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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

पॉज़िट्रोनियम की लेज़र कूलिंग

  • 02 Mar 2024
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये:

AEgIS, पॉज़िट्रोनियम, यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (CERN), गामा-रे लेज़र, लेज़र कूलिंग, क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स (QED), आण्विक नाभिक 

मेन्स के लिये:

एंटी-हाइड्रोजन के निर्माण में AEgIS का महत्त्व और एंटीहाइड्रोजन पर पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का मापन।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

चर्चा में क्यों?

AEgIS सहयोग ने पॉज़िट्रोनियम की लेज़र कूलिंग का प्रदर्शन करके एक बहुत बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • AEgIS का परिचय: 
    • एंटी-हाइड्रोजन प्रयोग: ग्रेविटी, इंटरफेरोमेट्री, स्पेक्ट्रोस्कोपी (AEgIS) यूरोप के कई देशों और भारत के भौतिकविदों का एक सहयोग है।
    • वर्ष 2018 में, AEgIS एंटीहाइड्रोजन परमाणुओं के स्पंदित उत्पादन का प्रदर्शन करने वाला विश्व का पहला संगठन बन गया।
  • उद्देश्य:
    • यह AEgIS प्रयोग में एंटीहाइड्रोजन के निर्माण और एंटीहाइड्रोजन पर पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण के निर्धारण के लिये एक महत्त्वपूर्ण अग्रदूत प्रयोग है।
    • यह वैज्ञानिक उपलब्धि गामा-रे लेज़र के उत्पादन की संभावनाएँ खोल सकती है जो अंततः शोधकर्त्ताओं को परमाणु नाभिक के अंदर देखने के साथ-साथ भौतिकी से परे अनुप्रयोगों की अनुमति भी प्रदान करेगी।
  • पॉज़िट्रोनियम:
    • पॉज़िट्रोनियम, एक बाध्य इलेक्ट्रॉन (e-पदार्थ) एवं पॉज़िट्रॉन (e+पदार्थ) शामिल है, जोकि एक मौलिक परमाणु प्रणाली है।
      • इलेक्ट्रॉन एवं पॉज़िट्रॉन, लेप्टान होते हैं। साथ ही वे विद्युत चुंबकीय एवं निर्बल शक्तियों के माध्यम से परस्पर क्रिया करते हैं।
    • चूँकि पॉज़िट्रोनियम केवल इलेक्ट्रॉनों और पॉज़िट्रॉन से निर्मित होता है तथा साथ ही कोई सामान्य परमाणु पदार्थ भी नहीं होता है, इसलिये इसे विशुद्ध रूप से लेप्टोनिक परमाणु होने की विशिष्टता प्राप्त है।
      • अपने अत्यंत अल्प जीवन के कारण 142 नैनो-सेकंड में नष्ट हो जाता है। इसका द्रव्यमान इलेक्ट्रॉन द्रव्यमान का दोगुना होता है।
  • लेज़र कूलिंग को विधि के रूप में चुनने का कारण:
    • पॉज़िट्रोनियम, सबसे हल्का ज्ञात अत्यंत अस्थिर कण तंत्र है, जब प्रायोगिक अध्ययन के लिये पॉज़िट्रोनियम का उत्पादन किया जाता है, तब यह वेगों की एक विशाल शृंखला के चारों ओर घूमता है, जिससे इसे पहचान करना वास्तव में कठिन हो जाता है।
    • इसे हल करने का एक तरीका पॉज़िट्रोनियम को ठंडा करना होगा जो इसके कणों को धीमा कर देगा ताकि इसके गुणों का अधिक सटीक माप ली जा सके।
  • लेज़र कूलिंग: 
    • यह फोटॉन को अवशोषित करने और उत्सर्जित करने वाले कणों पर आधारित तापमान कम करने की एक विधि है। यदि लेज़र प्रकाश को आने वाले कणों के पथ के साथ निर्देशित किया जाता है, तो वे कण फोटॉन को अवशोषित कर लेंगे और इसे यादृच्छिक दिशा में फिर से उत्सर्जित करेंगे जिससे इसकी गति बदल जाएगी तथा यह धीमा हो जाएगा।
      • वैज्ञानिकों ने पहली बार वर्ष 1988 में दशकों पहले पॉज़िट्रोनियम के लिये लेज़र कूलिंग की विधि प्रस्तावित की थी।
    • प्रयोगकर्त्ताओं ने अलेक्जेंड्राइट-आधारित लेज़र प्रणाली का उपयोग करके पॉज़िट्रोनियम परमाणुओं के लेज़र शीतलन को प्राप्त किया, जिससे उनका तापमान ~ 380 केल्विन से ~ 170 केल्विन तक कम हो गया।
  • महत्त्व और भविष्य की संभावनाएँ:
    • पॉज़िट्रोनियम की लेज़र कूलिंग क्वांटम इलेक्ट्रोडायनामिक्स (QED) अध्ययन के लिये आवश्यक स्पेक्ट्रोस्कोपिक तुलना हेतु मार्ग प्रशस्त करती है।
    • एंटीमैटर के गुणों और गुरुत्वाकर्षण व्यवहार के उच्च-सटीक माप नई भौतिकी को प्रकट कर सकते हैं तथा पदार्थ-एंटीमैटर असममिति में अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकते हैं।
    • सुसंगत गामा-किरण प्रकाश उत्पन्न करने के साधन के रूप में प्रस्तावित एंटीमैटर के बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट का निर्माण, परमाणु नाभिक में झाँकने सहित मौलिक और व्यावहारिक अनुसंधान के लिये वादा करता है।
      • बोस-आइंस्टीन कंडेनसेट में, पदार्थ (या एंटीमैटर) लेज़र बीम में फोटॉन के अनुरूप एक सुसंगत स्थिति में होता है और व्यक्तिगत परमाणु अपनी स्वतंत्र पहचान खो देते हैं। इससे कई परमाणुओं को एक छोटी मात्रा में संग्रहित किया जा सकता है।

निष्कर्ष

लेज़र कूलिंग पॉज़िट्रोनियम में AEgIS प्रयोग की सफलता CERN की एंटीमैटर अनुसंधान में एक महत्त्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है। यह उपलब्धि न केवल मौलिक भौतिकी की हमारी समझ में योगदान देती है बल्कि इससे भविष्य में अभूतपूर्व खोजों और उनके अनुप्रयोगों की दिशा में सहायता प्राप्त हो सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. निकट अतीत में हिग्स बोसॉन कण के अस्तित्व के संसूचन के लिये किये गए प्रयत्न लगातार समाचारों में रहे हैं। इस कण की खोज का क्या महत्त्व है? (2013)

  1. हमें यह समझने में मदद करेगा कि मूल कणों में संहति क्यों होती है। 
  2. यह निकट भविष्य में हमें दो बिंदुओं के बीच के भौतिक अंतराल को पार किये बिना एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक पदार्थ स्थानांतरित करने की प्रौद्योगिकी विकसित करने में मदद करेगा। 
  3. यह हमें नाभिकीय विखंडन के लिये बेहतर ईंधन उत्पन्न करने में मदद करेगा। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3 
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (a)

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