महाराष्ट्र में निजी स्कूलों को RTE कोटा प्रवेश से छूट | 28 Feb 2024
प्रिलिम्स के लिये:अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान (MEI), बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम 2009, अनुच्छेद 21A के तहत सांस्कृतिक तथा शैक्षिक अधिकार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 और 30 मेन्स के लिये: |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र स्कूल शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक गजट अधिसूचना जारी कर निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों को कुछ शर्तों के तहत वंचित समूहों और कमज़ोर वर्गों के लिये अनिवार्य 25% प्रवेश कोटा से छूट दे दी है।
- बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 (धारा 12.1(C) के अनुसार, गैर-सहायता प्राप्त स्कूल यह सुनिश्चित करने के लिये बाध्य हैं कि कक्षा 1 में प्रवेश लेने वाले 25% छात्र "आस-पड़ोस के कमज़ोर वर्ग तथा वंचित समूह" से संबंधित होने चाहिये।
नोट:
- इस कदम के साथ कर्नाटक के वर्ष 2018 के नियम और केरल के वर्ष 2011 के नियमों का पालन करते हुए, महाराष्ट्र निजी स्कूलों को RTE प्रवेश से छूट देने में कर्नाटक तथा केरल के साथ शामिल हो गया है, जो शुल्क में छूट केवल तभी देता है जब कोई सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल पैदल दूरी के भीतर न हो, जो कक्षा 1 के छात्रों के लिये 1 किमी. निर्धारित है।
नया नियम वास्तव में क्या है?
- नया नियम स्थानीय अधिकारियों को महाराष्ट्र के बच्चों के नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार नियम, 2013 के तहत वंचित समूहों तथा कमज़ोर वर्गों के 25% प्रवेश के लिये निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों की पहचान करने से रोकता है, यदि सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूल (जो सरकार से धन प्राप्त करते हैं) उस स्कूल के एक किलोमीटर के दायरे में हैं।
- ऐसे निजी स्कूलों को अब 25% प्रवेश की आवश्यकता का पालन करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि इन क्षेत्रों के छात्रों को सरकारी या सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश के लिये प्राथमिकता दी जाएगी।
- अधिसूचना में कहा गया है कि यदि क्षेत्र में कोई सहायता प्राप्त स्कूल नहीं है, तो RTE प्रवेश के लिये निजी स्कूलों का चयन किया जाएगा और फीस की प्रतिपूर्ति की जाएगी, इसके अनुसार बाध्य स्कूलों की एक नई सूची तैयार की जाएगी।
राज्यों ने ऐसी छूटें क्यों पेश की हैं?
- चूँकि माता-पिता को सरकारी स्कूलों के निकट निजी स्कूलों में बच्चों का नामांकन करने की अनुमति देने की राज्य की पूर्व नीति से सरकारी स्कूलों में नामांकन में भारी कमी हुई थी, यह देखते हुए कर्नाटक के राज्य कानून मंत्री ने वर्ष 2018 में कहा था कि RTE का मुख्य उद्देश्य सभी छात्रों को शिक्षा प्रदान करना है।
- कर्नाटक सरकार की राजपत्र अधिसूचना- 2018 वर्तमान में न्यायिक जाँच के अधीन है।
- निजी स्कूलों और शिक्षक संगठनों ने नोट किया है कि राज्य सरकारें प्रायः इस कोटा के तहत दाखिला लेने वाले छात्रों के शुल्क की प्रतिपूर्ति करने में विफल रहती हैं, जैसा कि RTE अधिनियम की धारा 12 (2) द्वारा अनिवार्य है जिसके लिये राज्य सरकारों को स्कूलों के प्रति बच्चे के खर्च या शुल्क राशि, जो भी कम हो, की प्रतिपूर्ति करनी होगी।
इस छूट के संभावित निहितार्थ क्या हैं?
- विपक्ष में तर्क:
- विशेषज्ञों ने केंद्रीय कानून में संशोधन करने के राज्य के अधिकार पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि अधिसूचना RTE के विपरीत है तथा इससे बचा जाना चाहिये।
- महाराष्ट्र सरकार के संशोधन की इस आधार पर आलोचना की गई है कि यह अनुचित है और शिक्षा असमानता से निपटने में धारा 12(1)(C) के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
- पक्ष में तर्क:
- महाराष्ट्र सरकार ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि किये गए संशोधन, वर्ष 2011 और 2013 में तैयार किये गए नियमों में थे, मूल कानून में नहीं तथा राज्यों को RTE अधिनियम की धारा 38 द्वारा इसके कार्यान्वयन के लिये नियम बनाने का अधिकार दिया गया है।
- यह देखते हुए कि धारा 6 वंचित क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों की सिफारिश करती है और धारा 12.1(C) ऐसे स्कूलों के निर्माण तक एक अस्थायी उपाय है, यह कदम RTE अधिनियम का उल्लंघन नहीं करता है।
- निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूलों ने नए नियमों का स्वागत करते हुए तर्क दिया है कि इस कदम से सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी।
क्या अल्पसंख्यक स्कूलों को RTE कोटा प्रवेश का पालन करने से छूट दी गई है?
