भारतीय अर्थव्यवस्था
मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन
- 25 Mar 2021
- 6 min read
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (Securities & Exchange Board of India) ने मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (Market Infrastructure Institution) से व्यापार सहित अन्य महत्त्वपूर्ण प्रणालियों में व्यवधान के 45 मिनट के भीतर उनका परिचालन शुरू करने को कहा है।
- यह निर्देश 24 फरवरी को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange) में एक तकनीकी खराबी की पृष्ठभूमि के विरुद्ध आया है, जिससे लगभग चार घंटे तक कारोबार रुका रहा।
प्रमुख बिंदु
सेबी के नवीनतम निर्देश:
- MII के लिये नई रूपरेखा:
- SEBI, मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन (स्टॉक एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशन और डिपॉज़िटरी) के बिज़नेस कॉन्टिनिटी प्लान (Business Continuity Plan) और डिज़ास्टर रिकवरी (Disaster Recovery) के लिये एक नई रूपरेखा लेकर आया है।
- व्यावसायिक निरंतरता (Business Continuity) और डिज़ास्टर रिकवरी निकट संबंधित हैं जो प्रतिकूल स्थिति में संगठन के संचालन को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- दिशा-निर्देश:
- MII किसी भी क्रिटिकल सिस्टम (Critical System) के विघटन की स्थिति में 30 मिनट के भीतर उसे 'आपदा' घोषित करेगा।
- एक विनिमय या समाशोधन निगम के क्रिटिकल सिस्टम में व्यापार, जोखिम प्रबंधन, संपार्श्विक प्रबंधन, समाशोधन और निपटान तथा सूचकांक गणना शामिल होंगे।
- एक डिपॉज़िटरी के क्रिटिकल सिस्टम में निपटान प्रक्रिया और अंतर-डिपॉज़िटरी ट्रांसफर सिस्टम का समर्थन करने वाली प्रणालियाँ शामिल होंगी।
- MII को एक घटना को 'आपदा' घोषित करने के 45 मिनट के भीतर आपदा वसूली स्थलों पर जाने के लिये निर्देशित किया गया है।
- डिज़ास्टर रिकवरी साइट एक ऐसी जगह है जहाँ एक कंपनी सुरक्षा उल्लंघन या प्राकृतिक आपदा के बाद अस्थायी रूप से स्थानांतरित हो सकती है।
- यह सुनिश्चित करता है कि एक कंपनी तब तक संचालन जारी रख सकती है जब तक कि वह अपने सामान्य स्थान या नए स्थायी स्थान पर काम फिर से शुरू करने के लिये सुरक्षित न हो जाए।
- मोबाइल और क्लाउड आधारित आपदा रिकवरी साइट्स तेज़ी से लोकप्रिय हो रहे हैं।
- नए दिशा-निर्देशों को 90 दिनों के भीतर लागू किया जाना चाहिये।
- MII किसी भी क्रिटिकल सिस्टम (Critical System) के विघटन की स्थिति में 30 मिनट के भीतर उसे 'आपदा' घोषित करेगा।
मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन:
- स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉज़िटरी और समाशोधन निगम को सामूहिक रूप से मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशन प्रतिभूति के रूप में संदर्भित किया जाता है।
- बिमल जालान समिति, 2010 के अनुसार, ये संस्थान देश के वित्तीय विकास के लिये महत्त्वपूर्ण हैं जो प्रतिभूति बाज़ार हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचे के रूप में काम करते हैं।
- भारत में शेयर बाज़ार (Stock Exchange) एक ऐसे बाज़ार के रूप में कार्य करता है जहाँ स्टॉक, बॉण्ड और कमोडिटी जैसे वित्तीय दस्तावेवज़ों का कारोबार होता है।
- डिपॉज़िटरी (Depository) संगठन, बैंक या संस्थाएँ हो सकती हैं जो प्रतिभूतियाँ रखती हैं और इसके व्यापार में सहायता करती हैं।
- समाशोधन निगम (Clearing Corporation) एक स्टॉक एक्सचेंज से संबद्ध एक संगठन/इकाई है जिसका प्राथमिक उद्देश्य लेन-देन की पुष्टि, निपटान और वितरण की देख-रेख करना है।
सेबी
- यह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम (Securities and Exchange Board of India Act), 1992 के प्रावधानों के तहत 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित एक वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
प्रमुख कार्य:
- प्रतिभूतियों (सिक्योरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण।
- प्रतिभूति बाज़ार (सिक्योरिटीज़ मार्केट) के विकास का उन्नयन तथा उसे विनियमित करना।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज
- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (NSE) भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाज़ार है।
- वर्ष 1992 में निगमित NSE एक परिष्कृत और इलेक्ट्रॉनिक बाज़ार के रूप में विकसित हुआ, जो इक्विटी ट्रेडिंग वॉल्यूम (Equity Trading Volume) के लिहाज़ से दुनिया में चौथे स्थान पर था।
- यह भारत का पहला पूरी तरह से स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग सुविधा प्रदान करने वाला एक्सचेंज था।
- NSE के पास भारत में सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का नेटवर्क है।
- NIFTY 50 नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड का प्रमुख सूचकांक है। यह सूचकांक ब्लू चिप कंपनियों, सबसे बड़ी और सबसे अधिक तरल भारतीय प्रतिभूतियों के पोर्टफोलियो व्यवहार को ट्रैक करता है। इसमें NSE पर सूचीबद्ध लगभग 1600 कंपनियों में से 50 शामिल हैं।