तीन सुपरमैसिव ब्लैकहोल का विलय | 28 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:आकाशगंगा, सुपरमैसिव ब्लैक होल, NGC7733, NGC7734 मेन्स के लिये:तीन सुपरमैसिव ब्लैकहोल के विलय का महत्त्व |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों ने ‘ट्रिपल एक्टिव गेलेक्टिक न्यूक्लियस’ बनाने के लिये कई आकाशगंगाओं से तीन सुपरमैसिव ब्लैकहोल के विलय की खोज की है।
- अतीत में कई ‘एक्टिव गेलेक्टिक न्यूक्लियस’ (AGN) जोड़े का पता लगाया गया है, लेकिन ट्रिपल AGN अत्यंत दुर्लभ हैं और एक्स-रे शोधों का उपयोग करने से पहले केवल इनकी कुछ मात्रा का ही पता लगा था।
प्रमुख बिंदु
- वर्तमान विलय:
- वैज्ञानिक दो विशाल अवरुद्ध सर्पिल आकाशगंगाओं- NGC7733 और NGC7734 में AGN का अध्ययन कर रहे थे, जब उन्होंने बाद के केंद्र से असामान्य उत्सर्जन एवं उसके भीतर एक बड़े चमकीले समूह में हलचल का पता लगाया, जिसमें NGC7733 की तुलना में एक अलग वेग था।
- चूँकि तीसरी आकाशगंगा एक अलग आकाशगंगा थी, इसलिये वैज्ञानिकों ने इसका नाम NGC7733N रखा।
- विलय हुए तीनों ब्लैकहोल ‘टूकेन’ तारामंडल में आकाशगंगाओं का हिस्सा थे।
- ‘टूकेन’ तारामंडल: यह आकाश के दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है। यह अगस्त और अक्तूबर के बीच 15 डिग्री के दक्षिण अक्षांश पर दिखाई देता है। यह 30 डिग्री के उत्तर में भी क्षितिज से पूरी तरह नीचे है। यह एक छोटा तारामंडल है, जिसका क्षेत्रफल 295 वर्ग डिग्री है। यह आकाश में 88 नक्षत्रों में 48वें स्थान पर है।
- निकटतम गेलेक्टिक पड़ोसी की तुलना में वे काफी दूर हैं- एंड्रोमेडा आकाशगंगा 2.5 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है।
- वैज्ञानिक दो विशाल अवरुद्ध सर्पिल आकाशगंगाओं- NGC7733 और NGC7734 में AGN का अध्ययन कर रहे थे, जब उन्होंने बाद के केंद्र से असामान्य उत्सर्जन एवं उसके भीतर एक बड़े चमकीले समूह में हलचल का पता लगाया, जिसमें NGC7733 की तुलना में एक अलग वेग था।
- एक्टिव गेलेक्टिक न्यूक्लियस
- आकाशगंगाओं के केंद्रों पर सुपरमैसिव ब्लैकहोल हैं, जो आकार में कई मिलियन सौर द्रव्यमान के हैं और इन्हें AGN के रूप में जाना जाता है।
- अधिकांश आकाशगंगाओं के केंद्र में एक विशाल ब्लैकहोल होता है जिसके चारों ओर एक विशाल द्रव्यमान के रूप में जमा गैस, धूल और तारकीय मलबा होता है। AGN तब बनता है जब इन पदार्थों को गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा ब्लैक होल की ओर खींच लेती है और वह प्रकाश में परिवर्तित हो जाती है।
- चूँकि वे पदार्थ वृद्धि करते हैं, उनके चारों ओर अक्सर एक चमक होती है जिसे प्रकाश स्पेक्ट्रोस्कोपी का उपयोग करके देखा जा सकता है।
- आकाशगंगाओं का टकराव:
- यदि दो आकाशगंगाएँ टकराती हैं तो उनका ब्लैकहोल भी गतिज ऊर्जा को आसपास की गैस में स्थानांतरित करके पास आ जाएगा।
- ब्लैकहोल के बीच की दूरी समय के साथ घटती जाती है जब तक कि दूरी एक पारसेक (3.26 प्रकाश-वर्ष) के आसपास न हो जाए।
- दो ब्लैकहोल तब और भी करीब आने तथा विलय करने के लिये कोई और गतिज ऊर्जा खोने में असमर्थ होते हैं। इसे अंतिम पारसेक समस्या के रूप में जाना जाता है।
- खोज का महत्त्व:
- तीसरे ब्लैकहोल की उपस्थिति अंतिम पारसेक समस्या को हल कर सकती है। दो आकाशगंगाएँ तब करीब आ सकती हैं जब कोई अन्य ब्लैकहोल या कोई तारा गुज़रता है और इनके संयुक्त कोणीय गति को दूर ले जाता है।
- इस खोज से पता चलता है कि हमारे ब्रह्मांड में विशेष रूप से आकाशगंगा समूहों में बहुसंख्यक ब्लैकहोल [AGN] अत्यधिक सामान्य हो सकते हैं। इसलिये ब्लैकहोल के विकास को समूहों में इस तरह के विलय से प्रेरित किया जा सकता है।
ब्लैकहोल
- ब्लैकहोल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
- इस अवधारणा को वर्ष 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रमाणित किया गया था लेकिन ब्लैकहोल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने वर्ष 1960 के दशक के मध्य में किया था।
- आमतौर पर ब्लैकहोल की दो श्रेणियों होती हैं:
- पहली श्रेणी- ऐसे ब्लैकहोल जिनका द्रव्यमान, सौर द्रव्यमान (एक सौर द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान के बराबर होता है) से दस सौर द्रव्यमान के बीच होता है। बड़े पैमाने पर तारों की समाप्ति से इनका निर्माण होता है।
- अन्य श्रेणी सुपरमैसिव ब्लैकहोल की है। ये जिस सौरमंडल में पृथ्वी है उसके सूर्य से भी अरबों गुना बड़े होते हैं।
- ईवेंट होरिज़न टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2019 में ब्लैकहोल की पहली छवि (अधिक सटीक रूप से) जारी की।
- गुरुत्वाकर्षण तरंगें (Gravitational Waves) का निर्माण तब होता है जब दो ब्लैकहोल एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं और आपस में विलय करते हैं।