- संविधान का अनुच्छेद 30 अल्पसंख्यक समुदायों को अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और लिपि को संरक्षित करने के लिये शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना व प्रबंधन करने के अधिकार की गारंटी देता है।
- अतः वर्ष 2012 में RTE अधिनियम 2009 में एक संशोधन के माध्यम से धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों को RTE अधिनियम के तहत 25% आरक्षण के अनुपालन से छूट प्रदान की गई।
- वर्ष 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रमति एजुकेशनल एंड कल्चरल ट्रस्ट बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य मामले में निर्णय सुनाया कि RTE अधिनियम अल्पसंख्यक विद्यालयों पर लागू नहीं होता है।
RTE अधिनियम से संबंधित महत्त्वपूर्ण उपबंध क्या हैं?
- निःशुल्क एवं अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार:
- छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक को उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आस-पास के विद्यालय में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है तथा साथ ही 6 वर्ष से अधिक आयु के बालक, जिसने विद्यालय में प्रवेश नहीं लिया है, को उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
- सहायता प्राप्त विद्यालय भी अपनी आवर्ती सहायता के अनुपात में कम-से-कम 25% की सीमा तक निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराएगा।
- प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक निःशुल्क होती है और किसी भी बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने से पहले रोका नहीं जा सकता, निष्कासित नहीं किया जा सकता तथा किसी बालक से प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक कोई बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा नहीं की जाएगी।
- छह वर्ष से चौदह वर्ष तक की आयु के प्रत्येक बालक को उसकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी आस-पास के विद्यालय में नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार है तथा साथ ही 6 वर्ष से अधिक आयु के बालक, जिसने विद्यालय में प्रवेश नहीं लिया है, को उसकी आयु के अनुसार समुचित कक्षा में प्रवेश दिये जाने का प्रावधान किया गया है।
- पाठ्यक्रम और मान्यता:
- केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा नामित एक अकादमिक प्राधिकरण द्वारा प्रारंभिक शिक्षा के लिये पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रिया विकसित जाएगा।
- सभी स्कूलों को स्थापना अथवा मान्यता से पूर्व छात्र-शिक्षक अनुपात मानदंडों का अनुपालन करना और निर्धारित मानकों को पूरा करना आवश्यक होता है।
- उपयुक्त सरकार द्वारा आयोजित शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) द्वारा शिक्षक योग्यता सुनिश्चित की जाएगी।
- विद्यालयों और शिक्षकों के उत्तरदायित्व:
- शिक्षकों को जनगणना, आपदा राहत और निर्वाचन कर्त्तव्यों के अतिरिक्त, निजी ट्यूशन देने अथवा गैर-शिक्षण कार्य करने से निर्बंध किया गया है।
- स्कूलों को सरकारी सहायता के उपयोग की निगरानी करने और स्कूल विकास योजना बनाने के लिये विद्यालय प्रबंधन समितियों (SMC) की स्थापना की जाएगी जिसमें स्थानीय प्राधिकारी प्रतिनिधि, माता-पिता, अभिभावक तथा शिक्षक की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।
- शिकायत निवारण:
- सिविल न्यायालय के समान शक्तियों के साथ राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग सुरक्षा उपायों की समीक्षा करता है और शिकायतों की जाँच करता है। राज्य सरकार समान कार्यों के लिये एक राज्य आयोग भी स्थापित कर सकती है।
निष्कर्ष:
हालाँकि महाराष्ट्र सरकार के इस कदम से निजी स्कूलों पर वित्तीय भार कुछ कम हो सकता है और साथ ही संभावित रूप से सरकारी स्कूलों में नामांकन दर में भी वृद्धि हो सकती है, लेकिन यह हाशिए की पृष्ठभूमि के बच्चों के लिये समानता एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच के बारे में चिंता प्रदर्शित करता है। निजी स्कूलों को समर्थन देने तथा सभी के लिये समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने के बीच संतुलन एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) 1 और 2 उत्तर: (b) मेन्स:प्रश्न. स्कूली शिक्षा के महत्त्व के बारे में जागरूकता उत्पन्न किये बिना, बच्चों की शिक्षा में प्रेरणा-आधारित पद्धति के संवर्द्धन में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 अपर्याप्त है। विश्लेषण कीजिये। (2022) प्रश्न. "शिक्षा एक निषेधाज्ञा नहीं है, यह सामाजिक परिवर्तन एवं व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिये एक प्रभावी और व्यापक उपकरण है।” उपरोक्त कथन के आलोक में नई शिक्षा नीति, 2020 (NEP, 2020) का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये। (2021) |