सामाजिक न्याय
कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक उत्पादकता
- 06 Feb 2025
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प्रिलिम्स के लिये:आर्थिक समीक्षा 2025, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASI) मेन्स के लिये:मानसिक स्वास्थ्य पर अनौपचारिक कार्य का प्रभाव, खराब मानसिक स्वास्थ्य के प्रभाव, सरकार द्वारा उठाए गए कदम, मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये उठाए जा सकने वाले कदम |
स्रोत: ईटी
चर्चा में क्यों?
आर्थिक सर्वेक्षण 2025 में कार्यस्थल संस्कृति, कार्य घंटों और जीवनशैली का मानसिक स्वास्थ्य और श्रमिक उत्पादकता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है।
- इसमें कर्मचारियों की भलाई को बढ़ावा देने के लिये कार्यस्थल की बेहतर स्थितियों और स्वस्थ जीवनशैली की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या हैं?
- कार्यस्थल संस्कृति: सकारात्मक कार्यस्थल संस्कृति मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। सर्वेक्षण में पाया गया है कि प्रबंधकों और सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध रखने वाले कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य स्तर 33% अधिक होते हैं।
- काम में उद्देश्य की भावना से कल्याण में और वृद्धि होती है।
- कार्यभार प्रबंधन: अत्यधिक कार्यभार मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। प्रबंधनीय कार्यभार वाले कर्मचारी काम से अभिभूत कर्मचारियों की तुलना में 27% अधिक मानसिक स्वास्थ्य की रिपोर्ट करते हैं।
- लंबी कार्य अवधि (प्रति सप्ताह 55-60 घंटे) तनाव और चिंता बढ़ाते हैं।
- दूरस्थ कार्य का प्रभाव: जबकि दूरस्थ कार्य अनुकूलता प्रदान करता है, पूर्णतः दूरस्थ कर्मचारी कार्यालय में या हाइब्रिड मॉडल में कार्य करने वालों की तुलना में 17% कम मानसिक कल्याण स्तर दर्ज करते हैं।
- कार्यस्थल पर सामाजिक संपर्क मानसिक स्वास्थ्य के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- जीवनशैली विकल्प और मानसिक स्वास्थ्य:
- आहार संबंधी विकल्प: जो व्यक्ति अत्यधिक प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं, उनका मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- शारीरिक गतिविधि: व्यायाम की कमी से तनाव में वृद्धि होती है तथा उत्पादकता में कमी होती है।
- सोशल मीडिया का उपयोग: अत्यधिक सोशल मीडिया का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य में गिरावट का कारण है।
- पारिवारिक संबंध: परिवार के साथ सुदृढ़ संबंधों का मानसिक स्वास्थ्य में सुधार लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार स्व-नियोजित श्रमिकों की संख्या में वृद्धि
- स्वरोज़गार में वृद्धि: स्वरोज़गार श्रमिकों का अनुपात 52.2% (2017-18) से बढ़कर 58.4% (2023-24) हो गया।
- क्षेत्रवार प्रवृत्ति: रोज़गार में कृषि क्षेत्र प्रमुख बना हुआ है, जो उक्त अवधि के दौरान 44.1% से बढ़कर 46.1% हो गया।
- नियमित रोज़गार में गिरावट: वेतनभोगी रोज़गार की हिस्सेदारी वर्ष 2017-18 में 22.8% थी जो वर्ष 2023-24 में घटकर 21.7% हो गई।
- अनियत रोज़गार भी 24.9% से घटकर 19.8% हो गया, जो संरचित स्वरोज़गार की ओर बदलाव का संकेत है।
- बेरोज़गारी में कमी: बेरोज़गारी दर (15+ आयु वर्ग) 6% (2017-18) से घटकर 3.2% (2023-24) हो गई।
- औपचारिक क्षेत्र में वृद्धि: EPFO अंशदान में निवल वृद्धि दोगुनी से अधिक हुई, जो 61 लाख (2018-19) से बढ़कर 1.31 करोड़ (2023-24) हो गई, जिसमें 61% नए वेतन-सूची में युवा (<29 वर्ष) शामिल हैं।
खराब मानसिक स्वास्थ्य के अर्थव्यवस्था पर प्रमुख प्रभाव क्या हैं?
