विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
आर्टेमिस I मिशन
- 26 Aug 2022
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प्रिलिम्स के लिये:NASA, आर्टेमिस I, चंद्र मिशन, चंद्रयान प्रोजेक्ट, ISRO) मेन्स के लिये:अंतरिक्ष अन्वेषण, चंद्र मिशन, चंद्रमा और मंगल पर मानव मिशन |
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (NASA) द्वारा आर्टेमिस मिशन शीघ्र ही लॉन्च किया जाऐगा।
आर्टेमिस I मिशन
- आर्टेमिस I नासा का मानव रहित मिशन है।
- यह एजेंसी के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट और ओरियन क्रू कैप्सूल का परीक्षण करेगा।
- आर्टेमिस I आने वाले दशकों में चंद्रमा पर दीर्घकालिक मानव उपस्थिति हेतु जटिल मिशनों की शृंखला में पहला मिशन होगा।
- आर्टेमिस I के लिये प्राथमिक लक्ष्य स्पेसफ्लाइट वातावरण में ओरियन के सिस्टम का प्रदर्शन करना है और आर्टेमिस II के क्रू की पहली उड़ान से पहले सुरक्षित पुन: प्रवेश और पुनर्प्राप्ति सुनिश्चित करना है।
मिशन के दौरान प्रमुख कार्यक्रम:
- आर्टेमिस I लॉन्च:
- SLS रॉकेट और ओरियन अंतरिक्ष यान ने फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर में अपने असेंबली बिल्डिंग से लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39B तक की अपनी यात्रा पूरी कर ली है।
- लॉन्च के समय रॉकेट अपने चार RS-25 इंजन और पाँच-सेगमेंट बूस्टर से अधिकतम 3.9 मिलियन किलोग्राम से अधिक बल उत्पन्न करेगा।
- लॉन्च के कुछ समय बाद इससे बूस्टर, सर्विस मॉड्यूल और लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम को अलग कर लिया जाएगा।
- तत्पश्चात कोर स्टेज इंजन बंद होकर अंतरिक्ष यान से अलग हो जाएगा।
- आर्टेमिस I: चंद्रमा के लिये प्रक्षेपवक्र
- लॉन्च के बाद अंतरिक्ष यान पृथ्वी की परिक्रमा करेगा और सोलर ऐरे को स्थापित करेगा।
- इसके बाद क्रायोजेनिक प्रणोदन चरण (ICPS) ओरियन को पृथ्वी की कक्षा छोड़ने और चंद्रमा की यात्रा करने में सहायता करने के लिये एक "धक्का" (PUSH) देगा।
- लॉन्च होने के लगभग दो घंटे के भीतर, अंतरिक्ष यान चंद्रमा के प्रक्षेपवक्र में प्रवेश करने के दौरान ICPS से अलग हो जाएगा।
- इस अंतरिक्ष यान के अलग होने के बाद, ICPS क्यूबसैट (छोटे उपग्रहों) को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।
- इसमें बायो सेंटिनल भी शामिल है जो सूक्ष्म जीवों पर अंतरिक्ष विकिरण के तीव्र प्रभावों का अध्ययन करने के लिये यीस्ट को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
- अन्य क्यूबसैट विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी करेंगे।
- आर्टेमिस I: चंद्रमा की कक्षा
- चंद्रमा की कक्षा, ओरियन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित एक सेवा मॉड्यूल द्वारा संचालित किया जाएगा
- चंद्रमा की कक्षा में ओरियन को यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा निर्मित एक सर्विस मॉड्यूल द्वारा संचालित किया जाएगा।
- अंतरिक्ष यान की प्रणोदन प्रणाली और विद्युत की आपूर्ति के अलावा, सेवा मॉड्यूल को भविष्य के क्रू मिशनों के लिये वायु और जल को एकत्र करने के लिये भी डिज़ाइन किया गया है।
- चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद, अंतरिक्ष यान डेटा एकत्र करेगा।
- उसके बाद, ओरियन हमारे ग्रह की ओर वापस गति करने के लिये चंद्रमा के गुरुत्त्वाकर्षण के साथ संयोजन में सर्विस मॉड्यूल के सटीक समय पर इंजन फायरिंग का उपयोग करेगा।
