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भारतीय इतिहास

मोपला विद्रोही, स्वतंत्रता सेनानी नहीं: ICHR रिपोर्ट

  • 07 Sep 2020
  • 10 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मोपला/मलाबार विद्रोह, वैगन ट्रैजडी, वरियामकुननाथ कुंजाहम्मद हाजी

मेन्स के लिये:

मोपला/मलाबार विद्रोह

चर्चा में क्यों?

'भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद' (Indian Council of Historical Research- ICHR) को इसके एक सदस्य द्वारा सौपीं गई रिपोर्ट में ‘मालाबार विद्रोह’ (मोपला विद्रोह) के नेताओं के नाम ‘शहीदों की सूची’ से हटाने की सिफारिश की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • ICHR की यह रिपोर्ट, दक्षिण भारत से स्वतंत्रता संग्राम के शामिल नेता जिनको 'शहीद के रूप में’ शामिल किया गया है, की समीक्षा के संबंधित थी।
  • रिपोर्ट में अली मुसलीयर, वरियामकुननाथ कुंजाहम्मद हाजी सहित 387 मोपला विद्रोहियों (जिसमें लगभग 10 हिंदू भी शामिल हैं) तथा ‘वैगन त्रासदी’ में शहीद नेताओं के नाम ‘शहीदों की सूची’ से हटाने की मांग की गई थी।
  • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा ‘शहीदों की सूची’ से संबंधित एक पुस्तक 'शहीदों का शब्दकोष: भारत का स्वतंत्रता संग्राम वर्ष 1857-1947' को जारी किया गया था।
  • इस शब्दकोश में मोपला विद्रोह में शामिल नेताओं को भी स्वतंत्रता सेनानियों की 'शहीद सूची' में शामिल किया गया है।

वैगन ट्रैजडी (Wagon Tragedy): 

  • यह ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों के खिलाफ अपनाई गई दमनकारी घटनाओं में से एक प्रमुख घटना थी। 
  • वैगन त्रासदी में लगभग 60 मोपला कैदियों को एक बंद रेल के मालवाहक डिब्बे/वैगन में मौत के घाट उतार दिया गया था।

ICHR रिपोर्ट और वैगन ट्रैजडी:

  • रिपोर्ट के अनुसार 'वैगन ट्रैजडी' में जिनकी मृत्यु हुई वे भारत के स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे, क्योंकि विद्रोहियों द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम या असहयोग आंदोलन पूर्ण का समर्थन नहीं किया गया था,  अपितु एक संक्षिप्त अवधि के लिये केवल खिलाफत आंदोलन को समर्थन दिया गया था।
  • रिपोर्ट के अनुसार, अंग्रेजों द्वारा उचित परीक्षण के बाद ही विद्रोहियों को दोषी ठहराया तथा इन मृतकों को कहीं और स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता नहीं दी गई थी।

मोपला या मालाबार विद्रोह:

  • 19वीं शताब्दी में केरल के मालाबार क्षेत्र के मोपलाओं ने जमीदारों के अत्याचारों से पीड़ित होकर कई बार विद्रोह किया था। अगस्त, 1921 में अवैध कारणों से प्रेरित होकर स्थानीय मोपला किसानों ने विद्रोह कर दिया। 
    • यहाँ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि वर्ष 2021 को मोपला विद्रोह की 100 वीं वर्षगांठ के रूप में चिन्हित किया गया है।
  • मोपला केरल के मालाबार तट के मुस्लिम किसान थे जहाँ जमींदार, जिन्हें क्षेत्रीय भाषा में ‘जेनमी’ कहा जाता था, अधिकतर हिंदू थे।     
  • मोपला विद्रोह के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे: 
    • लगान की उच्च दर; 
    • नज़राना एवं अन्य दमनकारी तौर तरीके;  
    • राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ संबंध।   
  • फरवरी, 1921 में सरकार ने निषेधाज्ञा लागू कर दी और कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। 

मोपला विद्रोह और सांप्रदायिकता:

  • मोपला विद्रोह प्रारंभ में वर्ग संघर्ष के रूप में शुरू हुआ था लेकिन बाद में उसने सांप्रदायिक रूप ले लिया। मोपला (मुस्लिम किसान) और ‘जेनमी’ (हिंदू जमीदार) दोनों ही समूह अपने पक्ष में लोगों को शामिल करने के लिये अपने धर्मों का हवाला देने लगे।
  • विद्रोह के दौरान अनेक धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया गया। मोपलाओं द्वारा जमीदारों के घरों को लूटना तथा आग लगाना शुरू कर दिया गया, जिससे विद्रोह ने धार्मिक रूप ले लिया।

