सीसा विषाक्तता | 27 Mar 2025
प्रिलिम्स के लिये:सीसा, सीसा विषाक्तता, प्लंबिज्म, सैचुरिज्म, एनीमिया, भारी धातु, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB)। मेन्स के लिये:पर्यावरण प्रदूषण एवं क्षरण, सीसा विषाक्तता एवं संबंधित चिंताएँ |
स्रोत: बिज़नेस लाइन
चर्चा में क्यों?
भारत में सीसा विषाक्तता एक महत्त्वपूर्ण लेकिन उपेक्षित सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बना हुआ है, जो विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित कर रहा है। यद्यपि विभिन्न क्षेत्रों में सीसा संदूषण को विनियमित करने वाले अनेक कानून हैं, तथापि इसकी रोकथाम और शमन के लिये व्यापक कानूनी ढाँचे का अभाव प्रभावी प्रवर्तन और नीतिगत सुसंगतता में बाधा डालता है।
सीसा (Lead)
- सीसा एक विषैली, प्राकृतिक रूप से पाई जाने वाली भारी धातु है, जो अपनी तन्यता, आघातवर्धनीयता तथा नीले-सफेद रंग की चमक के कारण जानी जाती है, तथा इसके संपर्क का कोई सुरक्षित स्तर निर्धारित नहीं किया गया है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सीसे को सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिये चिंता के प्रमुख 10 रसायनों में से एक माना है।
- वर्ष 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दिशा-निर्देश जारी किये थे, जिसमें सिफारिश की गई थी कि जिन व्यक्तियों के रक्त में सीसे का स्तर ≥5 µg/dL है, उनका जोखिम स्रोतों के लिये मूल्यांकन किया जाना चाहिये, और उन्हें समाप्त करने के लिये कदम उठाए जाने चाहिये।
- सीसा-आधारित पेंट, सीसा उत्सर्जन का एक प्रमुख वैश्विक स्रोत बना हुआ है। WHO और UNEP के ग्लोबल अलायंस टू एलिमिनेट लीड पेंट ने देशों से कानूनी प्रतिबंध लागू करने का आग्रह किया है; हालाँकि, जनवरी 2024 तक, केवल 48% ने ही ऐसे कानून बनाए हैं।
सीसा विषाक्तता क्या है?
- परिचय: सीसा विषाक्तता (जिसे प्लम्बिज्म और सैचुरिज्म के नाम से भी जाना जाता है ) तब होती है जब सीसा समय के साथ शरीर में संचित हो जाता है, आमतौर पर महीनों या वर्षों में, जिसके परिणामस्वरूप विषाक्त प्रभाव उत्पन्न होते हैं।
- सीसा विषाक्तता की स्थिति: सीसा विश्वभर में 1/3 बच्चों को विषाक्त कर रहा है।
- वर्ष 2020 की यूनिसेफ-प्योर अर्थ रिपोर्ट में पाया गया कि भारत के आधे बच्चों के रक्त में सीसे का स्तर (BLL) उच्च है। लगभग 275 मिलियन बच्चों में यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा (5 μg/dL) से अधिक है, तथा 64.3 मिलियन बच्चों में यह स्तर इससे भी अधिक (10 μg/dL से अधिक) है।
- CSIR-नीति आयोग की रिपोर्ट: 23 राज्यों में अनुशंसित 5 µg/dL BLL सीमा पार हो गई है।
- सीसा विषाक्तता के कारण भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5% का नुकसान होता है।
- स्रोत:
- लक्षण एवं प्रभाव: लक्षणों में थकान, पेट दर्द, मतली, दस्त, भूख न लगना, एनीमिया, मांसपेशियों में कमज़ोरी और मसूड़ों पर एक काली रेखा (Dark Line) शामिल हैं।
पारा विषाक्तता क्या है?और पढ़ें: पारा विषाक्तता |
भारत में सीसा विषाक्तता से निपटने के लिये नीतिगत उपाय क्या हैं?
