। उनका मिशन कुलचंद्र को राजा के रूप में इस शर्त के तहत मान्यता देना था कि उन्हें तख्तापलट के नेता टिकेंद्रजीत को गिरफ्तार करने और उन्हें मणिपुर से निर्वासित करने की अनुमति दी जाए।
      • एक संप्रभु राज्य में ब्रिटिश कानून के इस अतिक्रमण को राजा द्वारा खारिज कर दिया गया, जिससे वर्ष 1891 का एंग्लो-मणिपुर युद्ध शुरू हो गया।
    • परिणति:
      • युद्ध के पहले चरण में अंग्रेज़ों ने आत्मसमर्पण कर दिया और उनके अधिकारियों को सार्वजनिक रूप से मार डाला गया।
      • दूसरे चरण में अंग्रेज़ों ने तीन तरफ से मणिपुर पर हमला किया और अंत में इंफाल के कांगला किले पर कब्ज़ा कर लिया।
        • राजकुमार टिकेंद्रजीत और चार अन्य लोगों को अंग्रेज़ों ने फाँसी पर लटका दिया, जबकि कुलचंद्र को 22 अन्य लोगों के साथ अंडमान द्वीप समूह भेज दिया गया।
      • जीत के बावजूद इस युद्ध में पाँच महत्त्वपूर्ण अधिकारियों की मौत हो गई थी।
        • भारत में इसे वर्ष 1857 के विद्रोह के बाद ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सामान्य विद्रोह का हिस्सा माना जाता है।
      • युद्ध के कारण मणिपुर आधिकारिक तौर पर ब्रिटिश ताज के अप्रत्यक्ष शासन के तहत एक रियासत बन गया।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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