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आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं पर पहली रिपोर्ट

  • 12 Sep 2019
  • 9 min read

चर्चा में क्यों?

भारत में आकाशीय बिजली (तड़ित) गिरने संबंधी घटनाओं पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष अप्रैल से जुलाई के बीच की चार महीने की अवधि में आकाशीय बिजली के गिरने के कारण कम-से-कम 1,311 लोगों की मौत हुई हैं। इन घटनाओं में उत्तर प्रदेश (224 मौतें) शीर्ष पर है, इसके बाद बिहार (170), ओडिशा (129) और झारखंड (118) का स्थान है।

रिपोर्ट के विषय में

  • इस रिपोर्ट को क्लाइमेट रेज़िलिएंट ओब्जर्विंग सिस्टम प्रमोशन काउंसिल (Climate Resilient Observing Systems Promotion Council-CROPC) द्वारा तैयार किया गया है, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है, यह भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department-IMD) के साथ मिलकर काम करता है।

रिपोर्ट में क्या जानकारी प्राप्त हुई?

  • इस चार महीने की अवधि के दौरान भारत में 65.55 लाख आकाशीय बिजली की घटनाएँ सामने आई, जिनमें से 23.53 लाख (36 प्रतिशत) घटनाएँ क्लाउड-टू-ग्राउंड लाइटनिंग की है।
  • अन्य 41.04 लाख (64 प्रतिशत) इन-क्लाउड लाइटनिंग की रही।
  • ओडिशा में आकाशीय बिजली गिरने (दोनों प्रकार) की 9 लाख से अधिक घटनाएँ दर्ज की गईं।

रिपोर्ट के निष्कर्ष महत्त्वपूर्ण क्यों हैं?

  • यह रिपोर्ट एक डेटाबेस बनाने के प्रयास का एक हिस्सा है जो आकाशीय बिजली के गिरने के संबंध में एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करने, जागरूकता फैलाने और इससे होने वाली मौतों को रोकने में मदद कर सकता है। देश में हर साल 2,000 से 2,500 लोग इन घटनाओं के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं।
  • इस संबंध में यह प्रयास किया जा रहा है कि एक ऐसी प्रणाली को विकसित किया जाए जिसकी सहायता से घटना के घटित होने के तकरीबन 30-40 मिनट पहले इस विषय में भविष्यवाणी की जा सके। इन-क्लाउड लाइटिंग स्ट्राइक के अध्ययन और निगरानी के माध्यम से ऐसी भविष्यवाणी संभव है।
  • 16 राज्यों में एक पायलट प्रोजेक्ट को पूरा किये जाने के बाद, IMD ने इस वर्ष से बिजली के पूर्वानुमान और चेतावनी के संबंध में मोबाइल पर संदेश भेजने शुरू कर दिये हैं। हालाँकि अभी यह सुविधा देश के सभी क्षेत्रों में उपलब्ध नहीं है और लोगों के बीच इस विषय में पर्याप्त जागरूकता भी नहीं है कि यदि IMD द्वारा किसी प्रकार का अलर्ट जारी किया जाता है तो उन्हें किस प्रकार की कार्रवाई करनी चाहिये।

Most strikes

आकाशीय बिजली/तड़ित का निर्माण कैसे होता है?

  • बिजली/तड़ित वातावरण में बिजली का एक बहुत तीव्रता से और बड़े पैमाने पर निर्वहन है। इसका कुछ भाग पृथ्वी की ओर निर्देशित होता है। यह बादल के ऊपरी हिस्से और निचले हिस्से के बीच विद्युत आवेश के अंतर का परिणाम है। बिजली उत्पन्न करने वाले बादल आमतौर पर लगभग 10-12 किमी. की ऊँचाई पर होते हैं, जिनका आधार पृथ्वी की सतह से लगभग 1-2 किमी. ऊपर होता है। शीर्ष पर तापमान -35 डिग्री सेल्सियस से -45 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
  • चूँकि जल वाष्प ऊपर की ओर उठने की प्रवृत्ति रखता है, यह तापमान में कमी के कारण जल में परिवर्तित हो जाता है। इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे जल के अणु और ऊपर की ओर गति करते हैं। जैसे-जैसे वे शून्य से कम तापमान की ओर बढ़ते हैं, जल की बूंदें छोटे बर्फ के क्रिस्टल में बदल जाती हैं। चूँकि वे ऊपर की ओर बढ़ती रहती हैं, वे तब तक एक बड़े पैमाने पर इकट्ठा होती जाती हैं, जब तक कि वे इतने भारी न हो जाए कि वे नीचे गिरना शुरू कर दें।
  • यह एक ऐसी प्रणाली की ओर गति करती है जहाँ बर्फ के छोटे क्रिस्टल ऊपर की ओर जबकि बड़े क्रिस्टल नीचे की ओर गति करते हैं। इसके चलते इनके मध्य टकराव होता है और इलेक्ट्रॉन मुक्त होते हैं, यह विद्युत स्पार्क के समान कार्य करता है। गतिमान मुक्त इलेक्ट्रॉनों में और अधिक टकराव होता जाता है और इलेक्ट्रॉन बनते जाते हैं; यह एक चेन रिएक्शन का निर्माण करता है।

