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भारतीय अर्थव्यवस्था

RBI की मौद्रिक नीति रिपोर्ट

  • 09 Oct 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंक से संबंधित विभिन्न दरें, ऑपरेशन ट्विस्ट,  सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (GSAP), मुद्रास्फीति इत्यादि

मेन्स के लिये:

RBI की मौद्रिक नीति रिपोर्ट तथा विभिन्न नीतिगत दरों का निर्धारण 

चर्चा में क्यों?

भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India- RBI) ने हाल ही में अक्तूबर 2021 के लिये मौद्रिक नीति रिपोर्ट (Monetary Policy Report- MPR) जारी की है।

  • इसने नीतिगत दर को लगातार आठवीं बार अपरिवर्तित रखा है जब तक कि स्थायी रिकवरी की स्थिति प्राप्त न हो जाए।

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प्रमुख बिंदु

  • अपरिवर्तित नीतिगत दरें:
    • रेपो दर - 4%.
    • रिवर्स रेपो दर - 3.35%.
    • सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) - 4.25%.
    • बैंक दर- 4.25%.
  • GDP अनुमान:
    • 2021-22 के लिये वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 9.5% पर बरकरार रखी गई है।
  • मुद्रास्फीति:
    • RBI ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति के अनुमान को अगस्त 2021 के 5.7% से संशोधित कर 5.3% कर दिया है।
  •  सरकारी प्रतिभूति अधिग्रहण कार्यक्रम (GSAP)
    • इसने चलनिधि की अधिकता (अतिरिक्त तरलता), सरकारी खर्च के कारण तरलता में वृद्धि और वस्तु एवं सेवा कर मुआवज़े के लिये उच्च उधारी की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए GSAP को बंद कर दिया है
      • यह RBI के खुला बाज़ार परिचालन (Open Market Operations- OMO) का हिस्सा है, जिसके तहत यह खुले बाज़ार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद की एक विशिष्ट राशि के लिये प्रतिबद्ध है।
      • 'GSAP 1.0' के तहत कुल 25,000 करोड़ रुपए की पहली खरीद अप्रैल, 2021 में की गई थी।
    • GSAP को बंद करने के बाद भी RBI ने आश्वासन दिया है कि यह ऑपरेशन ट्विस्ट (OT) और नियमित ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO) सहित तरलता प्रबंधन से संबंधित अन्य कार्यों को लचीले ढंग से संचालित करना जारी रखेगा।
      • ‘ऑपरेशन ट्विस्ट’ का आशय ऐसे स्थिति से है, जब केंद्रीय बैंक दीर्घकालिक सरकारी ऋण प्रपत्रों को खरीदने के लिये अल्पकालिक प्रतिभूतियों की बिक्री से प्राप्त आय का उपयोग करता है, जिससे लंबी अवधि के प्रपत्रों पर ब्याज दर का बोझ कम हो जाता है।
  • उदार रुख:
    • इसने सतत् आधार पर विकास को बढ़ावा देने हेतु आवश्यक दीर्घकालिक समायोजन रुख को जारी रखने का निर्णय लिया है, जिससे अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के प्रभाव को कम करते हुए यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि मुद्रास्फीति निर्धारित लक्ष्य के भीतर ही बनी रहे।
      • ‘उदार रुख’ का अर्थ है कि केंद्रीय बैंक आवश्यकता पड़ने पर वित्तीय प्रणाली में धन लगाने के लिये दरों में कटौती करेगा।
  • परिवर्तनीय रेट रिवर्स रेपो (VRRR):
    • दिसंबर 2021 की शुरुआत तक ‘परिवर्तनीय रेट रिवर्स रेपो’ ऑक्शन का आकार बढ़ाकर 6 ट्रिलियन रुपए कर दिया गया है और आवश्यकता पड़ने पर इसकी अवधि को 28 दिनों तक बढ़ाया जा सकता है।
      • सिस्टम में अतिरिक्त तरलता को अवशोषित करने के लिये रिज़र्व बैंक ने अगस्त 2021 में एक ‘परिवर्तनीय रेट रिवर्स रेपो’ कार्यक्रम आयोजित करने की घोषणा की क्योंकि इसमें रिवर्स रेपो की निर्धारित दर की तुलना में अधिक यील्ड की संभावनाएँ हैं।

प्रमुख तथ्य

  • रेपो और रिवर्स रेपो दर:
    • रेपो दर वह दर है जिस पर किसी देश का केंद्रीय बैंक (भारत के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक) किसी भी तरह की धनराशि की कमी होने पर वाणिज्यिक बैंकों को धन देता है। इस प्रक्रिया में केंद्रीय बैंक प्रतिभूति खरीदता है।
    • रिवर्स रेपो दर वह दर है जिस पर RBI देश के भीतर वाणिज्यिक बैंकों से धन उधार लेता है।
  • बैंक दर:
    • यह वाणिज्यिक बैंकों को निधियों को उधार देने के लिये RBI द्वारा प्रभारित दर है।
  • सीमांत स्थायी दर (MSF):
    • MSF ऐसी स्थिति में अनुसूचित बैंकों के लिये आपातकालीन स्थिति में RBI से ओवरनाइट (रातों-रात) ऋण लेने की सुविधा है जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से कम हो जाती है।
  • खुला बाज़ार परिचालन:
    • ये RBI द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री/खरीद के माध्यम से बाज़ार से रुपए की तरलता की स्थिति को समायोजित करने के उद्देश्य से किये गए बाज़ार संचालन हैं।
  • सरकारी प्रतिभूति:
    • सरकारी प्रतिभूतियाँ केंद्र सरकार या राज्य सरकारों द्वारा जारी की जाने वाली एक व्यापार योग्य साधन होती हैं। ये सरकार के ऋण दायित्व को स्वीकार करती हैं। 
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक:
    • यह खुदरा खरीदार के दृष्टिकोण से मूल्य परिवर्तन को मापता है। यह राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी किया जाता है।
    • CPI खाद्य, चिकित्सा देखभाल, शिक्षा, इलेक्ट्रॉनिक्स आदि वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में अंतर की गणना करता है, जिसे भारतीय उपभोक्ता उपभोग के लिये खरीदते हैं।

मौद्रिक नीति रिपोर्ट

  • मौद्रिक नीति रिपोर्ट को RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा प्रकाशित किया जाता है। MPC विकास के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिये RBI अधिनियम, 1934 के तहत एक वैधानिक और संस्थागत ढाँचा है।
  • MPC, 4% के मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये आवश्यक नीति ब्याज़ दर (रेपो दर) निर्धारित करती है, जिसमें दोनों तरफ 2% अंक होते हैं। RBI का गवर्नर MPC का पदेन अध्यक्ष है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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