भारतीय अर्थव्यवस्था
न्यूनतम समर्थन मूल्य
- 09 Jun 2022
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प्रिलिम्स के लिये:MSP और इसकी गणना, खरीफ मौसम, रबी मौसम। मेन्स के लिये:MSP और संबद्ध मुद्दों का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्र ने खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंज़ूरी दी है, जिसमें कहा गया है कि दरें उत्पादन की औसत लागत का कम-से-कम 1.5 गुना होंगी।
- 14 खरीफ फसलों की दरों में 4% से 8% तक की बढ़ोतरी की गई है।
खरीफ सीज़न:
- इस सीज़न में फसलें जून से जुलाई माह तक बोई जाती हैं और कटाई सितंबर-अक्तूबर माह के बीच की जाती है।
- फसलें: इसके तहत चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, अरहर, मूँग, उड़द, कपास, जूट, मूँगफली और सोयाबीन आदि शामिल हैं।
- राज्य: असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा के तटीय क्षेत्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल और महाराष्ट्र।
न्यूनतम समर्थन मूल्य:
- परिचय:
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह दर है जिस पर सरकार किसानों से फसल खरीदती है और यह किसानों की उत्पादन लागत से कम-से-कम डेढ़ गुना अधिक होती है।
- ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’- किसी भी फसल के लिये वह ‘न्यूनतम मूल्य’ है, जिसे सरकार किसानों के लिये लाभकारी मानती है और इसलिये इसके माध्यम से किसानों का ‘समर्थन’ करती है।
- MSP के तहत फसलें:
- ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये 'उचित और लाभकारी मूल्य' (FRP) की सिफारिश की जाती है।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
- अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
- इसके अलावा लाही और नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) का निर्धारण क्रमशः सरसों और सूखे नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) के आधार पर किया जाता है।
- ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये 'उचित और लाभकारी मूल्य' (FRP) की सिफारिश की जाती है।
- MSP की सिफारिश संबंधी कारक:
- किसी भी फसल के लिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ द्वारा कृषि लागत समेत विभिन्न कारकों पर विचार किया जाता है।
- यह फसल के लिये आपूर्ति एवं मांग की स्थिति, बाज़ार मूल्य प्रवृत्तियों (घरेलू व वैश्विक), उपभोक्ताओं के निहितार्थ (मुद्रास्फीति), पर्यावरण (मिट्टी तथा पानी के उपयोग) और कृषि एवं गैर-कृषि क्षेत्रों के बीच व्यापार की शर्तों जैसे कारकों पर भी विचार करता है।
- तीन प्रकार की उत्पादन लागत:
- CACP द्वारा राज्य और अखिल भारतीय दोनों स्तरों पर प्रत्येक फसल के लिये तीन प्रकार की उत्पादन लागतों का अनुमान लगाया जाता है।
- ‘A2’
- इसके तहत किसान द्वारा बीज, उर्वरकों, कीटनाशकों, श्रम, पट्टे पर ली गई भूमि, ईंधन, सिंचाई आदि पर किये गए प्रत्यक्ष व्यय को शामिल किया जाता है।
- ‘A2+FL’
- इसके तहत ‘A2’ के साथ-साथ अवैतनिक पारिवारिक श्रम का एक अधिरोपित मूल्य शामिल किया जाता है।
- ‘C2’
- यह एक अधिक व्यापक लागत है, क्योंकि इसके अंतर्गत ‘A2+FL’ में किसान की स्वामित्त्व वाली भूमि और अचल संपत्ति के किराए तथा ब्याज को भी शामिल किया जाता है।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की सिफारिश करते समय CACP द्वारा ‘A2+FL’ और ‘C2’ दोनों लागतों पर विचार किया जाता है।
- CACP द्वारा ‘A2+FL’ लागत की ही गणना प्रतिफल के लिये की जाती है।
- जबकि ‘C2’ लागत का उपयोग CACP द्वारा मुख्य रूप से बेंचमार्क लागत के रूप में किया जाता है, यह देखने के लिये कि क्या उनके द्वारा अनुशंसित MSP कम-से-कम कुछ प्रमुख उत्पादक राज्यों में इन लागतों को कवर करते हैं।
