मौद्रिक नीति समीक्षा: आरबीआई | 09 Apr 2022
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में लगातार ग्यारहवीं बार भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीति दर - रेपो दर को 4% पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है।
- इसने अपने उदार रुख को भी बरकरार रखा है, लेकिन संकेत दिया है कि यह मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिये अधिशेष तरलता की क्रमिक और अंशांकित (कैलिब्रेटेड) निकासी में संलग्न होगा।
इस मौद्रिक नीति समीक्षा का महत्त्व:
- रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव को स्वीकार करना: कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि तथा यूक्रेन पर रूसी आक्रमण के प्रभाव के मद्देनज़र आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिये वृद्धि पूर्वानुमान को 7.8% से घटाकर 7.2% कर दिया है।
- रूस-यूक्रेन युद्ध संभावित रूप से वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमतों और वैश्विक स्पिल-ओवर चैनल्स के माध्यम से आर्थिक सुधार को बाधित कर सकता है।
- स्थायी जमा सुविधा: रिज़र्व बैंक ने मुद्रास्फीति को बढ़ावा देने वाली वित्तीय प्रणाली से 8.5 लाख करोड़ रुपए की अधिशेष तरलता को बाहर निकालने के लिये एक नए उपाय, स्थायी जमा सुविधा को तरलता को अवशोषित करने हेतु एक अतिरिक्त उपकरण के रूप में पेश किया है।
- नीतिगत रुख में बदलाव का संकेत: यह मौद्रिक नीति समीक्षा संकेत देती है कि रिज़र्व बैंक ने अंततः मुद्रास्फीति से निपटने के लिये अपनी प्राथमिकताओं को स्थानांतरित कर दिया है।
- ऐसे में आने वाले महीनों में इसकी प्रमुख नीतिगत दर (रेपो रेट) में बढ़ोतरी की संभावना है।
- इसके अलावा रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में अपने मुद्रास्फीति पूर्वानुमान को पहले अनुमानित 4.5% से बढ़ाकर 5.7% कर दिया है, हालाँकि यह भी रिज़र्व बैंक के लक्ष्य के 6% के ऊपरी बैंड से कम है।
- पूर्व-महामारी स्तरों को प्राप्त करना: रिज़र्व बैंक नीति पैनल ने तरलता समायोजन सुविधा (LAF) के तहत नीति दर को 50 आधार अंकों के पूर्व-महामारी स्तर पर बहाल करके एक ठोस कदम उठाया है।
- इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति के दबाव को कम करना है।
- LAF मौद्रिक नीति में उपयोग किया जाने वाला एक उपकरण है जो बैंकों को पुनर्खरीद समझौतों (रेपो) के माध्यम से RBI से धन उधार लेने या रिवर्स रेपो समझौते के माध्यम से RBI को धन उधार देने की अनुमति देता है।
स्थायी जमा सुविधा और इसकी भूमिका:
- परिचय: रिज़र्व बैंक ने 3.75% की ब्याज़ दर पर तरलता को अवशोषित करने के लिये एक अतिरिक्त उपकरण- स्थायी जमा सुविधा (SDF) की शुरुआत की है।
- यह बिना किसी संपार्श्विक के तरलता को अवशोषित करने के लिये एक अतिरिक्त उपकरण है।
- पृष्ठभूमि: वर्ष 2018 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की संशोधित धारा 17 ने रिज़र्व बैंक को SDF पेश करने का अधिकार दिया था।
- कार्यप्रणाली: रिज़र्व बैंक पर बाध्यकारी संपार्श्विक बाधा को हटाकर SDF मौद्रिक नीति के संचालन ढाँचे को मज़बूत करता है।
- तरलता प्रबंधन में इसकी भूमिका के अलावा SDF एक वित्तीय स्थिरता उपकरण भी है।
- SDF दर, पॉलिसी दर (रेपो दर) से 25 bps कम होगी और यह इस स्तर पर ओवरनाइट जमा पर लागू होगी।
- हालाँकि यह उचित मूल्य निर्धारण के साथ जब भी आवश्यकता होती है, लंबी अवधि की तरलता को अवशोषित करने के लिये लचीलापन बनाए रखेगा।
- आवश्यकता: महामारी के मद्देनज़र किये गए ‘असाधारण’ तरलता उपाय रिज़र्व बैंक के विभिन्न अन्य कार्यों के माध्यम से इंजेक्ट की गई तरलता के साथ वित्तीय प्रणाली में में 8.5 लाख करोड़ रुपए के ऑर्डर की तरलता प्रदान करने में सक्षम रहे हैं।
- SDF का मुख्य उद्देश्य सिस्टम में अतिरिक्त तरलता को कम करना तथा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना है।
- कार्यान्वयन: आरबीआई इस वर्ष की शुरुआत में गैर-विघटनकारी तरीके से एक बहु-वर्ष की समय सीमा में इस तरलता की क्रमिक और कैलिब्रेटेड निकासी में संलग्न होगा।
मौद्रिक नीति की लिखतें |
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रेपो दर |
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रिवर्स रेपो दर |
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तरलता समायोजन सुविधा |
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सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) |
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कॉरिडोर |
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बैंक दर |
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नकद आरक्षित अनुपात (CRR) |
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सांविधिक चलनिधि अनुपात (SLR) |
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खुला बाज़ार परिचालन (OMO) |
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बाज़ार स्थिरीकरण योजना (MSS) |
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आरबीआई के विभिन्न नीतिगत दृष्टिकोण |
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अकोमोडेटिव (उदार) |
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तटस्थ |
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हॉकिश नीति |
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कैलिब्रेटेड नीति |
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यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रश्न. यदि भारतीय रिज़र्व बैंक एक विस्तारवादी मौद्रिक नीति अपनाने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (b) |