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खनिज रियायत (चौथा संशोधन) नियम, 2021

  • 11 Nov 2021
  • 7 min read

प्रिलिम्स के लिये:

खनिज रियायत नियम-2016, व्यापार सुगमता, राष्ट्रीय खनिज नीति 2019, आत्मनिर्भर भारत

मेन्स के लिये:

खनिज रियायत (चौथा संशोधन) नियम, 2021 की प्रमुख विशेषताएँ, भारत का खनन क्षेत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में खान मंत्रालय ने खनिज (परमाणु और हाइड्रो कार्बन ऊर्जा खनिज के अतिरिक्त) रियायत (चौथा संशोधन) नियम, 2021 को अधिसूचित किया है। 

  • यह खनिज (परमाणु और हाइड्रो कार्बन ऊर्जा खनिज के अलावा) रियायत नियम, 2016 [MCR, 2016] में संशोधन करेगा।

Minerals-Concession

प्रमुख बिंदु

  • संशोधन:
    • कैप्टिव पट्टों से बिक्री:
      • कैप्टिव पट्टों से उत्पादित 50% खनिजों की बिक्री के तरीके प्रदान करने के लिये नए नियम जोड़े गए। 
      • इस संशोधन से कैप्टिव खानों की खनन क्षमता का अधिक-से-अधिक उपयोग करके अतिरिक्त खनिजों को बाज़ार में जारी करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है। 
        • कैप्टिव खदानें वे हैं जिनका खदानों के स्वामित्व कंपनी द्वारा विशेष उपयोग हेतु कोयले या खनिज का उत्पादन किया जाता है, जबकि गैर-कैप्टिव खदानें वे हैं जो ईंधन का उत्पादन और बिक्री करती हैं।
    • अधिभार का निपटान (OB):
      • अधिभार/अपशिष्ट चट्टान/थ्रेशोल्ड मूल्य से नीचे के खनिज जो खनन या खनिज को लाभकारी बनाने के दौरान उत्पन्न होते हैं, के निपटान की अनुमति देने के लिये प्रावधान जोड़ा गया। 
      • इससे खनिकों को व्यापार करने में सुगमता होगी।
    • खनन पट्टा प्रदान करने के लिये क्षेत्र:
      • खनन पट्टा प्रदान करने के लिये न्यूनतम क्षेत्र 5 हेक्टेयर से संशोधित कर यानी घटाकर 4 हेक्टेयर कर दिया गया है। वैसे क्षेत्र जहाँ खनिज की विशेष उपलब्धता हो वहाँ खनन पट्टा प्रदान करने हेतु न्यूनतम क्षेत्र 2 हेक्टेयर कर दिया गया है।
    • सभी मामलों हेतु आंशिक समर्पण:
      • सभी मामलों में खनन पट्टा क्षेत्र के आंशिक समर्पण की अनुमति है। 
      • पहले आंशिक समर्पण की अनुमति केवल वन मंज़ूरी न मिलने की स्थिति में ही दी जाती थी।
    • समग्र लाइसेंस का हस्तांतरण: 
      • सभी प्रकार की खदानों के समग्र लाइसेंस या खनन पट्टे के हस्तांतरण की अनुमति देने के लिये नियमों में संशोधन किया गया।
  • उद्देश्य:
    •  इसका उद्देश्य खनन क्षेत्र में रोज़गार एवं निवेश में वृद्धि, राज्यों के राजस्व में वृद्धि, खदानों के उत्पादन एवं समयबद्ध संचालन में वृद्धि, खनिज संसाधनों के अन्वेषण एवं नीलामी की गति में वृद्धि आदि है।

भारत में खनन क्षेत्र:

  • परिचय:
    • स्टील और एल्युमिनियम के उत्पादन और रूपांतरण लागत में भारत शुद्ध लाभ की स्थिति में है। इसकी रणनीतिक स्थिति निर्यात के अवसरों को विकसित करने के साथ-साथ तेज़ी से विकासशील एशियाई बाज़ारों को सक्षम बनाती है।
    • भारत वर्ष 2021 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक देश है।
    • भारत 2020 तक दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक था।
    • भारत की खनिज क्षमता दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के समान है। भारत वर्तमान में 95 प्रकार के खनिजों का उत्पादन करता है, लेकिन इस वृहद् खनिज क्षमता के बावजूद भारत का खनन क्षेत्र अभी भी अस्पष्ट है।
    • भारत के खनन क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में केवल 1.75% का योगदान है, जबकि दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की जीडीपी में खनन क्षेत्र का योगदान लगभग 7 से 7.5% तक है।
    •  संचालित खानों की कुल संख्या का 90% हिस्सा इन 11 राज्यों (आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक) में है।
  • खनन से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:
    • भारतीय संविधान की सूची-II (राज्य सूची) के क्रम संख्या-23 में प्रावधान है कि राज्य सरकार को अपनी सीमा के अंदर मौजूद खनिजों पर नियंत्रण रखने का अधिकार है।
    • सूची-I (केंद्रीय सूची) के क्रमांक-54 में प्रावधान है कि केंद्र सरकार को भारत के अनन्य आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के भीतर खनिजों पर नियंत्रण रखने का अधिकार है।
    • सभी अपतटीय खनिजों (भारतीय समुद्री क्षेत्र में स्थित समुद्र या समुद्र तल से निकाले गए खनिज जैसे- प्रादेशिक जल, महाद्वीपीय शेल्फ और अनन्य आर्थिक क्षेत्र) पर केंद्र सरकार का स्वामित्व है।
  • संबंधित योजनाएँ:

स्रोत: पीआईबी

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