भूगोल
ला नीना का वायु गुणवत्ता से संबंध
- 22 Feb 2024
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:ला नीना का वायु गुणवत्ता से संबंध, अल नीनो और ला नीना घटनाएँ, PM2.5, गंगा का मैदान मेन्स के लिये:ला नीना का वायु गुणवत्ता से संबंध, विश्व के भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ। |
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पुणे स्थित भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान और बंगलुरु स्थित राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान के शोधकर्त्ताओं द्वारा एक नया अध्ययन प्रकाशित किया गया है, जिसमें बताया गया है कि भारत में वायु गुणवत्ता भी एल नीनो तथा ला नीना घटनाओं से प्रभावित हो सकती है।
- अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि वर्ष 2022 की सर्दियों में कुछ भारतीय शहरों में असामान्य वायु गुणवत्ता को उस समय प्रचलित ला नीना के रिकॉर्ड तोड़ने के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है।
अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?
- भारत में प्रदूषण और सर्दियों के महीनों के बीच संबंध:
- अक्तूबर से जनवरी के दौरान, दिल्ली जैसे उत्तरी भारतीय शहरों में विभिन्न मौसम संबंधी कारकों और पंजाब तथा हरियाणा जैसे क्षेत्रों से प्रदूषण परिवहन के कारण आमतौर पर PM2.5 का स्तर उच्च होता है।
- देश के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में महासागरों से निकटता के कारण हमेशा प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम रहा है।
- हालाँकि वर्ष 2022 की सर्दियों में इस सामान्य से एक महत्त्वपूर्ण विचलन देखा गया।
- दिल्ली सहित उत्तरी भारतीय शहर सामान्य से अधिक स्वच्छ थे, जबकि पश्चिम और दक्षिण के मुंबई, बंगलुरु तथा चेन्नई जैसे शहरों में हवा की गुणवत्ता सामान्य से अधिक खराब थी।
- शीतकालीन 2022 में असामान्य व्यवहार:
- गाज़ियाबाद और नोएडा में PM2.5 की सांद्रता काफी कम हो गई, जबकि दिल्ली में थोड़ी कमी देखी गई। इसके विपरीत मुंबई और बंगलुरु में PM2.5 के स्तर में वृद्धि देखी गई।
- उत्तरी भारतीय शहरों में पश्चिमी और दक्षिणी शहरों की तुलना में स्वच्छ पवन थी।
- गाज़ियाबाद और नोएडा में PM2.5 की सांद्रता काफी कम हो गई, जबकि दिल्ली में थोड़ी कमी देखी गई। इसके विपरीत मुंबई और बंगलुरु में PM2.5 के स्तर में वृद्धि देखी गई।
- विसंगति उत्पन्न करने वाले कारक:
- वर्ष 2022 की सर्दियों की विसंगति उत्पन्न करने में सबसे महत्त्वपूर्ण कारक सामान्य पवन की दिशा में बदलाव था।
- सर्दियों के दौरान पवन आमतौर पर उत्तर-पश्चिमी दिशा में चलती है। उदाहरण के लिये, पंजाब से दिल्ली की ओर और आगे गंगा के मैदानी क्षेत्रों में।
- यह पंजाब और हरियाणा से कृषि अपशिष्ट प्रदूषकों को दिल्ली में ले जाने का एक कारक है।
- हालाँकि वर्ष 2022 की सर्दियों में पवन का प्रवाह उत्तर-दक्षिण दिशा में था।
- पंजाब और हरियाणा से आने वाले प्रदूषक तत्त्वों का प्रवाह दिल्ली एवं निकटवर्ती क्षेत्रों को पार करते हुए राजस्थान व गुजरात से होते हुए दक्षिणी क्षेत्रों की ओर हो गया।
- ला नीना का प्रभाव:
- विस्तृत ला नीना वर्ष 2022 की सर्दियों तक असामान्य रूप से दीर्घकालिक अर्थात् तीन वर्षों तक बना रहेगा, जिससे पवन के पैटर्न पर असर पड़ेगा।
