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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

गतिशील ब्लैकहोल

  • 18 Mar 2021
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पहले गतिशील सुपरमैसिव ब्लैकहोल (Supermassive Black Hole) की खोज की है, जिसका द्रव्यमान हमारे सूर्य से लगभग तीन मिलियन गुना अधिक है।

  • यह ब्लैकहोल अपनी आकाशगंगा (J0437 + 2456) के भीतर घूम रहा था जो पृथ्वी से लगभग 228 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर है।

प्रमुख बिंदु

वैज्ञानिकों द्वारा संचालित अध्ययन:

  • वैज्ञानिकों ने केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैकहोल वाले दूर स्थित 10 आकाशगंगाओं का अध्ययन किया, उन्हें उम्मीद थी कि इन ब्लैकहोल का वेग उनकी आवासीय आकाशगंगाओं के वेग के समान होगा।
  • उनके अध्ययन का मुख्य केंद्र अभिवृद्धि डिस्क (Accretion Disk-एक सुपरमैसिव ब्लैकहोल के चारों ओर सर्पिल द्रव्यमान जो कि ब्लैकहोल द्वारा अंतत: अंतर्ग्रहण कर लिया जाता है) के अंदर पानी पर था।
    • जब अभिवृद्धि डिस्क (जल युक्त) ब्लैकहोल के चारों ओर परिक्रमा करता है, तो यह लेर प्रकाश जैसी किरण का उत्पादन करता है, जिसे मेसर (Maser) कहा जाता है। ये मेसर ब्लैकहोल के वेग को बहुत सटीक रूप से बता सकते हैं।

गतिमान सुपरमैसिव ब्लैकहोल के विषय में:

  • वैज्ञानिकों ने जिन 10 ब्लैकहोल का अध्ययन किया, उनमें से J0437 + 2456 आकाशगंगा के केंद्र में केवल एक ब्लैकहोल असामान्य वेग से गति कर रहा था, जो कि अपनी आकाशगंगा के समान वेग से नहीं चल रहा था।
    • इन ब्लैकहोल के विशाल आकार ने इन्हें अंतरिक्ष में इधर-उधर तैरती वस्तुओं के विपरीत आकाशगंगाओं के मध्य में स्थिर वस्तुओं के रूप में कल्पना करने के लिये लोगों को प्रेरित किया।
  • यह अपनी आकाशगंगा के अंदर लगभग 1,10,000 मील प्रति घंटे की गति से घूम रहा है।
  • गति के संभावित कारण:
    • दो सुपरमैसिव ब्लैकहोल का विलय: वैज्ञानिकों ने कहा कि हो सकता है जिस ब्लैकहोल को देखा गया है वह दो ब्लैकहोल के विलय के बाद इस  स्थिति में गतिशील हुआ हो।
    • दूसरा, अधिक रोमांचक सिद्धांत एक बाइनरी ब्लैकहोल सिस्टम का है जहाँ एक नहीं बल्कि दो सुपरमैसिव ब्लैकहोल मौजूद हो सकते हैं, जो एक साझा गुरुत्त्वाकर्षण केंद्र वाली आकाशगंगाओं के भीतर मौजूद होते हैं।
      • नव अन्वेषित गतिशील ब्लैकहोल की वजह से मेसर का उत्सर्जन नहीं हो सकता है, इसे रेडियो एंटीना नेटवर्क द्वारा पता लगाया जा सकता है।

ब्लैकहोल

  • ब्लैकहोल्स अंतरिक्ष में उपस्थित ऐसे छिद्र हैं जहाँ गुरुत्व बल इतना अधिक होता है कि यहाँ से प्रकाश का पारगमन नहीं होता।
  • इस अवधारणा को वर्ष 1915 में अल्बर्ट आइंस्टीन द्वारा प्रमाणित किया गया था लेकिन ब्लैकहोल शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले अमेरिकी भौतिकविद् जॉन व्हीलर ने वर्ष 1960 के दशक के मध्य में किया था।
  • आमतौर पर ब्लैकहोल की दो श्रेणियों होती है:
    • पहली श्रेणी- ऐसे ब्लैकहोल जिनका द्रव्यमान सौर द्रव्यमान (एक सौर द्रव्यमान हमारे सूर्य के द्रव्यमान के बराबर होता है) से दस सौर द्रव्यमान के बीच होता है। बड़े पैमाने पर तारों की समाप्ति से इनका निर्माण होता है।
    • अन्य श्रेणी सुपरमैसिव ब्लैकहोल की है। ये जिस सौरमंडल में पृथ्वी है उसके सूर्य से भी अरबों गुना बड़े होते हैं।
  • ईवेंट होरिज़न टेलीस्कोप प्रोजेक्ट के वैज्ञानिकों ने अप्रैल 2019 में  ब्लैकहोल की पहली छवि (अधिक सटीक रूप से) जारी की।
    • ईवेंट होरिज़न टेलीस्कोप विश्व के विभिन्न हिस्सों में स्थित 8 रेडियो टेलीस्कोप (अंतरिक्ष से रेडियो तरंगों का पता लगाने के लिये इस्तेमाल किया जाने वाला टेलीस्कोप) का समूह है।
  • गुरुत्वाकर्षण तरंगें (Gravitational Waves) का निर्माण तब होता है जब दो ब्लैकहोल एक-दूसरे की परिक्रमा करते हैं और आपस में विलय करते हैं।

Black-Hole

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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