- उत्पादकता में कमी: अवसाद और दुश्चिंता जैसे मानसिक स्वास्थ्य विकार से कार्य कुशलता में कमी, अनुपस्थिता और प्रस्तुतिवाद (अस्वस्थ रहते हुए कार्य करना) जैसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वैश्विक स्तर पर अवसाद और दुश्चिंता के कारण प्रतिवर्ष 12 बिलियन कार्य दिवसों का नुकसान होता है, जिसकी आर्थिक लागत लगभग 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।
- अनुपस्थिता और टर्नओवर: खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण बीमार रहने के दिनों की संख्या बढ़ सकती है, समय से पहले कार्यस्थल छोड़ने की प्रवृत्ति हो सकती है, और नौकरी छूटने की संभावना बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कार्यप्रवाह बाधित हो सकता है तथा भर्ती एवं प्रशिक्षण प्रतिस्थापन से जुड़ी लागत बढ़ सकती है।
- आर्थिक समीक्षा 2024-25 के अनुसार खराब मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति का प्रति माह लगभग 15 कार्य दिवस का ह्रास होता है, जबकि स्वस्थ व्यक्तियों के लिये यह 2 से 3 दिन है।
- स्वास्थ्य देखभाल व्यय में वृद्धि: खराब मानसिक स्वास्थ्य के कारण बार-बार चिकित्सक से मिलना, अस्पताल में भर्ती होने और दीर्घकालिक उपचार के कारण स्वास्थ्य देखभाल लागत बढ़ जाती है, जिससे लोक स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे पर बोझ बढ़ जाता है तथा अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों के प्रभावित होते हैं।
- नवप्रवर्तन और उद्यमशीलता में गिरावट: खराब मानसिक स्वास्थ्य रचनात्मकता, जोखिम लेने और निर्णय लेने की क्षमता को बाधित करता है, जिससे तकनीकी और व्यावसायिक प्रगति धीमी हो जाती है, विशेष रूप से उच्च प्रदर्शन वाले क्षेत्रों में जो तनाव और थकान का सामना कर रहे हैं।
माइंड हेल्थ कोशेंट (Mind Health Quotient- MHQ)
- MHQ मानसिक स्वास्थ्य और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली का आकलन करने वाला एक मानकीकृत उपाय है।
- यह मूल्यांकन एक मानकीकृत प्रश्नावली पर स्वयं-रिपोर्ट की गई प्रतिक्रियाओं पर आधारित है, जो भावनात्मक लचीलापन, संज्ञानात्मक कार्य, सामाजिक कल्याण और जोखिम कारकों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में मानसिक कल्याण का आकलन करता है।
- MHQ स्कोर -100 से +200 तक होता है, जो समग्र मानसिक स्वास्थ्य का आकलन करता है। उच्च स्कोर बेहतर मानसिक स्वास्थ्य का संकेत देते हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 द्वारा क्या सुझाव दिये गए हैं?
- कार्यस्थल सुधार: पारस्परिक संबंधों में सुधार, कार्यस्थल पर तनाव को कम करने और उद्देश्य की भावना को बढ़ावा देकर एक सहायक कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना।
- बर्नआउट को रोकने और उत्पादकता बढ़ाने के लिये कार्य-घंटों के विनियमन को लागू करना।
- लचीले कार्य मॉडल: लचीलेपन और सामाजिक संपर्क को संतुलित करने के लिये हाइब्रिड कार्य नीतियों को प्रोत्साहित करना, जिससे पूर्ण दूरस्थ कार्य के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सके।
- स्वास्थ्य और जीवनशैली में हस्तक्षेप: नियोक्ताओं और सरकार को मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिये स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और डिजिटल डिटॉक्स को बढ़ावा देना चाहिये।
- जागरूकता और मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम: कार्यस्थल पर बेहतर स्वास्थ्य के लिये बड़े पैमाने पर मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता पहल, परामर्श सेवाएँ और कर्मचारी सहायता कार्यक्रम लागू करना।
- नीति और विधायी उपाय: श्रम कानूनों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विचारों को एकीकृत करके व्यावसायिक स्वास्थ्य नीतियों को मज़बूत बनाना, तथा यह सुनिश्चित करना कि कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य के अनुकूल प्रथाओं को अपनाया जाए।
निष्कर्ष
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में मानसिक स्वास्थ्य को राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया गया है। स्वस्थ कार्यबल उत्पादकता, लचीलापन और आर्थिक विकास की कुंजी है। सहायक नीतियों के माध्यम से कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने से भारत की वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की राह मज़बूत होगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नमेन्सप्रश्न. सामाजिक विकास की संभावनाओं को बढ़ाने के क्रम में, विशेषकर जराचिकित्सा एवं मातृ स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में सुदृढ़ और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल संबंधी नीतियों की आवश्यकता है। विवेचन कीजिये। (2020) प्रश्न. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय समुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। स्पष्ट कीजिये। (2018) |