- एक असामान्य "ट्रिपल-डिप" परिघटना— निरंतर तीन वर्षीय ला नीना स्थितियों (वर्ष 2020-23) का विश्व भर में समुद्र और जलवायु पर व्यापक प्रभाव पड़ा है।
- सभी ला नीना घटनाएँ भारत में पवन परिसंचरण में उल्लेखनीय परिवर्तन नहीं ला सकती हैं।
- वर्ष 2022 की घटना विशेष रूप से प्रबल थी और वायु परिसंचरण पर प्रभाव ला नीना के तीसरे वर्ष में ही स्पष्ट हो गया। तो इसका संचयी प्रभाव अनुमानित है।
- अध्ययन से पता चलता है कि भारत में वायु गुणवत्ता पर अल नीनो का प्रभाव अस्पष्ट है।
- विस्तृत ला नीना वर्ष 2022 की सर्दियों तक असामान्य रूप से दीर्घकालिक अर्थात् तीन वर्षों तक बना रहेगा, जिससे पवन के पैटर्न पर असर पड़ेगा।
भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Tropical Meteorology- IITM)
- IITM पुणे, महाराष्ट्र में स्थित एक वैज्ञानिक संस्थान है। इसे उष्णकटिबंधीय हिंद महासागर पर विशेष ध्यान देने के साथ उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान से संबंधित अनुसंधान का विस्तार करने में विशिष्टता प्राप्त है।
- अध्ययन के प्रमुख क्षेत्रों में दक्षिण एशियाई जलवायु में मानसून मौसम विज्ञान और वायु-समुद्र संपर्क शामिल हैं।
- IITM, भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्य करता है।
राष्ट्रीय उन्नत अध्ययन संस्थान (NIAS)
- NIAS, एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है जो बेंगलुरु (भारत) में स्थित है। इसकी स्थापना वर्ष 1988 में स्वर्गीय श्री जे.आर.डी.टाटा की दूरदृष्टि एवं पहल से हुई थी।
- संस्थान का लक्ष्य विद्वानों, प्रबंधकों एवं नेताओं के एक व्यापक आधार पर पोषित करना है जो अंतःविषय दृष्टिकोण के माध्यम से जटिल सामाजिक चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं।
- NIAS मानविकी, सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक विज्ञान, इंजीनियरिंग, के साथ-साथ संघर्ष तथा सुरक्षा अध्ययन सहित विभिन्न क्षेत्रों में उन्नत बहु-विषयक अनुसंधान आयोजित करता है।
निष्कर्ष
- वर्ष 2022 की शीतऋतु के दौरान भारत में वायु गुणवत्ता पर ला-नीना का प्रभाव स्थानीय पर्यावरणीय परिस्थितियों में वैश्विक जलवायु प्रणालियों को समझने के महत्त्व पर प्रकाश डालता है।
- भारत में जलवायु घटनाओं तथा वायु गुणवत्ता के बीच जटिल अंतःक्रियाओं को स्पष्ट करने के साथ और अधिक शोध करने की आवश्यकता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष प्रश्न (पीवाईक्यू)प्रिलिम्स:प्रश्न. भारतीय मानसून का पूर्वानुमान करते समय कभी-कभी समाचारों में उल्लिखित ‘इंडियन ओशन डाइपोल (IOD) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (b) व्याख्या:
मेन्स:प्रश्न. सूखे को उसके स्थानिक विस्तार, कालिक अवधि, मंथर प्रारंभ और कमज़ोर वर्गों पर स्थायी प्रभावों की दृष्टि से आपदा के रूप में मान्यता दी गई है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सितंबर 2010 के मार्गदर्शी सिद्धातों पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत में एल नीनो और ला नीना के संभावित दुष्प्रभावों से निपटने के लिये तैयारी की कार्यविधियों पर चर्चा कीजिये। (2014) प्रश्न. असामान्य जलवायवी घटनाओं में से अधिकांश अल-नीनो प्रभाव के परिणाम के तौर पर स्पष्ट की जाती है। क्या आप सहमत हैं? (2014) |