महावीर जयंती | 10 Apr 2025

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

  • प्रधानमंत्री ने महावीर जयंती (10 अप्रैल 2025) के अवसर पर नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि भगवान महावीर की अहिंसा, सत्य और करुणा की शिक्षाएँ वैश्विक चुनौतियों के लिये समकालीन समाधान प्रस्तुत करती हैं और 'विकसित भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं।
  • महावीर जयंती की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि क्या है?
  • परिचय: महावीर जयंती, जिसे महावीर जन्म कल्याणक के नाम से भी जाना जाता है, जैन धर्म में महत्त्वपूर्ण धार्मिक त्योहारों में से एक है।
    • यह जैन परंपरा के 24वें और अंतिम तीर्थंकर (23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के उत्तराधिकारी) वर्धमान महावीर के जन्म का उत्सव मनाता है, जिन्हें एक महान आध्यात्मिक शिक्षक और सुधारक माना जाता है।
    • महावीर जयंती हिंदू कैलेंडर में चैत्र माह के 13 वें दिन मनाई जाती है, तिथि प्रतिवर्ष बदलती रहती है।
  • वर्धमान महावीर: 

भगवान महावीर की शिक्षाओं की समकालीन प्रासंगिकता क्या है?

  • अहिंसा (हिंसा न करना): भगवान महावीर की अहिंसा की शिक्षा शारीरिक, मौखिक और मनोवैज्ञानिक सहित सभी प्रकार की हिंसा को समाप्त करने की वकालत करती है, तथा सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा को बढ़ावा देती है।
    • आज के विश्व में, जो सशस्त्र संघर्षों, आतंकवाद और परमाणु खतरों से त्रस्त है, यह सिद्धांत शांतिपूर्ण समाधान और करुणामय संवाद की मांग करता है। 
    • यह सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र चार्टर, गांधीवादी नैतिकता और सतत् विकास लक्ष्य 16 (शांति, न्याय और मज़बूत संस्थान) में भी प्रतिध्वनित होता है, जो इसकी वैश्विक प्रासंगिकता और समकालीन महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
  • अपरिग्रह: भौतिक संपत्ति से विरक्ति का महावीर का सिद्धांत एक स्थायी जीवन शैली को प्रोत्साहित करता है, अतिसूक्ष्मवाद को बढ़ावा देता है और लालच पर अंकुश लगाता है, ये मूल्य मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवन शैली)और SDG 12 (ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन) के साथ संरेखित हैं, ताकि पर्यावरणीय क्षरण और जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके।
  • अनेकांतवाद: यह सिखाता है कि सत्य के विभिन्न आयाम हैं, यह विविध दृष्टिकोणों के प्रति सम्मान को बढ़ावा देता है और धार्मिक असहिष्णुता, नस्लीय भेदभाव और सामाजिक विभाजन को कम करने में मदद करता है।
  • सत्य और अस्तेय: महावीर के ईमानदारी और दूसरों के अधिकारों का सम्मान करने के सिद्धांत आज के विश्व में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा को बढ़ावा देते हैं, तथा भ्रष्टाचार और अनैतिक प्रथाओं का मुकाबला करते हैं। 
    • इन शिक्षाओं में ऐसे नैतिक व्यवसायों के निर्माण का मार्गदर्शन किया गया है जिनमें सामाजिक उत्तरदायित्व को प्राथमिकता दी जाए।
    • व्यवसाय में, अस्तेय गुण वैश्विक अर्थव्यवस्था में शोषण का निराकरण करने के लिये निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों और ESG (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) ढाँचे के साथ संरेखित करते हुए नैतिक सोर्सिंग, उचित पारिश्रमिक और संपोषणीयता को बढ़ावा देता है।
  • ब्रह्मचर्य (आत्म-संयम): यद्यपि आधुनिक समय में इसकी व्याख्या आत्म-अनुशासन के रूप में की जाती है, लेकिन यह मादक द्रव्यों के व्यसन, मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक अस्थिरता जैसी समस्याओं का समाधान करने में मदद करता है।

जैन धर्म से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

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दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भगवान महावीर की शिक्षाओं की समकालीन प्रासंगिकता की विवेचना कीजिये।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारत में धार्मिक प्रथाओं के संदर्भ में "स्थानकवासी" संप्रदाय से संबंधित है। (2018)

(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) वैष्णववाद
(d) शैववाद

उत्तर: (b)


प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2017)

  1. सौत्रन्तिक और सम्मितीय जैन मत के सम्प्रदाय थे। 
  2. सर्वास्तिवादियों की मान्यता थी कि दृग्विषय (फिनोमिया) के अवश्व पूर्णतः क्षणिक नहीं हैं, अपितु अव्यक्त रूप में सदैव विद्यमान रहते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)


प्रश्न. प्राचीन भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित मे से कौन-सा/से बौद्ध धर्म और जैन धर्म दोनों में समान रूप से विद्यमान था/थे? (2012)

  1. तप और भोग की अति का पारिहार 
  2. वेद-प्रमाण्य के प्रति अनास्था 
  3. कर्मकाण्डों की फलवत्ता का निषेध

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)


प्रश्न. अनेकांतवाद निम्नलिखित में से किसका एक प्रमुख सिद्धांत और दर्शन है? (2009)

(a) बौद्ध धर्म
(b) जैन धर्म
(c) सिख धर्म
(d) वैष्णववाद

उत्तर: (b)