मोपला विद्रोह का राष्ट्रीय आंदोलन से संबंध:

  • महात्मा गाँधी के आह्वान पर मालाबार में मोपलाओं के धार्मिक प्रमुख के नेतृत्त्व में एक 'खिलाफत समिति' का गठन किया गया।
  • ‘खिलाफत आंदोलन’ में किसानों की मांग का समर्थन किया गया, बदले में किसानों ने भी आंदोलन में अपनी पूरी शक्ति के साथ भाग लिया।
  • 'भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस' (INC) द्वारा मोपला विद्रोह का समर्थन किया गया तथा कृषि सुधारों और स्वतंत्रता दोनों की मांग का एक साथ समर्थन किया। 
  • मोपला विद्रोह के हिंसक रूप लेने के साथ ही कई राष्ट्रवादी नेता आंदोलन से अलग हो गए तथा शीघ्र ही आंदोलन समाप्त हो गया।   

वरियामकुननाथ कुंजाहम्मद हाजी:

Kunjammad-Haji

  • खिलाफत आंदोलन के नेताओं तथा भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस ने उनको भारत में खिलाफत आंदोलन के प्रणेता के रूप में पेश किया।   
    • हालाँकि कुंजाहम्मद हाजी का मानना था कि खिलाफत तुर्की का आंतरिक मामला है परंतु उन्होंने अंग्रेजों और जमींदारों के अत्याचारों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के साथ जुड़ने का वादा किया। 
  • उन्होंने कालीकट तथा दक्षिण मालाबार में खिलाफत आंदोलन का नेतृत्त्व किया। 
  • हाजी ने खिलाफत आंदोलन की धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित किया तथा आंदोलन में हिंदू-मुस्लिम एकता पर बल दिया एवं अन्य धर्मों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर बल दिया। 
  • अंग्रेजों ने उन्हें धार्मिक कट्टरपंथी नेता के रूप में पेश किया ताकि आंदोलन को धार्मिक रंग देकर समाप्त किया जा सके।

ICHR रिपोर्ट में कुंजाहम्मद हाजी:

  • ICHR रिपोर्ट में हाजी को 'कुख्यात मोपला विद्रोही नेता' और 'कट्टर अपराधी' के रूप में वर्णित किया गया है। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, हाजी ने वर्ष 1921 के मोपला विद्रोह के दौरान असंख्य हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मार डाला और उनके शवों को एक कुएँ  में जमा कर दिया था।
  •  मोपला विद्रोह के अंतिम चरण में हाजी को अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर, 20 जनवरी, 1922 को गोली मारकर हत्या कर दी गई।

निष्कर्ष:

  • 'संघ परिवार' सहित अनेक हिंदूवादी नेता मोपला विद्रोहियों को ‘शहीद सूची’ में शामिल करने के सरकार के इस निश्चय से नाराज थे। उनका मानना है कि मोपला विद्रोह में शामिल नेताओं ने न केवल सैकड़ों हिंदुओं का नरसंहार किया अपितु अनेक हिंदुओं को इस्लाम धर्मं अपनाने को मज़बूर किया गया। परंतु इस प्रकार भारतीय इतिहास से संबंधित किसी भी प्रकार के निर्णय वर्तमान राजनीति के प्रभाव के स्वतंत्र रहते हुए लिये जाने चाहिये।  

भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (ICHR) :

  • ICHR, 'मानव संसाधन विकास मंत्रालय' (शिक्षा मंत्रालय) का एक स्वायत्त निकाय है, जिसे वर्ष 1972 में ‘सोसायटी पंजीकरण अधिनियम’- 1860 के तहत स्थापित किया गया था।
  • यह फेलोशिप, अनुदान और संगोष्ठी के माध्यम से इतिहासकारों और विद्वानों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है।

ICHR की स्थापना के उदेश्य:

  • इतिहास में अनुसंधान को बढ़ावा देना, गति देना और समन्वय करना;
  • इतिहासकारों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के लिये एक मंच प्रदान करना;
  • इतिहास के वैज्ञानिक लेखन को बढ़ावा देना और इतिहास की तर्कसंगत प्रस्तुति और व्याख्या करना;
  • विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान प्रयासों के संतुलित वितरण को बढ़ावा देना।

स्रोत: द हिंदू

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