- मौजूदा नीतिगत उपाय/कानूनी प्रावधान:
- सीसायुक्त पेट्रोल पर प्रतिबंध (वर्ष 2000): भारत ने सीसायुक्त पेट्रोल को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर दिया, जिससे वायुजनित सीसा प्रदूषण, स्वास्थ्य जोखिम और पर्यावरणीय क्षति में कमी आई। इस परिवर्तन से इंजन नाॅकिंग, वाहन की दक्षता और इंजन की दीर्घजीविता बढ़ाने में सुधार करने में भी मदद मिली, जो स्वच्छ ईंधन और बेहतर वायु गुणवत्ता के लिये वैश्विक प्रयासों के साथ संरेखित है।
विनियम |
प्रावधान |
पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 |
यह केंद्र सरकार (CPCB) को अपशिष्टों और प्रदूषकों के लिये अनुमेय सीमा निर्धारित करके सीसा संदूषण को विनियमित करने का अधिकार देता है। |
कारखाना अधिनियम, 1948 |
यह श्रमिकों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है, तथा सीसे का उपयोग करने वाले उद्योगों में सीसे की विषाक्तता को अप्रत्यक्ष रूप से संबोधित करता है। अध्याय III श्रमिकों की सुरक्षा, कल्याण और स्वच्छता पर केंद्रित है।
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भवनों में जल आपूर्ति के लिये आचार संहिता, 1957 |
यह घरेलू जलापूर्ति के लिये सीसे की पाइपों पर प्रतिबंध लगाता है, जल में सीसे की मात्रा 10 µg/L निर्धारित करता है। हालाँकि, इसमें फ्लशिंग और ओवरफ्लो सिस्टम के लिये सीसे की पाइपिंग की अनुमति प्रदान की गई है।
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कीटनाशी अधिनियम, 1968 |
इसमें सुरक्षा और प्रभावकारिता के लिये कीटनाशकों के आयात, निर्माण, बिक्री और उपयोग के संबंध में प्रावधान किये गए हैं।
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खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 |
इसमें FSSAI को खाद्य सुरक्षा को विनियमित करने और भोजन {जैसे, हल्दी (10), पत्तेदार सब्जियाँ (0.3), दालें (0.2), चीनी (5.0), शिशु आहार (0.2), आदि} और पेयजल (BIS के अनुसार 0.01 मिलीग्राम/लीटर) में सीसे की सीमा निर्धारित करने का प्राधिकार दिया गया है।
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परिसंकटमय अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 |
इसमें सीसा-युक्त अपशिष्ट को वर्गीकृत किया गया है तथा इसके भंडारण, उपचार और निपटान का प्रावधान किया गया है, जिसके लिये उद्योगों को SPCB/PCC प्राधिकरण प्राप्त करना आवश्यक होता है।
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औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 |
इनमें सौंदर्य प्रसाधनों में सीसे की मात्रा 20 ppm निर्धारित की गई है, तथा निर्माताओं और आयातकों के लिये उचित घटक लेबलिंग का अनुपालन अनिवार्य कर दिया गया है। |
बालक श्रम अधिनियम, 1986 |
इसमें परिसंकटमय वातावरण में बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया गया है जिससे सीसा विषाक्तता को कम करने में मदद मिलती है। |
भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 |
इसके अंतर्गत वस्तुओं का मानकीकरण, अंकन और गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करते हुए BIS को भारत के राष्ट्रीय मानक निकाय के रूप में नामित किया गया है।
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लीड विनियमन के कार्यान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?
- कीटनाशकों में सीसा: कीटनाशी अधिनियम, 1968, में अभी भी लेड आर्सेनेट कीटनाशी के रूप में सूचीबद्ध है, जबकि स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जोखिमों के कारण कृषि मंत्रालय द्वारा वर्ष 2019 की प्रतिबंधित कीटनाशकों की सूची में इसे प्रतिबंधित किया गया है।
- खाद्य उत्पादों में सीसा: FSSAI ने हल्दी में लेड क्रोमेट पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन 10 ppm सीसे के उपयोग की अनुमति दी है, जो एक नियामकीय खामी है, जिससे प्रतिबंध के बावजूद सीसे का संदूषण जारी है।
- पेंट्स में सीसा: वर्ष 2016 के नियमों में नए पेंट्स में सीसे की मात्रा को सीमित किया गया है, लेकिन घरों के मौजूदा सीसा-आधारित पेंट के संबंध में कोई प्रावधान नहीं किया गया।
- जल संदूषण: भवनों में जल आपूर्ति के लिये आचार संहिता (1957) और PVC पाइपों में लीड स्टेबलाइज़र नियम (2021) का प्रवर्तन सुदृढ़ता से नहीं हुआ है।
आगे की राह
- सुदृढ़ विधिक ढाँचा: पर्यावरण संरक्षण अधिनियम (EPA), 1986 के तहत नियमों का एक ऐसा समर्पित सेट प्रस्तुत किया जाना चाहिये जो व्यापक विधिक कवरेज सुनिश्चित करने के लिये सीसा उत्पादन, पुनर्चक्रण और निपटान को विनियमित करता है।
- सुरक्षित रक्त सीसा स्तर (BLL) का निर्धारण: नीतिगत हस्तक्षेपों का मार्गदर्शन करने के लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसाओं के अनुरूप BLL के लिये एक राष्ट्रीय सीमा निर्धारित कर उसका क्रियान्वन किया जाना चाहिये।
- व्यावसायिक सुरक्षा मानक: सीसा-संबंधित उद्योगों में श्रमिकों की सुरक्षा के लिये सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं का अंगीकरण किया जाना चाहिये, जैसे कि अमेरिका का व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन (OSHA) विनियम तथा ब्रिटेन का कार्यस्थल पर सीसा नियंत्रण विनियम (2002)।
- सुदृढ़ प्रवर्तन: विशेष रूप से उद्योगों, जल आपूर्ति और खिलौना विनिर्माण में, यूरोपीय संघ के खिलौना सुरक्षा निर्देश मानकों के संरेखण में अननुपालन के लिये स्पष्ट दंड निर्धारित किये जाने की आवश्यकता है।
- सार्वजनिक जागरूकता और बाज़ार प्रोत्साहन: सुरक्षित विकल्पों को प्रोत्साहित करने के लिये कर प्रोत्साहन और व्यापक स्तर पर सार्वजनिक जागरूकता अभियानों के माध्यम से सीसा रहित उत्पादों को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
सीसा विषाक्तता का प्रभावी रूप से निवारण करने हेतु, एक व्यापक विनियामक ढाँचा, सुदृढ़ प्रवर्तन और जन जागरूकता पहल आवश्यक हैं। स्वास्थ्य पर इसके गंभीर जोखिमों को दृष्टिगत रखते हुए, भारत में सीसा विषाक्तता को शीर्ष लोक स्वास्थ्य प्राथमिकता के रूप में माना जाना चाहिये।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. शरीर में श्वास अथवा खाने से पहुँचा सीसा (लेड) स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है। पेट्रोल में सीसे का योग प्रतिबंधित होने के बाद से अब सीसे की विषाक्तता उत्पन्न करने वाले स्रोत कौन-कौन से हैं? (2012) 1- प्रगलन इकाइयाँ नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (b) |