भारतीय अर्थव्यवस्था
COVID-19 के कारण भारतीय अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गिरावट
- 16 May 2020
- 7 min read
प्रीलिम्स के लिये‘दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस’ रिपोर्ट, COVID-19, मेन्स के लियेअंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर COVID-19 का प्रभाव, |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में ‘केंद्रीय व्यापार और उद्यम मंत्रालय’ (Ministry of Commerce and Industry) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, COVID-19 और इसके नियंत्रण हेतु लागू लॉकडाउन से वैश्विक व्यापार के प्रभावित होने के कारण अप्रैल (वर्ष 2020) माह में भारत में वस्तुओं के निर्यात और आयात में भारी गिरावट देखने को मिली है।
प्रमुख बिंदु:
- केंद्रीय व्यापार और उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, अप्रैल माह में भारत से होने वाली वस्तुओं के निर्यात में 60.3% की गिरावट देखी गई, साथ ही इस दौरान अन्य देशों से होने वाले आयात में भी 58.7% की कमी हुई है।
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अप्रैल माह में देश के व्यापार में आई इस गिरावट के कारण 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार घाटा दर्ज किया गया।
इससे पूर्व मार्च 2020 में भी भारतीय वस्तुओं के निर्यात में 34.6% और आयात में 28.7% की गिरावट देखी गई थी।
- अप्रैल माह में भारत से निर्यात होने वाले 30 प्रमुख उत्पादों में मात्र दो उत्पादों-लौह अयस्क (17.5%) और दवाइयों (0.25%) के निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखने को मिली थी परंतु इस दौरान सभी प्रमुख उत्पादों के आयात में वृद्धि नकारात्मक ही रही।
- अप्रैल माह में मुख्य रूप से सोने, कीमती पत्थरों, इलेक्ट्रॉनिक सामान, मशीनरी और कोयला आदि के आयात में भारी गिरावट देखने को मिली।
वैश्विक व्यापार में गिरावट:
- विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization- WTO) के अनुमान के अनुसार, COVID-19 महामारी और इसके नियंत्रण हेतु विश्व के कई देशों में लागू लॉकडाउन के कारण वर्ष 2020 में अंतर्राष्ट्रीय वस्तु व्यापार में 13%-32% की गिरावट देखी जा सकती है।
- एशियन डेवलपमेंट बैंक (The Asian Development Bank- ADB) के अनुमान के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2020-21 में दक्षिण एशिया की जीडीपी में 142 बिलियन से 218 बिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 3.9-6%) की गिरावट देखी जा सकती है।
- ADB के अनुमान के अनुसार, दक्षिण एशिया की जीडीपी में आई इस गिरावट का मुख्य कारण भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में COVID-19 के नियंत्रण हेतु लागू सख्त लॉकडाउन है।
भारतीय व्यापार में आई गिरावट का कारण:
- विशेषज्ञों के अनुसार, COVID-19 के कारण देश में लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन से स्थानीय बाज़ारों में उत्पादों की खपत में कमी आई है साथ ही वैश्विक स्तर पर उत्पादों और सेवाओं की मांग में गिरावट से भारतीय निर्यात को गंभीर क्षति हुई है।
- विश्व बैंक (World Bank) द्वारा हाल ही में जारी ‘दक्षिण एशिया आर्थिक फोकस’ (South Asia Economic Focus) रिपोर्ट में भारतीय सेवा क्षेत्र में भी भारी अंतर्राष्ट्रीय गिरावट का अनुमान लगाया था।
- वर्तमान में विश्व के अधिकांश देशों में COVID-19 के कारण उत्पन्न हुई अनिश्चितता से वैश्विक स्तर पर उद्यमों और अन्य व्यावसायिक गतिविधियों में भारी गिरावट आई है।
गिरावट का प्रभाव:
- सेंटर फॉर मॉनीटरिंग इंडियन इकोनॉमी (Center For Monitoring Indian Economy- CMIE) द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, मई के पहले सप्ताह तक भारत की बेरोज़गारी दर में 27% की वृद्धि देखी गई थी।
- CMIE के सर्वे के अनुसार, अप्रैल माह में लगभग 121.5 मिलियन लोगों को अपना रोज़गार गँवाना पड़ा था।
- WTO से जुड़े अर्थशास्त्रियों के अनुसार, वर्तमान में वैश्विक व्यापार में आई यह गिरावट वर्ष 2008-09 की आर्थिक मंदी से भी गंभीर हो सकती है।
- हालाँकि सरकार ने हाल ही में उद्यमों को वित्तीय सहायता के साथ आने वाले दिनों में लॉकडाउन में ढील देने की बात कही है परंतु विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार के प्रयासों के बाद भी मई माह में वस्तुओं के आयात और निर्यात गिरावट बनी रहेगी।
आगे की राह:
- विशेषज्ञों के अनुसार, हाल ही में दवा और खाद्य जैसी ‘अतिआवश्यक’ वस्तुओं के व्यापार को पुनः शुरू किया गया है परंतु स्थितियों को सामान्य होने में समय लग सकता है।
- भारत में इंजीनियरिंग क्षेत्र की अधिकांश निर्यात इकाइयाँ ‘सूक्ष्म,लघु और मध्यम उद्यम’ (Micro, Small and Medium Enterprises- MSME) श्रेणी की हैं और वर्तमान में ऐसी कंपनियों के अस्तित्त्व के लिये खतरा उत्पन्न हो गया है।
- अतः सरकार द्वारा ऐसी कंपनियों को तरलता में सहायता के साथ ही अन्य सहयोग जैसे-विद्युत् और पानी के शुल्क में माफी तथा श्रमिकों का वेतन देने में भी सहायता प्रदान करनी चाहिये।
- साथ ही सरकार को शीघ्र ही ऐसी कंपनियों की सभी बकाया राशि और रिफंड जारी करने चाहिये जिससे निर्यातकों को इस आपदा से निपटने में सहायता प्राप्त हो सके।