चिकित्सा उपकरण और मैलवेयर | 11 Apr 2023
प्रिलिम्स के लिये:चिकित्सा उपकरण और मैलवेयर, रैनसमवेयर, साइबर हमले, ट्रोजन हॉर्स, साइबर सुरक्षित भारत, साइबर स्वच्छता केंद्र। मेन्स के लिये:चिकित्सा उपकरणों पर मैलवेयर हमलों के प्रभाव और उपाय। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ऑक्सीमीटर, हियरिंग एड, ग्लूकोमीटर और पेसमेकर जैसे सामान्य चिकित्सा उपकरणों को रैनसमवेयर में बदला जा सकता है।
- उद्योग विशेषज्ञ इस खतरे को पहचानते हुए किसी भी संभावित हानि को रोकने हेतु तत्काल प्रभाव से केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।
- यह चेतावनी भारत के शीर्ष तृतीयक देखभाल अस्पतालों पर हुए रैनसमवेयर हमलों के तुरंत बाद आई है, जिसके कारण दिल्ली के एम्स और सफदरजंग जैसे बड़े अस्पतालों के मेडिकल रिकॉर्ड को हैक कर लिया गया था।
चिंताएँ:
- डेटा उल्लंघन:
- चिकित्सा प्रौद्योगिकी उपकरणों के बढ़ते उपयोग और इन उपकरणों में पर्याप्त साइबर सुरक्षा के अभाव ने स्वास्थ्य सेवा उद्योग में डेटा उल्लंघनों तथा साइबर हमलों के संबंध में चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- ऐसे उपकरण आमतौर पर इंटरनेट, मोबाइल फोन, सर्वर और क्लाउड से जुड़े होने के कारण हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं।
- सनफार्मा (विश्व की चौथी सबसे बड़ी जेनरिक दवा कंपनी और एक भारतीय बहुराष्ट्रीय निगम) को हाल के साइबर हमलों में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ लक्षित किया गया था।
- सुभेद्य आबादी:
- भारत चिकित्सा उपकरणों हेतु विश्व के शीर्ष 20 बाज़ारों में से एक है, चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के वर्ष 2025 तक 50 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक पहुँचने का अनुमान है। हालाँकि, तेज़ आर्थिक विकास, बढ़ती मध्यम वर्ग की आय तथा चिकित्सा उपकरणों के बाज़ार में प्रवेश ने आबादी को साइबर खतरों के प्रति संवेदनशील बना दिया है।
- अपर्याप्त प्रणालियाँ:
- इसके अलावा भारतीय स्वास्थ्य सेवा उद्योग में एक केंद्रीकृत डेटा संग्रह तंत्र का अभाव है, जो डेटा भ्रष्टाचार की सटीक लागत निर्धारित करना चुनौतीपूर्ण बनाता है।
- इसके बावजूद यह स्पष्ट है कि डेटा न्यू ऑयल बन गया है और साइबर हमलों से एक महत्त्वपूर्ण खतरे से प्रभावित हो रहा है।
ऐसे साइबर खतरों से निपटना:
- विशेषज्ञों के साथ परामर्श: सरकार को उन चुनौतियों की पहचान करने हेतु उद्योग विशेषज्ञों के साथ परामर्श करना चाहिये जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा पैदा कर सकते हैं।
- कर्मचारी प्रशिक्षण: कर्मचारियों को फ़िशिंग ईमेल को पहचानने एवं उससे बचने के तरीके हेतु प्रशिक्षित किया जाना चाहिये, जिसका उपयोग आमतौर पर रैंसमवेयर हमलों को शुरू करने हेतु किया जाता है।
- डेटा संरक्षण एक रॉकेटिंग साइंस नहीं है, लेकिन इसके लिये कानूनी एवं तकनीकी सक्षमता, पर्याप्त संसाधनों के आवंटन तथा व्यक्तिगत डेटा के प्रसंस्करण में शामिल सभी पेशेवरों के प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है।
- नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट: नियमित सॉफ्टवेयर अपडेट उन कमज़ोरियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं जिनका हैकर फायदा उठा सकते हैं।
- अभिगम नियंत्रण: चिकित्सा उपकरणों तक केवल अधिकृत कर्मियों की पहुँच को सीमित करने से अनधिकृत व्यक्तियों को उपकरणों तक पहुँचने तथा उन्हें मैलवेयर से संक्रमित करने से रोका जा सकता है।
- एन्क्रिप्शन: चिकित्सा उपकरणों पर डेटा को अनधिकृत पहुँच से बचाने हेतु एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जा सकता है।
