जैव विविधता और पर्यावरण
लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022
- 14 Oct 2022
- 6 min read
प्रिलिम्स के लिये:लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ, लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI), मैंग्रोव, सुंदरबन, प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, जैवविविधता। मेन्स के लिये:जैवविविधता की हानि, संबंधित खतरे। |
चर्चा में क्यों?
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) द्वारा जारी ‘लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2022’ के अनुसार, पिछले 50 वर्षों में दुनिया भर में स्तनधारियों, पक्षियों, उभयचरों, सरीसृपों और मछलियों की आबादी में 69% की गिरावट आई है।
- यह रिपोर्ट प्रति दो वर्ष में जारी की जाती है।
प्रमुख बिंदु:
- वन्यजीव आबादी में क्षेत्रवार गिरावट:
- वन्यजीव आबादी (94%) में सबसे अधिक गिरावट लैटिन अमेरिका और कैरेबियाई क्षेत्र में हुई।
- अफ्रीका ने वर्ष 1970-2018 के मध्य अपनी वन्यजीव आबादी में 66% की गिरावट दर्ज की, जबकि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 55% की गिरावट दर्ज की गई।
- मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में गिरावट:
- विश्व स्तर पर मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
- पर्यावास की हानि और प्रवास के मार्ग में आने वाली बाधाएँ निगरानी की जा रही प्रवासी मछली प्रजातियों के खतरों के लिये ज़िम्मेदार थीं।
- विश्व स्तर पर मीठे जल की प्रजातियों की आबादी में 83 प्रतिशत की कमी आई है।
- कशेरुकीय वन्यजीव आबादी का पतन:
- लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) के अनुसार, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कशेरुकीय वन्यजीव आबादी विशेष रूप से चौंका देने वाली दर से गिर रही है।
- LPI, वैश्विक स्तर पर 5,230 प्रजातियों की लगभग 32,000 आबादी की विशेषता के लिये स्थलीय, मीठे जल और समुद्री आवासों से कशेरुकीय प्रजातियों की जनसंख्या प्रवृत्तियों के आधार पर दुनिया की जैविक विविधता की स्थिति के आकलन का उपाय है।
- लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) के अनुसार, विश्व के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में कशेरुकीय वन्यजीव आबादी विशेष रूप से चौंका देने वाली दर से गिर रही है।
- मैंग्रोव क्षरण:
- जलीय कृषि, कृषि और तटीय विकास के कारण प्रतिवर्ष 0.13% की दर से मैंग्रोव का नुकसान जारी है।
- तूफान और तटीय कटाव जैसे प्राकृतिक खतरों के साथ-साथ अतिदोहन तथा प्रदूषण से कई मैंग्रोव प्रभावित होते हैं।
- 1985 के बाद से भारत और बांग्लादेश में सुंदरबन मैंग्रोव वन के लगभग 137 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का क्षरण हुआ है, जिससे वहाँ रहने वाले 10 मिलियन लोगों में से कई के भूमि और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं में कमी आई है।।
- जलीय कृषि, कृषि और तटीय विकास के कारण प्रतिवर्ष 0.13% की दर से मैंग्रोव का नुकसान जारी है।
- जैवविविधता के लिये प्रमुख खतरे:
- WWF ने स्थलीय कशेरुकियों के लिये 'खतरे के हॉटस्पॉट' को चिह्नित करने हेतु जैवविविधता के छह प्रमुख खतरों की पहचान की है:
- कृषि
- शिकार
- लॉगिंग
- प्रदूषण
- आक्रामक प्रजाति
- जलवायु परिवर्तन
- WWF ने स्थलीय कशेरुकियों के लिये 'खतरे के हॉटस्पॉट' को चिह्नित करने हेतु जैवविविधता के छह प्रमुख खतरों की पहचान की है:
प्रकृति हेतु विश्व वन्यजीव कोष (WWF):
- यह दुनिया का अग्रणी संरक्षण संगठन है और 100 से अधिक देशों में काम करता है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1961 में हुई थी और इसका मुख्यालय ग्लैंड, स्विट्रज़लैंड में है।
- इसका मिशन प्रकृति का संरक्षण करना और पृथ्वी पर जीवन की विविधता के लिये सबसे अधिक दबाव वाले खतरों को कम करना है।
- WWF दुनिया भर के लोगों के साथ हर स्तर पर सहयोग करता है ताकि समुदायों, वन्यजीवों और उनके रहने वाले स्थानों की रक्षा करने वाले अभिनव समाधान विकसित एवं वितरित किये जा सकें।
रिपोर्ट की सिफारिशें:
- ग्रह मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता के नुकसान की दोहरी आपात स्थिति का सामना कर रहा है, जिससे वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों को खतरा है। जैवविविधता से क्षति तथा जलवायु संकट से दो अलग-अलग मुद्दों के बजाय एक के रूप में निपटा जाना चाहिये क्योंकि वे आपस में जुड़े हुए हैं।
- एक हरित भविष्य के लिये हमारे उत्पादन, उपभोग, शासन और वित्त प्रबंधन में क्रांतिकारी एवं महत्त्वपूर्ण परिवर्तनों की आवश्यकता होती है।
- हमें अधिक सतत् मार्ग की दिशा में एक समावेशी सामूहिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिये। जो यह सुनिश्चित करते हों कि हमारे कार्यों के परिणाम और उससे उत्पन्न लाभ सामाजिक रूप से न्यायसंगत एवं समान रूप से साझा किये गए हैं।