- आर्टेमिस I: पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश
- लगभग 6 सप्ताह के मिशन के बाद, ओरियन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा।
- सब कुछ योजना के अनुसार होता है, तो यह कैलिफोर्निया में बाजा के तट पर पुनर्प्राप्ति जहाज़ के माध्यम से समुद्र में उतरेगा।
चंद्र अन्वेषण का इतिहास:
- वर्ष 1959 में, सोवियत संघ का मानव रहित लूना 1 और 2 चंद्रमा पर जाने वाला पहला रोवर बना।
- अमेरिका ने वर्ष 1961 की शुरुआत से ही लोगों को अंतरिक्ष में भेजने की कोशिश शुरू कर दी थी।
- आठ वर्ष बाद 20 जुलाई, 1969 को नील आर्मस्ट्रांग, एडविन "बज़" एल्ड्रिन के साथ अपोलो 11 मिशन के हिस्से के रूप में चंद्रमा पर कदम रखने वाले पहले इंसान थे।
- संयुक्त राज्य अमेरिका ने अपोलो 11 मिशन को चंद्रमा पर भेजने से पहले वर्ष 1961 और वर्ष 1968 के बीच रोबोट मिशन के तीन वर्ग भेजे थे।
- वर्ष 1969, जुलाई से वर्ष 1972 तक 12 अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर पहुँचे।
- 1990 के दशक में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने रोबोट मिशन क्लेमेंटाइन और लूनर प्रॉस्पेक्टर के साथ चंद्र अन्वेषण फिर से शुरू किया।
- वर्ष 2009 में, इसने लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर (LRO) और लूनर क्रेटर ऑब्जर्वेशन एंड सेंसिंग सैटेलाइट (LCROSS) के प्रक्षेपण के साथ रोबोटिक चंद्र मिशन की एक नई शृंखला की शुरूआत की।
- वर्ष 2011 में NASA ने आर्टेमिस मिशन की शुरुआत की।
- वर्ष 2012 में ग्रेविटी रिकवरी एंड इंटीरियर लेबोरेटरी (GRAIL) अंतरिक्ष यान ने चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का अध्ययन किया।
- संयुक्त राज्य अमेरिका के अलावा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान, चीन और भारत ने चंद्रमा का अन्वेषण करने के लिये मिशन भेजे हैं।
- चीन ने वर्ष 2019 में पहली बार चंद्रमा के सबसे दूर की सतह पर दो रोवर उतारे।
इसरो के चंद्र अन्वेषण प्रयास:
- चंद्रयान 1:
- चंद्रयान परियोजना की शुरुआत वर्ष 2007 में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO और रूस के ROSCOSMOS के बीच आपसी सहयोग हेतु एक समझौते के साथ हुई थी।
- हालाँकि इस मिशन को जनवरी 2013 में स्थगित कर दिया गया था और इसे वर्ष 2016 लॉन्च के लिये पुनर्निर्धारित किया गया क्योंकि रूस समय पर लैंडर को विकसित करने में असमर्थ रहा था।
- निष्कर्ष:
- चंद्रमा पर जल की उपस्थिति की पुष्टि।
- प्राचीन चंद्र लावा प्रवाह द्वारा निर्मित चंद्र गुफाओं के साक्ष्य।
- चंद्र सतह पर विगत विवर्तनिक गतिविधि पाई गई थी।
- पुरातन अंदरूनी विवर्तनिकी गतिविधियों और उल्कापिंड के संयुक्त प्रभावों के कारण चंद्रमा की सतह पर दरार और भ्रंश पाये गए।
- चंद्रयान -2 चंद्रमा के लिये भारत का दूसरा मिशन है और इसमें पूरी तरह से स्वदेशी ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं।
- रोवर प्रज्ञान विक्रम लैंडर के अंदर स्थित है।
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने हाल ही में भारत के तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -3 की घोषणा की, जिसमें एक लैंडर और एक रोवर शामिल होगा।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्र. निम्नलिखित युग्मों में से कौन-सा/से सही सुमेलित है/हैं? (2014)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
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