- नेटवर्क सेगमेंटेशन: नेटवर्क को विभाजित करने से मैलवेयर को एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस में प्रसारित होने से रोकने में मदद मिल सकती है।
साइबर खतरों के प्रमुख प्रकार:
- रैंसमवेयर: यह मैलवेयर का एक रूप है जहाँ पहले कंप्यूटर के डेटा को हाईजैक किया जाता है और फिर इसे पुनर्स्थापित करने के लिये पैसे की मांग (आमतौर पर बिटकॉइन के रूप में) संबंधी संदेश पोस्ट किया जाता है।
- ट्रोजन हॉर्स : कंप्यूटर प्रोग्राम के अंदर छुपा एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर प्रोग्राम होता है। यह किसी वैध प्रोग्राम जैसे- किसी स्क्रीन सेवर के अंदर छुपकर कंप्यूटर में प्रवेश करता है।
- जब उपयोगकर्ता संभवतः प्रोग्राम निष्पादित करता है, तो ट्रोजन के अंदर मैलवेयर का उपयोग सिस्टम में किसी और तरीके से प्रवेश करने के लिये किया जा सकता है जिसके माध्यम से हैकर्स कंप्यूटर या नेटवर्क में प्रवेश कर सकते हैं।
- क्लिकज़ैकिंग: यह इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर वाले लिंक पर क्लिक करने या अनजाने में सोशल मीडिया साइटों पर निजी जानकारी साझा करने के लिये लुभाने का कृत्य है।
- डिनायल ऑफ सर्विस (DOS) अटैक: किसी सेवा को बाधित करने के उद्देश्य से कई कंप्यूटरों और मार्गों से वेबसाइट जैसी किसी विशेष सेवा को ओवरलोड करने का जानबूझकर कर किया जाने वाला कृत्य।
- मैन इन मिडिल अटैक: इस तरह के हमले में दो पक्षों के बीच संदेशों को पारगमन के दौरान ‘इंटरसेप्ट’ किया जाता है।
- क्रिप्टो ज़ैकिंग: क्रिप्टो ज़ैकिंग शब्द क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित है। क्रिप्टो ज़ैकिंग तब होता है जब हमलावर क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के लिये किसी दुसरे के कंप्यूटर का उपयोग करते हैं।
- ज़ीरो डे वल्नेरेबिलिटी : ज़ीरो डे वल्नेरेबिलिटी मशीन/नेटवर्क के ऑपरेटिंग सिस्टम या एप्लीकेशन सॉफ़्टवेयर में व्याप्त ऐसा दोष है जिसे डेवलपर द्वारा ठीक नहीं किया गया है, ऐसे हैकर द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा सकता है जो इसके बारे में जानता है।
- ब्लूबगिंग: यह हैकिंग का एक रूप है जो हैकर्स को खोजे जा सकने योग्य चालू ब्लूटूथ कनेक्शन के माध्यम से डिवाइस तक पहुँच प्रदान करता है। एक बार किसी डिवाइस या फोन के ब्लूबग हो जाने के बाद, हैकर उसके कॉल सुन सकता है, संदेश पढ़ सकता है और संदेश भी भेज सकता है तथा संपर्कों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है।
साइबर सुरक्षा से संबंधित पहलें:
- भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)
- भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-IN)
- साइबर सुरक्षित भारत
- साइबर स्वच्छता केंद्र
- राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वय केंद्र (NCCC)
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. भारत में, किसी व्यक्ति के साइबर बीमा कराने पर, निधि की हानि की भरपाई एवं अन्य लाभों के अतिरिक्त निम्नलिखित में से कौन-कौन से लाभ दिये जाते हैं? (2020)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में साइबर सुरक्षा घटनाओं पर रिपोर्ट करना निम्नलिखित में से किसके/किनके लिये विधितः अधिदेशात्मक है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (d) मेन्स:प्रश्न. साइबर सुरक्षा के विभिन्न तत्त्व क्या हैं? साइबर सुरक्षा की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए समीक्षा कीजिये कि भारत ने किस हद तक व्यापक राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति सफलतापूर्वक विकसित की है। (2022) |