- केंद्र सरकार की आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) MSP के स्तर और CACP द्वारा की गई अन्य सिफारिशों पर अंतिम निर्णय लेती है।
- MSP की आवश्यकता:
- वर्ष 2014 और वर्ष 2015 में लगातार दो सूखे (Droughts) कि घटनाओं के कारण किसानों को वर्ष 2014 के बाद से वस्तु की कीमतों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा।
- विमुद्रीकरण (Demonetisation) और ’वस्तु एवं सेवा कर’ ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था, मुख्य रूप से गैर-कृषि क्षेत्र के साथ-साथ कृषि क्षेत्र को भी, पंगु बना दिया है।
- वर्ष 2016-17 के बाद अर्थव्यवस्था में जारी मंदी और उसके बाद कोविड महामारी के कारण अधिकांश किसानों के लिये परिदृश्य विकट बना हुआ है।
- डीज़ल, बिजली एवं उर्वरकों के लिये उच्च इनपुट कीमतों ने उनके संकट को और बढ़ाया ही है।
भारत में MSP व्यवस्था से संबद्ध समस्याएँ:
- सीमितता: 23 फसलों के लिये MSP की आधिकारिक घोषणा के विपरीत केवल दो- चावल और गेहूँ की खरीद की जाती है क्योंकि इन्हीं दोनों खाद्यान्नों का वितरण NFSA के तहत किया जाता है। शेष अन्य फसलों के लिये यह अधिकांशतः तदर्थ व महत्त्वहीन ही है।
- अप्रभावी रूप से लागू: शांता कुमार समिति ने वर्ष 2015 में अपनी रिपोर्ट में बताया था कि किसानों को MSP का मात्र 6% ही प्राप्त हो सका, जिसका अर्थ यह है कि देश के 94% किसान MSP के लाभ से वंचित रहे हैं।
- खरीद मूल्य के रूप में: मौजूदा MSP व्यवस्था का घरेलू बाज़ार की कीमतों से कोई संबंध नहीं है। इसका एकमात्र उद्देश्य NFSA की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है, जिससे इसका अस्तित्व न्यूनतम समर्थन मूल्य के बजाय एक खरीद मूल्य के रूप में है।
- गेहूँ और धान की प्रमुखता वाली कृषि: चावल और गेहूँ के पक्ष में अधिक झुकी MSP प्रणाली इन फसलों के अति-उत्पादन की ओर ले जाती है तथा किसानों को अन्य फसलों एवं बागवानी उत्पादों की खेती के लिये हतोत्साहित करती है, जबकि उनकी मांग अधिक है तथा वे किसानों की आय में वृद्धि में उल्लेखनीय योगदान कर सकते हैं।
- मध्यस्थ-आश्रित व्यवस्था: MSP-आधारित खरीद प्रणाली मध्यस्थों/बिचौलियों, कमीशन एजेंटों और APMC अधिकारियों पर निर्भर है, जिसे छोटे किसान अपनी पहुँच के लिये कठिन व जटिल पाते हैं।
आगे की राह
- एक वास्तविक न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिये आवश्यक है कि सरकार हमेशा तब हस्तक्षेप करे जब भी बाज़ार की कीमतें पूर्वनिर्धारित स्तर से नीचे गिरती हैं, मुख्य रूप से अतिरिक्त उत्पादन और अधिक आपूर्ति के मामले में अथवा जब अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय कारकों के कारण मूल्य में गिरावट आती है।
- MSP को उन कई फसलों के लिये प्रोत्साहन मूल्य की तरह भी उपयोग किया जा सकता है जो पोषण सुरक्षा के लिये वांछनीय हैं (जैसे मोटे अनाज, दाल एवं खाद्य तेल) और जिनके लिये भारत आयात पर निर्भर है।
- अधिक पोषण गुणवत्ता वाले पशुपालन (मत्स्य पालन सहित) और फलों एवं सब्जियों में अधिक निवेश करना विवेकपूर्ण होगा।
- निवेश करने का सबसे अच्छा तरीका निजी क्षेत्र को क्लस्टर दृष्टिकोण के आधार पर कुशल मूल्य शृंखला के निर्माण के लिये प्रोत्साहित करना है।
- सरकार को कृषि मूल्य निर्धारण नीति में परिवर्तन लाना चाहिये जहाँ कृषि मूल्य निर्धारण आंशिक रूप से राज्य-समर्थित हो और आंशिक रूप से बाज़ार-प्रेरित।
- ऐसा करने का एक तरीका अंतर भुगतान योजना हो सकती है जैसा मध्य प्रदेश सरकार द्वारा ‘भावांतर भुगतान योजना’ (BBY) के रूप में कार्यान्वित की जा रही है।
विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर:D व्याख्या:
प्रश्न. भारत में निम्नलिखित में से किसे कृषि में सार्वजनिक निवेश माना जा सकता है? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 5 उत्तर: C |