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  • इस प्रक्रिया से एक ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जिसमें बादल की ऊपरी परत धनात्मक रूप से चार्ज हो जाती है जबकि मध्य परत नकारात्मक रूप से चार्ज होती है। दो परतों के मध्य विद्युत तनाव का बहुत बड़ा (करीब अरबों वोल्ट का) अंतर विद्यमान है।
  • थोड़े समय में ही दोनों परतों के बीच एक विशाल विद्युत धारा (लाखों एम्पीयर) बहने लगती है। इससे ऊष्मा उत्पन्न होती है, जिससे बादल की दोनों परतों के बीच मौजूद वायु गर्म होने लगती है। इस ऊष्मा के कारण दोनों परतों के बीच वायु का खाका बिजली के कडकने के दौरान लाल रंग का नज़र आता है। गर्म हवा विस्तारित होती है और आघात उत्पन्न करती है जिसके परिणामस्वरूप गड़गड़ाहट की आवाज़ आती है।

पृथ्वी पर बिजली कैसे गिरती है?

  • तड़ित झंझा के बादलों में विद्युत आवेश उत्पन्न होता है। इन बादलों की निचली सतह ऋणावेशित और ऊपरी सतह धनावेशित होती है, जिससे भूमि पर धनावेश उत्पन्न होता है।
  • धन और ऋण एक-दूसरे को चुम्बक की तरह अपनी ओर आकर्षित करते हैं, किंतु वायु के एक अच्छा संवाहक न होने के कारण विद्युत आवेश में बाधाएँ आती हैं। अतः बादल की ऋणावेशित निचली सतह को छूने का प्रयास करती धनावेशित तरंगे भूमि पर गिर जाती हैं।
  • पृथ्वी विद्युत की सुचालक है। यह बादलों की मध्य परत की तुलना में अपेक्षाकृत धनात्मक रूप से चार्ज होती है। परिणामस्वरूप, बिजली का अनुमानित 20-25 प्रतिशत प्रवाह पृथ्वी की ओर निर्देशित हो जाता है। यह विद्युत प्रवाह जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचाता है।

आकाशीय बिजली के प्रकार

  • इंट्रा-क्लाउड (Intra-Cloud): यह सबसे आम प्रकार की आकाशीय बिजली/तड़ित है। यह पूरी तरह से बादल के अंदर उत्पन्न होती है, बादल के विभिन्न आवेशित भागों में प्रवाहित होती है। कभी-कभी इसे शीट लाइटनिंग भी कहा जाता है क्योंकि इसके चमकने से आकाश प्रकाश की 'चादर' के समान जगमगा जाता है।
  • क्लाउड टू क्लाउड (Cloud to Cloud): वह तड़ित जो दो या दो से अधिक बादलों के बीच उत्पन्न होती है।
  • क्लाउड टू ग्राउंड (Cloud to Ground): वह तड़ित जो बादल और भूमि के बीच उत्पन्न होती है।
  • क्लाउड टू एयर (Cloud to Air): ऐसी आकाशीय बिजली जो तब उत्पन्न होती है जब धनात्मक रूप से आवेशित बादलों के चारों ओर उपस्थित वायु नकारात्मक रूप से आवेशित वायु तक पहुँचती है।
  • बोल्ट फ्रॉम द ब्लू (Bolt from the blue): आकाशीय बिजली का एक प्रकार, जो तूफान के दौरान वायु की ऊपर उठती धाराओं के भीतर उत्पन्न होती है। कई मील तक क्षैतिज रूप से यात्रा करने के बाद ज़मीन से टकराती है।
  • एनविल लाइटनिंग (Anvil Lightning): ऐसी आकाशीय बिजली, जो एनविल या तड़ितझंझा/थंडरस्टॉर्म वाले बादलों के ऊपर विकसित होती है और ज़मीन से टकराने के लिये आम तौर पर सीधे नीचे की ओर जाती है।
  • हीट लाइटनिंग (Heat Lightning): तड़ित झंझा अथवा आंधी से उत्पन्न हुई बिजली की गड़गड़ाहट जो बहुत दूर तक सुनाई देती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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