नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), 2019 | 27 Apr 2022

प्रिलिम्स के लिये:

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019, 1985 का असम समझौता, नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC)

मेन्स के लिये:

सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, धर्मनिरपेक्षता, संविधान की छठी अनुसूची 

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में गृह मंत्रालय (एमएचए) ने 2020-21 के लिये अपनी नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 एक सहानुभूतिपूर्ण और सुधारात्मक कानून है और यह किसी भी भारतीय को नागरिकता से वंचित नहीं करता है।

  • CAA का उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता देना है। यह 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया और 10 जनवरी, 2020 को लागू हुआ था।
  • इस कानून का पूरे देश में व्यापक विरोध हुआ था।

CAA की चुनौतियाँ:

  • विशेष लक्षित समुदाय: ऐसी आशंकाएंँ हैं कि CAA के  बाद राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का देशव्यापी संकलन किया जाएगा, जिसमें प्रस्तावित नागरिक रजिस्टर से बहिष्कृत गैर-मुसलमान लाभान्वित होंगे, जबकि बहिष्कृत मुसलमानों को अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।
  • उत्तर-पूर्व से संबंधित मुद्दे: यह 1985 के असम समझौते का खंडन करता है, जिसमें कहा गया है कि 25 मार्च, 1971 के बाद बांग्लादेश से आने वाले अवैध प्रवासियों, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, को निर्वासित कर दिया जाएगा।
    • असम में अनुमानित 20 मिलियन अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं और ये प्रवासी राज्य के संसाधनों और अर्थव्यवस्था पर दबाव डालने के अलावा राज्य की जनसांख्यिकी को अनिवार्य रूप से परिवर्तित करते हैं।
  • मौलिक अधिकारों के खिलाफ: आलोचकों का तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार की गारंटी देता है जो नागरिकों और विदेशियों दोनों पर लागू होता है) तथा संविधान की प्रस्तावना में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
  • भेदभावपूर्ण: भारत में कई अन्य शरणार्थी हैं जिनमें श्रीलंका के तमिल और म्यांँमार के हिंदू रोहिंग्या शामिल हैं। ये अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं।
  • प्रशासन में कठिनाई: सरकार के लिये अवैध प्रवासियों और सताए गए लोगों के बीच अंतर करना मुश्किल होगा। 
  • द्विपक्षीय संबंधों में बाधा: यह अधिनियम उपर्युक्त तीन देशों में धार्मिक उत्पीड़न पर प्रकाश डालता है और इस प्रकार उनके साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों को खराब कर सकता है। 

गृह मंत्रालय द्वारा स्पष्टीकरण:

  • भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं: CAA भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता है। इसलिये यह किसी भी तरह से किसी भी भारतीय नागरिक के अधिकार को समाप्त या कम नहीं करता है। 
  • भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की कानूनी प्रक्रिया अपरिवर्तित रहती है: 
  • इसके अलावा नागरिकता अधिनियम, 1955 में प्रदान की गई किसी भी श्रेणी के किसी विदेशी द्वारा भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की वर्तमान कानूनी प्रक्रिया परिचालन में है और CAA इस कानूनी स्थिति में किसी भी तरह से संशोधन या परिवर्तन नहीं करता है। 
    • अत: किसी भी देश के किसी भी धर्म के कानूनी प्रवासियों के पंजीकरण या देशीयकरण के लिये कानून में पहले से प्रदान की गई पात्रता शर्तों को पूरा करने के बाद ही भारतीय नागरिकता प्राप्त की जा सकेगी। 
  • पूर्वोत्तर भारत से संबंधित मुद्दों को सुलझाना: वार्षिक रिपोर्ट में एक बार फिर पूर्वोत्तर में कानून को लेकर आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया है जिसमें कहा गया है कि संविधान की छठी अनुसूची के तहत क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट शासन के तहत आने वाले क्षेत्रों को शामिल करने से क्षेत्र की स्वदेशी और आदिवासी आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। 

आगे की राह

  • इसके बारे में नियमों की अधिसूचना, जिसके बिना कानून लागू नहीं किया जा सकता है, सरकार की ओर से कोई प्रतिबद्धता न होने के कारण लंबित है।
  • इस प्रकार गृह मंत्रालय को चाहिये कि वह CAA नियमों को अत्यंत पारदर्शिता के साथ अधिसूचित करे तथा इससे जुड़ी आशंकाओं को दूर करे। 

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न:भारतीय संविधान में पाँचवीं अनुसूची और छठी अनुसूची के प्रावधान संबंधित हैं:(2015) 

(a) अनुसूचित जनजातियों के हितों की रक्षा करना
(b)
राज्यों के बीच की सीमाओं का निर्धारण
(c)
पंचायतों की ज़िम्मेदारी, शक्तियों, अधिकार का निर्धारण 
(d)
सभी सीमावर्ती राज्यों के हितों की रक्षा करना

उत्तर: (a) 

  • पाँचवीं अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के अलावा अन्य राज्यों में अनुसूचित क्षेत्रों व अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन एवं नियंत्रण के लिये प्रावधान करती है।
  • छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम में जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से संबंधित है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस