कृष्णा नदी जल विवाद | 13 Sep 2019
संदर्भ
कृष्णा नदी जल विवाद के संदर्भ में महाराष्ट्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों ने आंध्र प्रदेश के उस आवेदन का संयुक्त रूप से विरोध करने पर सहमति जताई है जिसमे कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण के वर्ष 2010 के आदेश पर पुनः विचार करने की मांग की गई थी।
कृष्णा नदी जल विवाद
- कृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
- अपनी सहायक नदियों के साथ, कृष्णा नदी एक विशाल बेसिन का निर्माण करती है, जिसमे चार राज्यों के कुल क्षेत्रफल का 33 प्रतिशत भाग शामिल है।
- कृष्णा नदी जल विवाद मुख्यतः कृष्णा नदी के जल के बँटवारे से संबंधित है, जो कई दशकों से इसी प्रकार चल रहा है। इस विवाद की शुरुआत पूर्ववर्ती हैदराबाद एवं मैसूर राज्यों के साथ हुई थी तथा बाद में महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बीच भी जारी रहा।
विवाद निपटान के प्रयास
- कृष्णा नदी जल विवाद के समाधान हेतु वर्ष 1969 में कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण (Krishna Water Disputes Tribunal-KWDT) की स्थापना की गई थी।
- इस न्यायाधिकरण ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 1973 में प्रस्तुत की, जिसे वर्ष 1976 में प्रकाशित किया गया। KWDT ने कृष्णा नदी के 2060 हजार मिलियन घन फीट (Thousand Million Cubic Feet-TMC) जल का तीनों राज्यों में विभाजन कर दिया था।
- विभाजन के अनुसार, महाराष्ट्र के लिये 560 TMC, कर्नाटक के लिये 700 TMC और आंध्र प्रदेश के लिये 800 TMC निर्धारित किया गया।
- उस समय यह भी निर्धारित किया गया था कि 31 मई, 2000 के बाद किसी भी समय KWDT के आदेश की समीक्षा की जा सकती है अथवा किसी सक्षम प्राधिकारी या न्यायाधिकरण द्वारा आदेश को संशोधित किया जा सकता है।
- राज्यों के मध्य विवाद बढ़ने के बाद वर्ष 2004 में दूसरा कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण स्थापित किया गया, जिसने वर्ष 2010 में पिछले 47 वर्षों से पानी के प्रवाह के आँकड़ों पर विचार करते हुए अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- KWDT 2 द्वारा दिये गए अंतिम फैसले के अनुसार, महाराष्ट्र को 666 TMC, कर्नाटक को 911 TMC और आंध्र प्रदेश को 1001 TMC जल दिया गया।
- KWDT 2 का यह अंतिम फैसला वर्ष 2050 तक मान्य होगा।
आंध्र प्रदेश चाहता है पुनर्विचार
- वर्ष 2014 में तेलंगाना के निर्माण के पश्चात् आंध्र प्रदेश ने KWDT 2 द्वारा दिये गए फैसले और वर्ष 2013 में उसके (KWDT 2) द्वारा जारी एक अन्य रिपोर्ट को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
- आंध्र प्रदेश की मांग है कि कृष्णा जल विवाद न्यायाधिकरण में तेलंगाना को एक अन्य पक्ष के रूप में शामिल किया जाए और कृष्णा नदी के जल को तीन के बजाय चार राज्यों में पुनः आवंटित किया जाए।
- आंध्र प्रदेश द्वारा दिये गए आवेदन के अनुसार, न्यायाधिकरण के फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिये और इस विवाद में तेलंगाना को एक पक्ष के रूप में मान्यता दी जानी चाहिये।
महाराष्ट्र और कर्नाटक का पक्ष
- आंध्र प्रदेश के आवेदन पर महाराष्ट्र और कर्नाटक का कहना है कि चूँकि न्यायाधिकरण ने जिस समय इस संदर्भ में फैसला दिया था, उस समय तेलंगाना आंध्र प्रदेश का ही हिस्सा था, अतः पानी का आवंटन आंध्र प्रदेश के हिस्से से होना चाहिये जिसे न्यायाधिकरण ने मंजूरी दे दी थी साथ ही न्यायाधिकरण के फैसला पर पुनर्विचार नहीं होना चाहिये।